गुरूवार, मार्च 28, 2024
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क्या मोदी सरकार ने 350 सवर्ण IAS अफसरों की लेटरल एंट्री से की नियुक्ति?

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim
बिना परीक्षा दिये 350 सवर्णों को IAS बना दिया गया और SC,ST,OBC वालो को भी निराश नही किया काँवड यात्रा के दौरान DJ बजाने की छूट दी है। 
 
Verification
मोदी सरकार पर कटाक्ष करता हुआ एक सन्देश सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल किया जा रहा है। सन्देश का दावा है कि मोदी सरकार ने बिना कोई एग्जाम लिए लेटरल एंट्री द्वारा 350 सवर्णों को आईएएस अफसर के पद पर नियुक्त कर दिया और SC,ST, OBC को कावड़ यात्रा का झुनझुना दे दिया।
वायरल हो रहे इस दावे के साथ हमे ट्विटर पर ऐसे ही एक और दावे का लिंक मिला
हमने दावे की सत्यता जानने के लिए IAS से जुड़ी  ख़बरों को गूगल पर खंगालना शुरू किया जहां हमें सबसे पहले अमर उजाला के साल 2018 का एक लेख से यह पता चला कि अब बिना कोई एग्जाम के ही सरकार IAS अफसर की नियुक्ति कर सकती है।
खोज के दौरान हमें इकोनॉमिक्स टाइम्स का एक लेख प्राप्त हुआ जहां अभी तक लेट्रल एंट्री से नियुक्त किये गए सभी IAS अफसरों की पूरी जानकरी प्रकाशित हुई है। जिसके मुताबिक निजी क्षेत्र से लेट्रल एंट्री द्वारा IAS अफसरों की नियुक्ति के लिए कुल 6077 आवेदन पत्र आये थे जिनमें से कुल 9 IAS अफसरों की नियुक्ति केंद्र सरकार ने 9 अलग-अलग विभागों के ‘संयुक्त सचिव’ के पद पर की है। वायरल सन्देश में किये गए 350 IAS अफसरों वाले दावे की तह तक जाने के लिए हमने गूगल पर सन्देश को और बारीकी से खोजा जहां हमें मनी भास्कर का लेख प्राप्त हुआ।
लेख में ‘निति आयोग’ ने डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर लेटरल एंट्री से होने वाली नियुक्ति की सूचना जारी की है। निति आयोग ने अभी पदों की संख्या की जानकारी लिखित तौर पर कहीं नहीं दी है। पदों की पूरी जानकारी सरकारी वेबसाइट कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय से ली जा सकेंगी। सभी लेखों को पढ़ने के बाद वायरल हो रहे सन्देश का दावा भ्रामक साबित हुआ।
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Result- Misleading

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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