Claim–
JNU क्या हाल बना दिया है… जहां बच्चे अपना करियर बनाने हेतु शिक्षा लेने जाते है, लेकिन तकलीफ़ यह है की जेनयू के विद्यार्थी सही और गलत समझ में लगे है… मनु वादियों की नीति के खिलाफ आवाज़ उठा रहे है। इसलिए आज उनका यह हाल है, टीवी और मीडिया सत्य और असत्य को ना समझे इसलिए झूठ को फैलाया जा रहा है।
Verification-
फेसबुक पर एक युवक की तस्वीर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में युवक की पीठ पर मार पड़ने से लाल निशान नजर आ रहे हैं। तस्वीर पोस्ट करने वाले यूज़र का दावा है कि, यह तस्वीर जेएनयू में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी की है, जहां उस पर पुलिस द्वारा बर्बरता की गयी और उसका यह हाल इसलिए है क्यों कि उसने मनुवादी नीतियों का विरोध किया है। वायरल हो रहे दावे का सच जानने के लिए हमने दावे को 2 हिस्सों में विभाजित कर उसकी पड़ताल शुरू की।
वायरल दावे के विभाजन का विषय :-
1 -पहले हिस्से में – JNU के छात्र मनुवादी नीतियों का विरोध कर रहें।
2 – दूसरे हिस्से में – युवक पर हुई बर्बरता की तस्वीर।
दावे के पहले हिस्से की पड़ताल के लिए हमने जेनयू से संबंधित हाल की खबरों को खंगालना आरम्भ किया साथ ही यह जानने का प्रयास किया कि जेनयू में किस बात का फसाद है और उसकी जड़ क्या है। इस दौरान गूगल पर जेनयू मामले से संदर्भित कीवर्ड्स टाइप करने पर कई खबरों के लिंक खुलकर सामने आये। इस दौरान सबसे पहले मामले से संबंधित
अमर उजाला की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ।
खबर में बताया गया है कि विश्वविद्यालयों की सालाना फीस में वृद्धि कर दी गयी है जिसके कारण दिल्ली विश्वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्लामिया और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र दिल्ली में सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले के खिलाफ एक साथ होकर प्रदर्शन कर रहें है।
अमर उजाला के लेख के साथ हमें
Times of India की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख प्राप्त हुआ। इस खबर में भी इसी तथ्य को बताया गया है कि जेनयू के छात्र फीस बढ़ने की वजह से प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्राप्त लेखों से पता चल गया कि जेनयू के छात्र किसी भी मनुवादी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर रहें थे। इसके उपरान्त पड़ताल में हमें लल्लन टॉप के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो प्राप्त हुआ। जहां विश्वविद्यालय के फीस वृद्धि का विस्तृत उल्लेख किया गया है।
फीस का तुलनात्मक वर्णन

पड़ताल की अगली कड़ी में हमने दावे के दूसरे हिस्से की खोज की। इस दौरान
Ouartz india नामक वेबसाइट के लेख में वायरल तस्वीर वर्ष 2016 को प्रकाशित हुई है।
लेख के मुताबिक वायरल तस्वीर कश्मीरी युवक है। इसके साथ हमें INS नामक वेबसाइट के लेख में वायरल तस्वीर प्राप्त हुई। वायरल तस्वीर में दिखने वाले युवक की पुष्टि भी की गयी है। साथ ही उसपर होने वाली बर्बरता का भी जिक्र किया गया है।
newschecker.in की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ।
Tools Used
- Google Search
- YouTube Search
Result- Misleading