बुधवार, अप्रैल 24, 2024
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मोदी सरकार के सत्ता में आते ही भारत ने वर्ल्ड बैंक को चुका दिए सारे कर्ज? यहां पढ़ें हमारी पड़ताल

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Claim:

For 70 years India was the biggest borrower at the World Bank, once every Indian born was a debtor, the things which great economists couldn’t do, a chaiwala did it, he changed India’s & every Indian’s fate,

@narendramodi did it in just 6 years as PM #UNLoanCleared #ModiHaiToMumkinHai

70 वर्षों तक भारत वर्ल्ड बैंक का सबसे बड़ा कर्ज़दार था, कभी प्रत्येक भारतीय कर्ज़दार हुआ करता था, वो काम जो महान अर्थ शास्त्री नहीं कर पाए वो एक चाय वाले ने कर दिखाया, उसने भारत और भारत के भविष्य को बदल दिया। नरेंद्र मोदी ने सिर्फ 6 वर्षों में कर दिखाया।

Investigation:

सोशल मीडिया में एक दावा बहुत ही तेजी से वायरल हो रहा है जिसमे यह बताया गया है कि कैसे 70 वर्षों से हर एक भारतवासी वर्ल्ड बैंक का कर्ज़दार था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैसे सिर्फ 6 वर्षों में ही वर्ल्ड बैंक का सारा कर्ज चुकता कर भारत को इस कर्ज से मुक्त कर दिया है। इतना ही नहीं इस वायरल दावे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी सवाल किया जा रहा है कि आखिर अर्थशास्त्र की इतनी अच्छी समझ होने के बावजूद वह यह कारनामा क्यों नहीं कर पाए। चूंकि दावा बहुत ही तेजी से वायरल हो रहा था और दावे में कई तरह के डेटा विश्लेषणों के परिणाम निहित थे अतः हमने त्रुटि की आशंका या यूं कहें त्रुटि की सम्भावना में इस दावे पर अपनी पड़ताल शुरू किया।


सैयद अकबरुद्दीन के ट्वीट का सच

जैसा कि आप सभी जानते हैं, हम किसी भी दावे के प्रथम चरण में दावे के पूर्ण विश्लेषण करते हैं और उसके बाद अधिकांशतः दावे को सही मानते हुए इसमें मौजूद कंटेंट को ही कीवर्ड के तौर पर इस्तेमाल करते हैं तो अपनी स्वनिर्धारित परंपरा का निर्वहन करते हुए जब हमने दावे का विश्लेषण शुरू किया तो हमें यह पता चला कि दावे में संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन का एक ट्वीट भी मौजूद है जिसके बिनाह पर यह दावा किया जा रहा है। तो अब इस दावे की पड़ताल करने से पहले सबसे पहले सैयद अकबरुद्दीन के इस ट्वीट का सच जान लेना मुनासिब लगा।

अब अपने पूर्व के अनुभवों के आधार पर हमें यह पता था कि सैयद अकबरुद्दीन की सोशल मीडिया पर ना सिर्फ मौजूदगी है बल्कि वह भारत और संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़ी जानकारियों को काफी प्रमुखता से सोशल मीडिया पर शेयर भी करते हैं। तो अब हमने सैयद अकबरुद्दीन के ट्विटर हैंडल को खंगालना शुरू किया. इसके लिए हमने ऊपर तस्वीर में दिए गए कीवर्ड्स की सहायता से ही ट्विटर एडवांस सर्च टूल का सहारा लेते हुए दावे के सोर्स तक पहुँचने का प्रयास किया।

बतातें चलें हमें अपनी इस पड़ताल में पता चला कि सैयद अकबरुद्दीन के जिस ट्वीट की तस्वीर उक्त दावे में इस्तेमाल की गई है वो सत्य है मतलब सैयद अकबरुद्दीन ने यह ट्वीट सच में किया था।

अपनी जिज्ञासावस हमने सैयद अकबरुद्दीन के ट्विटर हैंडल पर किसी और जानकारी की उम्मीद में उनके हैंडल को खंगालना शुरू किया. हमें उनके ट्विटर टाइम लाइन पर इस संदर्भ में कई ट्वीट्स प्राप्त हुए।

सैयद अकबरुद्दीन के द्वारा किए गए ट्वीट पर एक पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक सहित अन्य यूजर्स ने कुछ आपत्ति जताई थी जिसके बाद सैयद अकबरुद्दीन ने उसका जवाब देते हुए बताया था कि उन्होंने भुगतान के संबंध में जो ट्वीट किया था वह यूएन के सदस्य देशों द्वारा यूएन को उसके रखरखाव या अन्य ख़र्चों के भुगतान के मद में नियमित रूप से दिए जाने वाले एक नियमित शुल्क के संबंध में था ना कि किसी अन्य कर्ज या किसी भी तरह के अन्य भुगतान से।

