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हिन्दू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं पर हुए लाठी चार्ज की एक साल पुरानी क्लिप भ्रामक दावे के साथ वायरल

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उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निवास पर धरने पर बैठे बेरोजगार युवाओं पर पुलिसकर्मियों ने भांजी लाठिया।

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ट्विटर पर CPभाईYADAV नामक हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो में दिख रहा है कि पुलिसकर्मी युवाओं की भीड़ को दौड़ा-दौड़ाकर उन पर लाठियां भान्ज रहे हैं। पोस्ट में दावा किया गया है उत्तर प्रदेश के बेरोज़गार युवा मुख्यमंत्री निवास के पास धरने पर बैठे थे। लेकिन पुलिस ने उनपर लाठियां चलाई और वहां से भगा दिया। 
 
हमनें इस ट्वीट को लेकर पड़ताल शुरू की तो ट्विटर पर यही दावा करने वाला एक और पोस्ट मिला।
इस ट्वीट के अलावा फेसबुक पर भी हमें  यही दावा करने वाला पोस्ट मिला।
 
 
ट्विटर और फेसबुक पर वायरल हो रहे इस पोस्ट में पूरी जानकारी नहीं थी इसलिए हमनें गूगल खंगाला। कुछ कीवर्ड्स की मदद से बेरोजगार युवाओं पर लाठीचार्ज को लेकर खबरें ढूँढना शुरू किया। खोज के दौरान हमें पिछले साल 4 नवंबर को पत्रिका में छपी खबर मिली। खबर के मुताबिक आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया था कि सहायक अध्यापक के 68500 पदों की भर्ती के लिए प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज किया गया।
 

लेकिन यह खबर पिछले साल की थी इसलिए हमनें पड़ताल को जारी रखा और वायरल वीडियो की सच्चाई जानने की कोशिश की। खोज के दौरान हमें पिछले साल का ANI का ट्वीट मिला जिसमें इस वीडियो के कुछ अंश देखने को मिलते हैं।
ANI के ट्वीट के मुताबिक हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता अपने साथियों पर हमला करने वालों की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी ऑफिस पर प्रदर्शन कर रहे थे।
लोगों के हुजूम को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। यह खबर उस समय ज़ी न्यूज समेत कई मीडिया चैनलों और समाचार पत्रों में छपी थी।

 
इससे साफ होता है कि हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं पर किए गए लाठीचार्ज के वीडियो को सोशल मीडिया में बेरोजगारों के प्रदर्शन का वीडियो बताकर वायरल किया जा रहा है। बता दें कि यह वीडियो यूपी के मुख्यमंत्री के नाम के साथ-साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री निवास के नाम भी वायरल हो रहा है। वहीं पिछले साल भी अलग-अलग दावों के साथ यही वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। 
 
 
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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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