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उत्तर प्रदेश के युवक ने नहीं बनाई Signal एप, संस्कृत में कोडिंग का दावा भी फर्जी

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के एक गांव के रहने वाले लड़के ने Signal नाम की एप बनाई है। यह एप IIT में गोल्ड मेडल के साथ पास हुए एक लड़के ने बनाई है। वायरल मैसेज में इस एप को दुनिया की इकलौती ऐसी एप बताया गया है जिसमें संस्कृत में कोडिंग की गई है। इसके साथ-साथ इस एप को NASA और UNESCO ने 2021 की बेस्ट न्यू एप का भी अवॉर्ड दिया है।

देखा जा सकता है कि इस दावे को ट्विटर पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।

देखा जा सकता है कि इस दावे को फेसबुक पर अलग-अलग यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।  

वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्ज़न को यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है।

Fact Checking/Verification

Signal एप को लेकर किए जा रहे दावे की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरु की। Google Keywords Search की मदद से खोजने पर हमें वायरल दावे से संबंधित कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली।

सिग्नल

पहला दावा:

क्या सिग्नल एप का उत्तर प्रदेश से संबंध है?

पड़ताल जारी रखते हुए हमें सिग्नल एप की ऑफिशियल वेबसाइट मिली। वेबसाइट के मुताबिक सिग्नल एप के फाउंडर मोक्सी मार्लिनस्पाइक (Moxie Marlinspike) और कम्पयूटर प्रोगामर ब्रायन एक्टन (Brian Acton) हैं। यह दोनों ही अमेरिका के रहने वाले हैं।

सिग्नल

सिग्नल की आधिकारिक वेबसाइट पर मिली जानकारी के मुताबिक यह एक अमेरिकन एप है जिसका आविष्कार 29 जुलाई 2014 को हुआ था।

दूसरा दावा

क्या इस एप को नासा और यूनेस्को से मिला अवॉर्ड?

इस दावे की खोज करते हुए हमने यूनेस्को की ऑफिशियल वेबसाइट को खंगाला। पड़ताल के दौरान हमें अवॉर्ड लिस्ट में वायरल दावे से संबंधित कोई जानकारी नहीं मिली।

सिग्नल

तीसरा दावा:

क्या इस एप की संस्कृत में कोडिंग है?

संस्कृत भाषा में कोडिंग को लेकर किए जा रहा दावा भी फर्ज़ी है। सिग्नल की ऑफिशियल वेबसाइट पर मौजूद सॉफ्टवेयर लाइब्रेरी में संस्कृत भाषा का कोई जिक्र नहीं है। सिग्नल की ट्रांसलेशन लिस्ट में भी संस्कृत का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है।

उत्तर प्रदेश गांव लड़का ऐप

चौथा दावा:

क्या छह महीने बंद हो जाएगा व्हाट्सएप (WhatsApp)?

WhatsApp के बंद होने को लेकर किए जा रहे दावे से संबंधित हमें कोई जानकारी नहीं मिली। प्रभात खबर द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक WhatsApp केवल अपनी पॉलिसी को अपडेट कर रहा है। लेकिन इसका यूज़र्स की प्राइवेसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

नीचे Will Cathcart के ट्वीट को देखा जा सकता है जो कि WhatsApp और Facebook के हेड हैं। इन्होंने यूज़र्स के कई सारे सवालों का जवाब अपने ट्वीट में दिया है।

Conclusion

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि व्हाट्सएप और सिग्नल को लेकर किए जा रहे दावे फर्ज़ी हैं। पड़ताल में हमने पाया कि सिगन्ल ऐप को उत्तर प्रदेश के एक युवक द्वारा नहीं बल्कि अमेरिका के दो युवकों द्वारा बनाया गया है। लोगों को भ्रमित करने के लिए सोशल मीडिया पर भ्रामक दावा किया जा रहा है।

Result: False


Our Sources

Signal Foundation https://signalfoundation.org/

UNESCO https://en.unesco.org/prizes

GitHub https://github.com/signalapp

Prabhat Khabar https://www.prabhatkhabar.com/tech-and-auto/whatsapp-clarification-over-new-data-policy-with-facebook-instant-messenger-says-no-change-in-data-sharing-system-in-new-update-rjv

Twitter https://twitter.com/wcathcart/status/1347660768225841152


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