रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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साल 2021 में गलत जानकारी के ट्रेंड में आगे रहे राजनीति, धर्म और COVID-19

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Pankaj Menon is a fact-checker based out of Delhi who enjoys ‘digital sleuthing’ and calling out misinformation. He has completed his MA in International Relations from Madras University and has worked with organisations like NDTV, Times Now and Deccan Chronicle online in the past.

हिन्दी अनुवाद: Preeti Chauhan

रोमन काल से लेकर रूस के शीत युद्ध तक, भ्रामक जानकारियां हमेशा से ही राजनीतिक फायदा पहुंचाने का एक सक्रिय टूल रही हैं। हालांकि, यह मापना मुश्किल है कि इस तरह की कितनी गलत जानकारियां हमारे आस-पास फैली हुई हैं, लेकिन सोशल मीडिया के इस दौर में हम यह पता लगा सकते हैं कि इन गलत जानकारियों का क्या ट्रेंड है या फिर यह किस बारे में हैं। 

बीता साल (2021) भी फ़ेक न्यूज़ (Fake News) से अछूता नहीं रहा। साल 2021 में भी कई तरह की गलत जानकारियां देखने को मिलीं, फिर चाहे वो डेल्टा वेरियंट द्वारा फैली महामारी हो, पश्चिम बंगाल के चुनाव हों, अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी हो और या फिर देश के पहले CDS जन. बिपिन रावत की मृत्यु। 

साल 2021 में Newschecker द्वारा 9 भाषाओं में करीब 2800 दावों की जांच की गई। जांच के इन आंकड़ों का गहन अध्य्यन करने पर पाया गया कि कुछ विषयों से संबंधित फ़ेक न्यूज़, साल के कुछ महीनों में ही देखने को मिली। जैसे कि किसानों का प्रदर्शन लगभग पूरे साल चर्चा में रहा। किसान आंदोलन पर हमें लगभग 200 फ़ेक दावे मिले, जिनमें से ज्यादातर दावे (132 दावे) जनवरी और फ़रवरी में वायरल हुए थे। यह वही महीने थे जब किसान आंदोलन अपने चरम पर था और इसके समर्थन में रिहाना और ग्रेटा थनबर्ग जैसे विदेशी सिलेब्रिटी भी आ गए थे।

Coronavirus से संंबंधित फ़ेक न्यूज़

Covid misinformation

लगातार दूसरे साल भी कोरोना वायरस का कहर जारी रहा, इसके उपचार और वैक्सीन से जुड़ी लगभग 210 नई भ्रामक जानकारियां साल 2021 में  देखने को मिलीं। Newschecker की 2020 की सालाना रिपोर्ट में कोरोना वायरस महामारी से जुड़े दावों की संख्या 398 थी। 

कोरोना वायरस से जुड़ी गलत जानकारियां वैसे तो पूरे साल देखी गईं, लेकिन अप्रैल और जुलाई महीने में इनकी संख्या में भारी इजाफा दर्ज किया गया। महज इन दो महीनों में Newschecker ने इससे जुड़े 120 फ़ेक दावों का पर्दाफाश किया। इसी दौरान भारत, डेल्टा वेरियंट के कारण आई COVID-19 की दूसरी लहर से लड़ रहा था। 

करेंट अफ़ेयर्स से जुड़ी भ्रामक जानकारियां

अन्य मामलों से जुड़ी फ़ेक न्यूज़ समयानुकूल ही रहीं, जैसे कि अफगानिस्तान में हुए तख्तापलट से जुड़े फ़ेक दावे केवल अगस्त और सितंबर 2021 में ही वायरल हुए (82 में से 80)। इससे पता चलता है कि तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के कुछ हफ्ते बाद लोगों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। वहीं, चक्रवात से जुड़ी गलत जानकारियां (10 मामले) मई महीने में आई जब देश में यास और ताउते तूफान ने दस्तक दी थी। 

सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश

साल 2021 में ही हमने कवर्धा, बांग्लादेश और त्रिपुरा में हुए सांप्रदायिक हिंसा के मामले भी देखे। अक्टूबर और नवंबर में हुई इन घटनाओं पर सोशल मीडिया पर चल रही चर्चा पर Newschecker ने कड़ी निगरानी करते हुए पाया कि यहां भी सांप्रदायिक लपटों को हवा देने का काम किया जा रहा था।

