सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर यह दावा किया गया कि एक कश्मीरी बुजुर्ग ने घाटी के मुसलमानों का दर्द बयां करते हुए मदद की गुहार लगाई है.
भारतीय गणराज्य में शामिल होने से पहले जम्मू और कश्मीर एक प्रिंसली एस्टेट (रियासत) हुआ करती थी. जम्मू और कश्मीर को एक विशेष समझौते के तहत देश के तत्कालीन गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने भारतीय गणराज्य में शामिल कराया था.
जम्मू के महाराजा हरि सिंह के भारतीय गणराज्य से समझौते के बाद, जम्मू और कश्मीर को भारत का एक अभिन्न अंग माना गया. हालांकि, घाटी में जनमत संग्रह तथा भारतीय गणराज्य से अलगाव को लेकर भी एक मजबूत आवाज उठती रही है. सीमा पार आतंकवाद एवं आतंरिक अलगाववाद की वजह से जम्मू और कश्मीर सभी भारतीय राज्यों में सर्वाधिक संवेदनशील माना जाता है. इसी वजह से आये दिन घाटी से हिंसा की खबरें आती रहती हैं. पिछले कुछ दिनों से अन्य राज्यों से रोजगार की तलाश में घाटी पहुंचे लोगों की हत्या एवं हिंसा की घटनाओं ने भी जम्मू और कश्मीर को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.
इसी क्रम में सोशल मीडिया पर भावुकतापूर्वक अपनी बात कह रहे एक बुजुर्ग की वीडियो क्लिप तेजी से शेयर की जा रही है. उक्त वीडियो को शेयर कर यह दावा किया गया कि एक कश्मीरी बुजुर्ग ने घाटी के मुसलमानों का दर्द बयां करते हुए मदद की गुहार लगाई है.
Fact Check/Verification
‘एक कश्मीरी बुजुर्ग ने घाटी के मुसलमानों का दर्द बयां करते हुए मदद की गुहार लगाई’ दावे के साथ शेयर किये जा रहे इस वीडियो की पड़ताल के लिए, हमने वीडियो को की-फ्रेम्स में बांटा. इसके बाद हमने वीडियो के एक की-फ्रेम को गूगल पर ढूंढा, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में हमें कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हुई.

‘kashmir old man crying’ कीवर्ड्स को यूट्यूब पर ढूंढने पर हमने पाया कि ‘एक कश्मीरी बुजुर्ग ने घाटी के मुसलमानों का दर्द बयां करते हुए मदद की गुहार लगाई’ दावे के साथ शेयर किया जा रहा यह वीडियो, पिछले 2 सालों से इंटरनेट पर मौजूद है.

‘GROXA’S TV’ नामक यूट्यूब चैनल द्वारा 5 सितंबर, 2019 को प्रकाशित इस वीडियो में, वायरल वीडियो में दिख रहे बुजुर्ग को घाटी के मुसलमानों की मदद की गुजारिश करते सुना जा सकता है.
‘Kashmir VoIce’ नामक यूट्यूब चैनल द्वारा 4 जुलाई, 2020 को प्रकाशित एक वीडियो में, वायरल वीडियो में दिख रहे बुजुर्ग की बात का पूरा संदर्भ समझा जा सकता है.
बता दें कि कुछ अन्य कीवर्ड्स की सहायता से किये गए यूट्यूब सर्च में हमें कई ऐसे अन्य चैनल्स भी मिले, जिन्होंने वायरल वीडियो को 2019 के सितंबर महीने में प्रकाशित किया है.
चूंकि कश्मीर घाटी से आये दिन कभी अलगाववादियों एवं सेना के बीच मुठभेड़ के बाद, तो कभी किसी अलगाववादी नेता की मुठभेड़ में मौत के बाद स्थानीय नागरिक प्रतिकार करते हुए विरोध प्रदर्शन आयोजित करते रहते हैं, इसी वजह से हमने वायरल वीडियो को लेकर प्रकाशित किसी मीडिया रिपोर्ट की तलाश में कई कीवर्ड्स को गूगल पर ढूंढा, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में हमें कश्मीर में विरोध प्रदर्शन को लेकर तो सैकड़ों रिपोर्ट्स प्राप्त हुईं, लेकिन वायरल वीडियो को लेकर प्रकाशित कोई मीडिया रिपोर्ट हमें प्राप्त नहीं हो सकी.
Conclusion
इस तरह हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि ‘एक कश्मीरी बुजुर्ग ने घाटी के मुसलमानों का दर्द बयां करते हुए मदद की गुहार लगाई’ दावे के साथ शेयर किया जा रहा यह दावा भ्रामक है. असल में वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं है तथा जैसा कि हमारी पड़ताल में देखा जा सकता है कि वायरल वीडियो 2019 से ही इंटरनेट पर मौजूद है.
Result: Misplaced Context
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