Claim–
जहां मुस्लिम ज्यादा हों हमने कभी नहीं देखा कि वहाँ भीड़ ने किसी हिन्दू को मारा दिया हो लेकिन जहाँ हिन्दू की संख्या ज्यादा वहाँ रोज किसी मुस्लिम को मारा जाता है।
Verification-
फेसबुक पर पटियाला अधीक्षक हरमीत सिंह की तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान बताया कि “जहाँ मुस्लिम ज्यादा हों हमने कभी नहीं देखा कि वहाँ भीड़ ने किसी हिन्दू को मार दिया हो लेकिन जहाँ हिन्दू की संख्या ज्यादा वहाँ रोज किसी मुस्लिम को मारा जाता है। “
हमने पोस्ट में दिए गए दावे की जाँच के लिए अपनी पड़ताल आरम्भ की जहां सबसे पहले हमने पटियाला अधीक्षक के नाम का पता लगया। इस दौरान पटियाला की पुलिस डायरेक्टरी से पता चला कि वहां के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनदीप सिंह सिद्धू हैं।
साथ ही पटियाला के पुलिस डायरेक्टरी से हमें अन्वेषण अधीक्षक का नाम हरमीत सिंह प्राप्त हुआ, जिसके नाम से खोजने पर हमें पता चला कि यह हरमीत सिंह हुंदल है जिनकी तस्वीर वायरल पोस्ट वाले हरमीत सिंह से मेल नहीं खाती थी ।
लिहाजा हमने बारीकी से पोस्ट की जाँच प्रारम्भ की इस दौरान हमारी नजर पुलिस अधिकारी के पीछे दिख रहे लोगो पर गई।
तस्वीर के धुंधला होने के कारण लोगो की शिनाख़्त कर पाना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा था। लेकिन लोगो को बारीकी से देखने पर हमें वह जम्मू-कश्मीर के लोगो जैसा प्रतीत हुआ। जिसके बाद हमने पंजाब पुलिस के लोगो की जाँच की।
COMPARISON
इसके बाद हमने तस्वीर वाले लोगो और जम्मू- कश्मीर के लोगो की तुलना करने पर हमें दोनों लोगों एक सामान प्राप्त हुए।
लोगो की तुलना से यह साफ़ हो गया था कि तस्वीर में दिखने वाले पुलिस अधिकारी पंजाब से नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर से हैं। अब हमें इस बात का पता लगाना था कि उक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस कब की है साथ ही पोस्ट में वायरल हो रहे दावे की सच्चाई क्या है?
खोज के दौरान साल 2017 में ANI द्वारा पोस्ट किये एक ट्वीट में वायरल तस्वीर से संबंधित एक खबर प्राप्त हुई।
ट्वीट के मुताबिक पत्थरबाजी के अपराध में सोपोर पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसकी जानकारी के लिए उक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस हरमीत सिंह द्वारा की गई थी। इसके उपरान्त हमें उन 12 लोगों की गिरफ्तारी वाली खबर ANI के ट्वीट के में प्राप्त हुई।
इन सभी तथ्यों को बारीकी से परखने पर हमें यह पता चला कि उक्त तस्वीर पटियाला SP की नहीं है। साथ ही यह तस्वीर साल 2017 की है जिसे इन दिनों भ्रामक दावे के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
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