वह ट्विटर अकाउंट जिससे बांग्लादेश के नाम पर भ्रामक वीडियो शेयर किए गए।

ऐसा ही एक मामला तब सामने आया जब एक आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से कुछ भड़काऊ बयान और वीडियो पोस्ट किए गए। Newschecker ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह अकाउंट जिस बांग्लादेश हिंदू संस्था के नाम पर बनाया गया था, दरअसल उनका था ही नहीं। Newschecker की शिकायत के बाद यह अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया। 

दिल्ली में ली गई एक हादसे में जली हुई क़ुरान पकड़े दो युवकों की तस्वीर जिसे त्रिपुरा का बताया गया।

इसी तरह के कई फर्जी अकाउंट इस दौरान सक्रिय होकर सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला कॉन्टेंट डालते पाए गए।

चुनाव और भ्रामक जानकारियां: पश्चिम बंगाल चुनाव से जुड़े रहे ज्यादातर फैक्ट चेक

बीते साल चार प्रमुख राज्यों में जनता द्वारा नई सरकार का गठन हुआ, Newschecker द्वारा किया गया विश्लेषण बताता है कि चुनाव से जुड़ी ज्यादातर गलत जानकारियां (81 मामले) पश्चिम बंगाल से संबंधित रहीं। वहीं, यूपी-उत्तराखंड में भले ही चुनाव फ़रवरी में होने हैं, लेकिन इससे जुड़े दावे 2021 से ही वायरल हो रहे हैं। 

ग़लत जानकारी के विभिन्न प्रकार

Newchecker ने सभी गलत/भ्रामक दावों का अध्ययन कर इन्हें अलग-अलग वर्ग में विभाजित किया है, ताकि इनके पीछे के ट्रेंड या नेरेटिव को समझा जा सके। यह विभाजन छह (6) रूपों में किया गया है; भ्रामक (Misleading), गलत संदर्भ (Misplaced Context), मेनिप्यूलेटिड मीडिया (Manipulated Media), आंशिक रूप से गलत (Partly False), आंशिक रूप से सही (Partly True) और सही।  

Newschecker द्वारा दर्ज किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि सबसे ज्यादा गलत जानकारियां भ्रामक वर्ग (43%) में थीं. बिल्कुल ही गलत जानकारियां 31% रहीं जबकि तीसरे स्थान पर गलत संदर्भ (8%) के अंतर्गत दावे पाए गए। 

ग़लत जानकारी किस बारे में फैलाई गई?

यह ग़लत जानकारियां कितने प्रकार की थीं यह जानने के बाद, यह जानना भी जरूरी है कि इनके विषय क्या थे? 2021 में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी में निर्णायक चुनाव हुए। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चुनाव अभी होने हैं, शायद यही वजह है कि Newschecker को मिले दावों में राजनीति से जुड़े दावे अधिक (39%) थे। वहीं, गलत जानकारियों में दूसरा सबसे चर्चित विषय धर्म (10%) था. इसके बाद 9% दावे सरकार के कामकाज से जुड़े थे। गौर करने की बात यह है कि 2021 में कोरोनावायरस से जुड़े केवल 8% ही फ़ेक दावे देखने को मिले

ग़लत जानकारियां किस रूप में शेयर की गईं?

बीते साल Newschecker द्वारा किए गए करीब 2800 फैक्ट चेक के विश्लेषण से पता चलता है कि गलत जानकारी फैलाने का सबसे लोकप्रिय तरीका रहा, टेक्स्ट वाली तस्वीरें (47%), वहीं टेक्स्ट के साथ किए गए भ्रामक/फ़ेक दावे वीडियो के साथ 19% के साथ दूसरे नंबर पर रहे।

Newschecker ने सबसे ज्यादा फ़ैक्ट चेक हिन्दी में किए

2021 में Newschecker द्वारा किए 2800 फैक्ट चेक का विश्लेषण बताता है कि सबसे ज्यादा दावों की पड़ताल हिंदी भाषा (30%) में की गई, इसके तामिल (17%) और अंग्रेजी भाषा (12%) में फ़ैक्ट चेक किए गए।

इस रिपोर्ट को आप अंग्रेजी में यहां पढ़ सकते हैं।


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Pankaj Menon is a fact-checker based out of Delhi who enjoys ‘digital sleuthing’ and calling out misinformation. He has completed his MA in International Relations from Madras University and has worked with organisations like NDTV, Times Now and Deccan Chronicle online in the past.

Pankaj Menon
Pankaj Menon is a fact-checker based out of Delhi who enjoys ‘digital sleuthing’ and calling out misinformation. He has completed his MA in International Relations from Madras University and has worked with organisations like NDTV, Times Now and Deccan Chronicle online in the past.

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