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सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि किसानों का साथ देने के लिए 200 पुलिसकर्मियों ने इस्तीफा दे दिया है। पोस्ट में लिखा है गया है क्या किसान + जवान की जोड़ी आंदोलन को विजयी रूप देने के मुक़ाम पर है क्योंकि दिल्ली पुलिस में बगावत 200 पुलिसकर्मी बने बागी दिया सामूहिक इस्तीफा।
पोस्ट से जुड़ा आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। लेकिन हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली कि दिल्ली पुलिस के पुलिसकर्मी किसानों का समर्थन कर रहे हैं। बल्कि सर्च के दौरान हमें पता चला कि 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस किसानों पर जोरों-शोरों से कार्रवाई कर रही है।
26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद दिल्ली पुलिस ने 25 FIR दर्ज की हैं। साथ ही 9 किसान नेताओं को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था, जिसे से एक भी नेता ने स्वीकार नहीं किया। इस पर अब दिल्ली पुलिस कड़ी कार्रवाई करने जा रही है।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने एक बार फिर से गूगल पर सर्च किया। हमने इस पोस्ट से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट्स भी सर्च करने की कोशिश की। लेकिन किसी भी मीडिया रिपोर्ट में हमें ये खबर नहीं मिली की दिल्ली पुलिस के 200 पुलिसकर्मियों ने इस्तीफा दे दिया है और अब वो किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। जबकि ये एक बड़ी खबर है। सर्च के दौरान हमें सिर्फ दिल्ली पुलिस की किसानों पर कार्रवाई की ही रिपोर्ट्स मिली।
मामले में हमने दिल्ली पुलिस कमिश्नर SN Shrivastava के सोशल मीडिया अकाउंट को भी चैक किया। लेकिन वहां भी हमें इस वायरल पोस्ट से जुड़ा कोई बयान नहीं मिला। मगर सर्च के दौरान हमें एसएन श्रीवास्तव का दिल्ली पुलिसकर्मियों को लिखा हुआ एक भावुक पत्र मिला। जिसमें वो दिल्ली पुलिस के जवानों के संयम की सराहना कर रहे हैं। साथ ही यह भी कह रहे हैं कि आने वाले दिन और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगें, तो अपनी सूझबूझ का परिचय दें।
हमने दिल्ली पुलिस के पीआरओ अनिल मित्तल से इस बारे में बातचीत की। इस वायरल पोस्ट को लेकर अनिल मित्तल का कहना है कि दिल्ली पुलिस के किसी भी जवान ने न तो इस्तीफा दिया है और न ही कोई भी किसान आंदोलन से जुड़ा है। ये दावा पूरी तरीके से फेक है।
Conclusion
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक दिल्ली पुलिस के 200 पुलिसकर्मियों ने न ही इस्तीफा दिया है और न ही किसान आंदोलन से जुड़े हैं। गलत दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
Result: Misleading
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