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पुलिस द्वारा हांगकांग में प्रदर्शनकारियों पर बर्बरता का वीडियो चीन में कोरोना वायरस से जोड़कर किया गया शेयर

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चीन में COVID-19 की महामारी के शिकंजे में फंसे लोगों को पकड़ने के लिए पुलिस प्रशासन को काफी दिक्कते झेलनी पड़ रही है।

दावे का संक्षिप्त विवरण-  
सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें कुछ पुलिसकर्मी मेट्रो स्टेशन पर लोगों को पकड़ते दिख रहे हैं। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि चीन में पुलिस को COVID-19 के संदिग्ध मरीजों को पकड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
 
Verifcation-
हमने वायरल हो रहे वीडियो लेकर पड़ताल शुरु की। कुछ कीवर्ड्स की सहायता से गूगल में खोज की तो फेसबुक पर इसी दावे वाले कई पोस्ट देखने को मिले।
फेसबुक के अलावा ट्विटर पर भी यह वीडियो इसी दावे के साथ वायरल हो रहा है।
हमने इस वीडियो में से कुछ स्क्रीनशाॅट्स निकाले और यांडेक्स इमेज की सहायता से खोज की। हांगकांग स्थित Free Press (HKFP) इस न्यूज चैनल ने इसे अपलोड किया है। यह वीडियो यूट्यूब पर मिला जिसे अगस्त 2019 में अपलोड किया गया है। हांगकांग में आंदोलन उग्र होने के बाद दंगे भड़के थे। आंदोलनकर्ताओं को पकड़ने के लिए पुलिस ने मुहिम चलाई थी इसी के तहत मोंग कोक और प्रिंस एडवर्ड एमटीआर स्टेशन पर लोगों को हिरासत में लिया जा रहा था। इसकी वीडियो उस समय कई टीवी चैनलों और सोशल मीडिया में खूब शेयर हुई थी। यह वीडियो कोरोना वायरस फैलने के चार महीने पहले की है।
इसके अलावा चाइना पोस्ट के यूट्यूब चैनल पर भी यह वीडियो सितंबर 2019 में अपलोड किया गया है।
साथ ही हमें दी गार्डियन की खबर मिली जिसमें लिखा गया है कि पुलिस ने बताया कि, प्रिंस एडवर्ड मेट्रो स्टेशन पर दंगाईयों ने टिकट मशीन तोड़ी थी और कुछ लोगों पर भी हमला किया था। इसके बाद पुलिस ने स्टेशन के भीतर घुसकर दंगाईयों को पकड़ा था। 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
हमारी पड़ताल में यह सामने आया कि सोशल मीडिया में वायरल हो रहा वीडियो चीन में पुलिस द्वारा कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों के साथ की जा रही बर्बरता का नहीं बल्कि कुछ महीने पहले हांगकांग में हुए आंदोलन के दौरान का है।

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(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़तालसंशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल

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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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