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क्या रेलवे ने की थी प्रवासी मज़दूरों के लिए जन साधारण नामक विशेष ट्रेन चलाने की घोषणा? ABP माझा ने छापी भ्रामक रिपोर्ट

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim

दक्षिण भारत में फंसे हज़ारों मज़दूरों को घर वापस भेजने के लिए ‘South Central Railway’ ने ‘जन साधारण’ नामक एक विशेष ट्रेन को चलाने का फैसला लिया है।  

जानिए वायरल दावा क्या है-  कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनज़र 21 दिनों से चल रहे लॉकडाउन की समय सीमा को 14 अप्रैल की सुबह 10 बजे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बढ़ाकर 3 मई 2020 तक कर दिया गया है। लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर ‘South Central Railway’ के डिप्टी मुख्य कमर्शियल प्रबंधक द्वारा उच्च प्रभागीय कमर्शियल प्रबंधक को लिखा गया एक पत्र शेयर होने लगा। पत्र में बताया जा रहा है कि हजारों फंसे हुए प्रवासियों और मज़दूरों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि इन सभी लोगों को उनके घर पहुंचाने के लिए ‘जन साधारण’ नामक एक विशेष यात्री ट्रेन चलाई जाएगी।

  

Verification

‘South central Railway’ के लेटरहैड पर ‘जन साधारण’ नामक विशेष ट्रेन चलाने का दावा करने वाले इस पत्र को ही महाराष्ट्र में हज़ारों मज़दूरों और प्रवासियों में मचे हड़कंप का कारण बताया जा रहा है जिसकी वजह से बांद्रा स्टेशन पर अपने-अपने घर वापस जाने के लिए लोग एकत्रित हो गए थे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस पत्र की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल शुरू की। अपनी पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले वायरल हो रहे पत्र की प्रमाणिकता जाँचने के लिए खोज शुरु की। इस दौरान हमें पत्रकार बर्खा दत्त द्वारा शेयर किया गया यही वायरल पत्र ट्विटर पर प्राप्त हुआ।

इसके साथ ही हमें India Today के वरिष्ठ पत्रकार ‘राजदीप सरदेसाई’ द्वारा किया गया ट्वीट भी मिला जो उन्होंने वायरल पत्र को अफ़वाह बताते हुए शेयर किया है।   

लेकिन इस खबर का स्त्रोत क्या है इस बात का पता लगाने के लिए हमने बारीकी से जाँच की। इस दौरान हमें ABP Majha पर प्रकाशित एक लेख में वायरल पत्र प्राप्त हुआ। Google Translator की सहायता से पता चला कि 14 अप्रैल 2020 की सुबह 11 बजकर 23 मिनट पर यह लेख राहुल कुलकर्णी नामक पत्रकार द्वारा प्रकाशित किया गया था। जहां यह बताया गया है कि फंसे हुए हजारों मज़दूरों और प्रवासियों को उनके घर भेजने के लिए दक्षिण रेलवे द्वारा ‘जन साधारण’ नामक ट्रेन चलाई जाएगी। हालांकि लेख को एडिट कर दिया गया है। लेकिन लेख के आर्काइव वर्जन को दिए गए लिंक में देखा जा सकता है।    

इसके बाद मामले की पुष्टि के लिए हमने ‘South Central Railway’ की आधिकारिक वेबसाइट को खंगाला। जहां हाल ही में एक विज्ञप्ति के माध्यम से यह बताया गया है कि सभी ट्रेनों को मौजूदा हालातों के मद्देनज़र स्थगित कर दिया गया है।

इसके बाद हमने ट्विटर पर ‘South Central Railway’ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को भी खंगाला। इस दौरान रेलवे ने एक ट्वीट के माध्यम से स्पष्टीकरण देते हुए यह बताया है कि दक्षिण रेलवे के एक आंतरिक नियोजन संचार को भ्रम फ़ैलाने के लिए शेयर किया जा रहा है। हाल ही में ऐसी किसी भी विशेष ट्रेन को चलाने की कोई योजना नहीं है और सभी ट्रेनों को मौजूदा हालातों के मद्देनज़र स्थगित किया गया है।

इसके साथ ही रेल मंत्रालय ने भी ट्वीट कर इस खबर पर पुष्टि करते हुए बताया है कि 3 मई 2020 तक सभी यात्रियों की ट्रेनों को स्थगित किया गया है और किसी भी विशेष ट्रेन को चलाने की कोई योजना नहीं है।

इसके बाद हमें NDTV की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख से पता चला कि महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में पत्रकार राहुल कुलकर्णी पर FIR दर्ज की है और विनय दुबे नामक व्यक्ति पर IPC धारा 143 (unlawful assembly), 147 (punishment for rioting), 149 (every member of unlawful assembly guilty of offence committed in prosecution of common object), 188 (disobedience to order duly promulgated by public servant) और 186 (obstructing public servant in discharge of public functions) की धाराओं के तहत FIR दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। 

पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करने पर हमें पता चला कि  ‘South Central Railway’के लेटरहैड पर विशेष ट्रेनों के माध्यम से फंसे हुए प्रवासियों और मज़दूरों को उनके घर भेजने वाली योजना पर लिखा हुआ वायरल पत्र भ्रामक है। सरकार द्वारा ऐसी किसी भी विशेष ट्रेन को चलाने की कोई योजना नहीं है।  

Tools Used 

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Result-Misleading

(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044 या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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