यूएन को भारत द्वारा किये गए भुगतान का सच

आपको बता दें कि यूएन अपने सदस्य देशों द्वारा दिए गए सहायता राशि के माध्यम से अपना रखरखाव करता है और चूंकि भारत भी यूएन का एक सदस्य देश है तथा भारत द्वारा यूएन के रखरखाव के इसी भुगतान के संबंध में सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट किया था जिसे भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स ने भारत द्वारा वर्ल्ड बैंक के सारा कर्ज भुगतान के तौर पर लिया तथा कुछ पाकिस्तानी ट्विटर यूजर्स ने इसे अपने देश की हीनता के रूप में लेकर सैयद अकबरुद्दीन पर दुष्प्रचार का आरोप लगाया था।

विश्व बैंक द्वारा भारत को दिए गए कर्ज की पूरी पड़ताल

अब यह तो साबित हो चुका था कि सैयद अकबरुद्दीन के जिस ट्वीट के हवाले से भारत द्वारा वर्ल्ड बैंक के सभी कर्जों के भुगतान का दावा किया जा रहा था वह मूलतः वर्ल्ड बैंक के विषय में था ही नहीं। तो अब हमने यह पता लगाने का प्रयास किया कि भारत के ऊपर क्या सच में वर्ल्ड बैंक का कोई कर्ज नहीं है और अगर है तो कितना है. इसी क्रम में जब हमने “loan given to india by world bank” कीवर्ड की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमें कई महत्वपूर्ण लिंक्स मिलें। बता दें वर्ल्ड बैंक द्वारा भारत को दिए गए लोन के संबंध में वर्ल्ड बैंक वेबसाइट की सबसे पहली लिंक जो हमें मिली वह कार्यरत नहीं है।

विश्व बैंक द्वारा भारत को मुहैया कराये गए कर्ज का संक्षिप्त विवरण

इसके बाद हमने गूगल की सहायता से यह जानने का प्रयास किया कि वर्ल्ड बैंक ने भारत को कितना कर्ज दिया है। अपनी पड़ताल के दौरान हमें वर्ल्ड बैंक द्वारा देशों को कर्ज देने के संबंध में कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिली जैसे यूएन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के माध्यम से हमें यह पता चला कि यूएन ने कुल कितना कर्ज दिया है और इस वर्ल्ड बैंक की वेबसाइट पर इस लिंक से हमें यह पता चला कि वर्ल्ड बैंक द्वारा भारत में अभी कितने प्रोजेक्ट्स संचालित हैं और उन कुल प्रोजेक्ट्स पर कुल कितनी लागत लगी है या लगने की उम्मीद है तथा हमें यह भी पता चला कि वर्ल्ड बैंक द्वारा भारत को दिए गए प्रत्येक लोन के भुगतान की समय सीमा निर्धारित होती है।

2019 में विश्व बैंक ने भारत को कितना दिया कर्ज?

हमने वर्ल्ड बैंक द्वारा भारत को दिए गए कर्ज के संबंध में अपनी पड़ताल जारी रखी। अपनी पड़ताल के दौरान हमें एक अहम जानकारी हासिल हुई जिसमे यह बताया गया है इस बार भारत को वर्ल्ड बैंक द्वारा 3.30 बिलियन यूएस डॉलर का कर्ज दिया गया है। तो अब दावे के अनुसार भारत के ऊपर कोई कर्ज ना होने का दावा तो झूठा साबित हो चुका था फिर भी हमने इस संबंध में पूरी जानकारी के लिए अपनी पड़ताल जारी रखी।

विश्व बैंक द्वारा भारत को दिया गया हालिया क़र्ज़

अपनी पड़ताल के दौरान हमें वर्ल्ड बैंक के इस प्रेस रिलीज़ से यह भी पता चला कि इसी वर्ष जून में भारत और वर्ल्ड बैंक के बीच एक लोन एग्रीमेंट हुआ था जिसके अनुसार भारत को वर्ल्ड बैंक के द्वारा टीबी यानि क्षय रोग से लड़ने के लिए 400 मिलियन डॉलर्स का कर्ज मिला है।

अब अपनी पड़ताल के दौरान हमने वर्ल्ड बैंक के भारत को दिए गए कर्ज राशि के संबंध में मौजूद डाटा के अध्ययन के प्रयास में एक महत्वपूर्ण लिंक मिला जिसमे यह बताया गया है कि वर्षवार भारत पर वर्ल्ड बैंक का कितना कर्ज रहा है।

हमारी पड़ताल में यह साबित हो गया कि भारत अभी वर्ल्ड बैंक के कर्ज से मुक्त नहीं हुआ है। हम अपने पाठकों को बताना चाहते हैं कि सोशल मीडिया नफरत, गलत या अधूरी जानकारी और अफ़वाह के अलावा जानकारी का भी एक बहुत ही सरल माध्यम है इसलिए हम अपनी पड़ताल में प्रायः यह दर्शाते रहते हैं कि कैसे हमने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे किसी दावे को सोशल मीडिया पर ही मौजूद तथ्यों की सहायता से सत्यापित किया।

Tools Used:

  • Google Search
  • Twitter Advanced Search
  • Archive

Result: False

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Saurabh Pandey
Saurabh Pandey
A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

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