महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार के दौरान सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार उम्मीदवारों का परंपरागत तरीके के अलावा हाईटेक प्रचार किया। युवा मतदाताओं की बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए पार्टियों द्वारा प्रचार के लिए सोशल मीडिया प्लैटफाॅर्म का ख़ासतौर से इस्तेमाल किया गया इसलिए इस चुनाव में सोशल मीडिया का भी रोल काफी महत्वपूर्ण रहा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी सोशल मीडिया प्लैटफाॅर्म पर (फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्विटर यूट्यूब इंस्टाग्राम आदि) फेक न्यूज की भरमार देखने को मिली। इसका मतदाताओं पर या राजनीतिक पार्टियों पर कितना असर हुआ बताना मुश्किल है लेकिन कई जगहों पर गलत जानकारी की वजह से अनुचित घटनाएं भी घटी। ऐसी ही कई फ़ेक न्यूज़ जो इन चुनावों में सोशल मीडिया पर छाई रहीं नीचे पढ़ी जा सकती हैं।
1. निवृत्ती महाराज भाजपा में हुए शामिल
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनाव से पहले राज्य में महाजनादेश यात्रा का आयोजन किया था। यह यात्रा राज्य के कई शहरों में गई। यात्रा 14 सितंबर को अहमदनगर के संगमनेर शहर पहुंची तो महाराष्ट्र के प्रसिद्ध कीर्तनकार निवृत्ती महाराज इंदोरीकर ने मुख्यमंत्री के साथ मंच साझा किया। उसी समय सोशल मीडिया में अफवाह फैल गई कि निवृत्ती महाराज ने भाजपा ज्वाइन कर ली है और वे कांग्रेस के कद्दावर नेता तथा विधायक बालासाहेब थोरात के खिलाफ चुनाव लड़न वाले हैं। मीडिया में इसी तरह की खबरे आई। आखिरकार निवृत्ती महाराज ने अपने कीर्तन के माध्यम से लोगों को बताया कि वे राजनीति में आना नहीं चाहते। चुनाव लडने का कोई इरादा नही है। निवृत्ती महाराज ने उनके बारे में फैलाई गई अफवाह को लेकर अपने कीर्तन में मीडिया को भी फटकार लगाई।
2. मुंबई हाईकोर्ट ने रद्द किया मराठा और मुस्लिम आरक्षण
चुनाव के दौरान ही मराठा आरक्षण मुंबई हाईकोर्ट द्वारा रद्द किए जाने की पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हुई. इस पोस्ट में लिखा गया था कि कोर्ट ने मराठा और मुस्लिम आरक्षण रद्द किया है। आश्वासनों की खैरात बांटने वाली भाजापा सरकार ने आरक्षण को लेकर ठीक से काम ही नहीं किया. इसलिए मराठा समाज का आरक्षण रदद् हुआ. लेकिन यह पोस्ट फेक थी। हाईकोर्ट ने आरक्षण रद्द नही किया था। मराठा आरक्षण के विशेषज्ञ एवं हाईकोर्ट के वकील अभिजित पाटिल और याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने बताया कि मराठा आरक्षण रद्द होने का झूठा दावा वायरल किया जा रहा है। सरकार ने मराठाओं को जो आरक्षण दिया है वह रद्द नहीं हुआ है। चुनाव के दौरान राजनीतिक उद्देश्य से ही इस पोस्ट को वायरल किए जाने का शक कई लोगों ने जताया।
3. पीएम मोदी द्वारा पश्चिम बंगाल में की गई रैली का वीडियो सतारा के नाम से हुआ वायरल
चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं की रैलियां और भाषण को लेकर भी कई भ्रामक खबरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सतारा में हुई रैली को लेकर भी भ्रामक दावा किया गया। उनकी पश्चिम बंगाल में पांच महीने पहले लोकसभा चुनाव के दौरान हुई रैली का वीडियो सतारा की रैली का होने का दावा कर सोशल मीडिया में वायरल किया गया।
4. टीवी चैनलों के लोगो का इस्तेमाल कर फैलाए गए फर्जी एग्जिट पोल
टीवी चैनलों के लोगो के साथ फेक न्यूज भी वायरल की गई। मराठी टीवी चैनल एबीपी माझा के लोगो का इस्तेमाल कर कई तरह की फेक न्यूज फैलाई गई। टीवी चैनल की ओर से इस बारे में पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत भी की गई। पोस्ट के जरिए सोलापुर शहर चुनावक्षेत्र को लेकर भ्रामक सर्वे वायरल किया गया, इसके अलावा सतारा, कोल्हापुर और बीड़ में इस तरह के भ्रामक ग्राफिक्स तैयार कर झूठे ओपिनियन और एग्जिट पोल वायरल किए जाने के मामले सामने आए।
5. वोटिंग के दिन EVM मशीन को लेकर फैलाई गई अफवाह
वोटिंग के दिन भी EVM को लेकर कई फेक न्यूज वायरल हुई। सतारा में कांग्रेस का बटन दबाने पर बीजेपी को वोट मिलने की अफवाह फैली थी बाद में चुनाव आयोग को इस पर सफाई देनी पड़ी। वहीं चंद्रपुर जिले के दुर्गापूर चुनाव क्षेत्र में EVM मशीन्स प्राइवेट वाहन से ले जाने की अफवाह फैली। लोगों ने उस वाहन को घेर लिया तब तक तहसीलदार और पुलिस मौके पर पहुंची और बताया कि यह वाहन निजी है लेकिन चुनाव आयोग ने इसे मशीन और कमर्चारियों को ले जाने के लिए किराए पर ले लिया है। उस में बैठे लोग भी चुनाव कर्मचारी है।
चंद्रपुर के जिलाधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी, जिसका वीडियो हमें यूट्यूब पर मिला।
चुनावों के दौरान कई भ्रामक खबरें वायरल होती हैं इस डिजिटल युग में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले हर किसी को इसको लेकर सचेत रहना चाहिए और सही जानकारी लेनी चाहिए।
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