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कोरेगांव मामले में ‘वॉर एंड पीस’ किताब को लेकर BBC, NDTV, AAJTAK जैसे बड़े मीडिया संस्थानों ने फैलाया भ्रम

Written By Saurabh Pandey
Aug 31, 2019
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नए भारत में टॉलस्टॉय को पढ़ना देशद्रोह है

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मशहूर पत्रकार एवं विभिन्न मुद्दों पर बेबाक राय रखने वाले राजदीप सरदेसाई ने ट्विटर पर Scroll.in के एडिटर नरेश फर्नांडिस के एक ट्वीट को कोट करते हुए लिखा कि “नए भारत में टॉलस्टॉय को पढ़ना देशद्रोह मान लिया गया है। यह इतना बेतुका है कि इस पर विश्वास कर पाना आसान नहीं है।” राजदीप सरदेसाई ट्विटर पर काफी सक्रिय रहते हैं इसलिए महज कुछ घंटों में हजारों लोगों ने उनके ट्वीट को लाइक और रीट्वीट कर दावे से सहमति जताई।

दरअसल राजदीप भीमा कोरेगांव, हिंसा की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश सारंग कोतवाल द्वारा यह कहने से काफी आक्रोशित थे कि “वॉर एंड पीस” एक आपत्तिजनक पुस्तक और राज्य विरोधी सामाग्री है।

सिर्फ राजदीप सरदेसाई ही नहीं बल्कि प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी BBC ने भी इस खबर को एक ट्वीट के जरिए प्रमुखता दी। बीबीसी ने अपनी इस खबर को हेडलाइन दी टॉलस्टॉय की ‘वॉर एंड पीस’ ने एक सामाजिक कार्यकर्ता को मुसीबत में डाला। 

भारतीय न्यूज़ चैनलों ने भी इस खबर को काफी प्रमुखता दी है। आजतक ने “क्या ‘वॉर एंड पीस’ पढ़ना गुनाह है?” शीर्षक के साथ यह खबर प्रकाशित की है।

वहीं NDTV ने भी कोर्ट के हवाले से अपनी खबर को शीर्षक दिया कि ‘वॉर एन्ड पीस’ घर पर क्यों रखें?

वही NDTV ने भी कोर्ट के हवाले से अपनी खबर को शीर्षक दिया कि “वॉर एन्ड पीस” घर पर क्यों रखें: कोर्ट”

अन्य मीडिया संस्थानों ने भी इस ख़बर को काफी प्रमुखता दी। यह खबर बहुत ही कम समय में हर तरफ फैल गई। इस तरह यह ख़बर Newschecker टीम के संज्ञान में आई। न्यायाधीश के बयान की पुष्टि से पहले हमने पूरा मामला समझने की कोशिश की। अपनी पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि यह ​पूरा मामला भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़ा हुआ है। इंडिया टुडे में प्रकाशित एक खबर से हमें यह ज्ञात हुआ कि भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए 5 आरोपियों में से एक वर्नोन गोन्जाल्विस हैं।

दरअसल, इसी भीमा कोरेगांव-एल्गार परिषद केस में आरोपी वर्नोन गोन्जाल्विस की बुद्धवार को कोर्ट में पेशी थी। इसी पेशी के दौरान न्यायाधीश सारंग कोतवाल ने एक पुस्तक का जिक्र किया था जिसको लेकर काफी विवाद हुआ।

पड़ताल के अगले चरण में हमने सुनवाई के दौरान कोर्ट के अंदर हुए घटनाक्रम के बारे में जानने की कोशिश की। इस दौरान टाइम्स ऑफ़ इंडिया का एक लेख मिला जिसमे बताया गया था कि जिस पुस्तक का जिक्र न्यायाधीश कोतवाल ने किया था वो लियो टॉलस्टॉय की वॉर एंड पीस नहीं थी बल्कि विश्वजीत रॉय की ‘वॉर एंड पीस इन जंगलमहल  पीपुल,स्टेट एंड माओइस्ट्स’ थी। 

इसी कड़ी में हमें कोर्ट के अंदर के घटनाक्रमों की लाइव रिपोर्टिंग के लिए मशहूर बार एंड बेंच का यह ट्विटर थ्रेड मिला जिसमे यह साफ़-साफ़ बताया गया है कि न्यायाधीश ने टॉलस्टॉय की वॉर एंड पीस नहीं बल्कि विश्वजीत रॉय की ‘वॉर एंड पीस इन जंगलमहल : पीपुल,स्टेट एंड माओइस्ट्स’ रखने पर आपत्ति जताई थी।

इस मामले में न्यायाधीश सारंग कोतवाल ने स्वयं स्पष्टीकरण दिया है तथा वर्नोन गोन्जाल्विस के वकील युग मोहित चौधरी ने भी पुलिस द्वारा सबूत के तौर पर पेश तथा न्यायाधीश द्वारा आपत्तिजनक बताए जाने वाली पुस्तक का नाम ‘वॉर एंड पीस इन जंगलमहल : पीपुल,स्टेट एंड माओइस्ट्स’ बताया है ना कि लियो टॉलस्टॉय द्वारा रचित ‘वॉर एंड पीस।”

इस पुस्तक को लेकर काफी भ्रम था इसलिए हमने इन दो पुस्तकों के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपनी पड़ताल जारी रखी। अपनी पड़ताल के दौरान हमें फर्स्टपोस्ट का एक लेख मिला जिसमे विश्वजीत रॉय की पुस्तक ‘वॉर एंड पीस इन जंगलमहल : पीपुल,स्टेट एंड माओइस्ट्स’ के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

हमने मामले की पूरी पड़ताल के बाद पाया कि न्यायाधीश सारंग कोतवाल ने लियो टॉलस्टॉय की वॉर एंड पीस नहीं बल्कि बल्कि विश्वजीत रॉय की ‘वॉर एंड पीस इन जंगलमहल : पीपुल,स्टेट एंड माओइस्ट्स’ रखने पर आपत्ति जताई थी। इसलिए प्रतिष्ठित समाचार एजेंसियों एवं पत्रकारों द्वारा किया जा रहा यह दावा भ्रामक है।

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