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पारिवारिक कलह से की गई आत्महत्या की वर्षों पुरानी तस्वीर कोरोना से जोड़कर गलत दावे के साथ हुई वायरल

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim-

सूरत से आ रहे थे पैदल,भूख बर्दाश्त नहीं हुआ तो सुसाइड कर लिए। इसकी जिम्मेदार भारत सरकार? प्रधानमंत्री का राहत कोष पैसे दे रहा है। लेकिन क्या राहत लोगों तक पहुंच रही है? अगर पहुंच रही है तो लोग आत्महत्या करने पर मजबूर क्यों हैं?

जानिए वायरल दावा- 

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर हो रही है जहां एक दंपत्ति और उनके बच्चे को पेड़ से फांसी पर लटकते हुए देखा जा सकता है दावा किया जा रहा है कि यह परिवार सूरत से पैदल अपने घर को वापस लौट रहे थे लेकिन रास्ते में भूख और प्यास से बेहाल होने पर उन्होंने आत्महत्या कर ली।  

Verification-

पूरे देश में लॉकडाउन के कारण देश के कई राज्यों में फंसे हजारों  प्रवासी मजदूर अपने-अपने घरों  को वापस लौटने की जद्दोजहद में हैं। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में मज़दूर वर्ग का एक बड़ा तबका पैदल ही अपने घर को लौटने पर विवश हो गया है। ऐसे में देश के कोने-कोने में अपने घर को वापस लौटने के लिए संघर्ष कर रहे मज़दूरों की ख़बरें मीडिया में खूब प्रसारित हुईं। इसी  बीच पेड़ से फांसी पर लटकते हुए एक परिवार की तस्वीर शेयर कर दावा किया जा रहा है कि पैदल घर लौट रहे एक मज़दूर परिवार ने भूख-प्यास से बेहाल हो कर आत्महत्या कर ली। दावे को सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर खूब शेयर किया गया है।  

उक्त तस्वीर के साथ वायरल हो रहे दावे की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। जहां हमने तस्वीर को गूगल पर खोजा। इस दौरान हमने पाया कि तस्वीर को सैकड़ों बार अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया है।

खोज के दौरान हमें एक यूट्यूब चैनल पर साल 2019 में वायरल तस्वीर यूट्यूब थंब के रूप में इस्तेमाल की हुई मिली।  

साल 2019 में एक यूट्यूब थंब में मिली इस वायरल तस्वीर से यह स्पष्ट हो गया था कि वायरल तस्वीर इन दिनों की नहीं है इसलिए तस्वीर की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने बारीकी से गूगल पर खोजा। 

खोज के दौरान हमें फेसबुक पर एक पोस्ट प्राप्त हुआ जहां इस बात की जानकारी दी गयी है कि यह तस्वीर गलत दावे के साथ शेयर की जा रही है असल में यह घटना महाराष्ट्र के वर्धा जिले की है। जहां एक व्यक्ति ने साल 2018 में परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा बेरोज़गारी पर दिए जा रहे तानों से तंग आकर अपनी पत्नी और बच्चे के साथ आत्महत्या कर ली थी।

फेसबुक पर मिली इस जानकारी के मुताबिक हमने प्राप्त खबर को कुछ कीवर्ड्स के माध्यम से गूगल पर खोजा। पड़ताल के दौरान हमें दैनिक जागरण की वेबसाइट पर जून साल 2018 को मराठी भाषा में प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ जहां वायरल तस्वीर प्राप्त हुई।  

लेख की मराठी भाषा को समझने के लिए हमने Google translator की मदद ली जहां से हमें पता चला कि बेरोज़गारी के दौरान अनिल नारायण नामक युवक को उनके परिवार सदस्यों द्वारा दिए जा रहे तानों से तंग आकर उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चे समेत आत्महत्या कर ली थी। 

पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए हमने वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन किया जहां हमने पाया कि वायरल हो रही तस्वीर का लॉकडाउन से कोई संबंध नहीं। दरअसल तस्वीर साल 2018 में खींची गयी जब महाराष्ट्र के वर्धा जिले के एक व्यक्ति ने परिवार वालों के द्वारा दिए जा रहे तानों से तंग आकर अपनी पत्नी और बच्चे समेत आत्महत्या कर ली थी।   

Tools Used 

Google Search 

Reverse Image search 

Result: Misleading

(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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