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Coronavirus
देश में पलायन कर रहे मजदूरों की कहानियां हर चैनल और अखबार में दिखाई जा रही हैं। एक हाथ में बच्चों और दूसरे हाथ में सामान उठाए पैदल ही गांव जा रहे इन मज़दूरों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। इनमें से एक तस्वीर बहुत ज्यादा शेयर की जा रही है। तस्वीर में एक व्यक्ति बुजुर्ग महिला को अपने कंधे पर उठाकर चला जा रहा है।
इस तस्वीर को दलित कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से शेयर कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग कर सवाल किया गया है।
ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
फेसबुक पर भी इस तस्वीर को शेयर किया जा रहा है जिसे नीचे देखा जा सकता है।
इस तस्वीर को हमने Google Reverse Image Search पर डाल कर इसके बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की।
Google Reverse Image Search की मदद से हमें पता चला कि यह तस्वीर हाल की नहीं बल्कि पुरानी है। Pressenza नाम की एक एजेंसी द्वारा इस तस्वीर को नवंबर 2017 में अपलोड किया गया था।
एजेंसी के मुताबिक यह तस्वीरें बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार पहुंच रहे रोहिंग्या रिफ्यूजियों की है। TinEye पर तस्वीर को खोजने पर पता चला कि यह तस्वीर सितंबर 2017 में डाली गई थी।
Yandex पर सर्च करने पर हमें अज़ीज़ नूर नाम के एक यूज़र द्वारा 8 सितंबर 2017 को किये गए ट्वीट में एक वीडियो मिला। इस वीडियो में हमें वही शख्स दिखा जिसकी तस्वीर शेयर की जा रही है। वीडियो में एक शख्स को कहते सुना जा सकता है। जो बांग्ला में कह रहा है कि “आप देख सकते हैं रोहिंग्या शरणार्थी बॉर्डर पार कर के आ रहे हैं”। इस वीडियो को नीचे देखा जा सकता है।
इससे साफ हो जाता है कि बुजुर्ग महिला को कंधे पर उठाकर चल रहे शख्स की तस्वीर भारत की नहीं है। बल्कि बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या शर्णार्थियों की है।
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