15 जुलाई 2025 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर उन ख़बरों को खारिज कर दिया, जिनमें दावा किया गया था कि मंत्रालय ने समोसा और जलेबी सहित लड्डू जैसे पारंपरिक खाने की चीज़ों पर चेतावनी वाले लेबल लगाने का निर्देश दिया है. मंत्रालय ने साफ कहा कि ऐसी खबरें भ्रामक, ग़लत और निराधार हैं.
हाल के दिनों में, कई मीडिया आउटलेट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स में यह बात कही गई कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने समोसा, जलेबी और लड्डू जैसे पारंपरिक खाने को सिगरेट की तरह हानिकारक बताया है. कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि इन चीज़ों पर जल्द ही तंबाकू जैसे चेतावनी वाले लेबल लगाए जा सकते हैं.
मीडिया आउटलेट्स के के दावे
ज़ी न्यूज़, आज तक, वन इंडिया, जिस्ट और तत्व इंडिया जैसे कई प्लेटफॉर्म्स पर एक जैसे दावे सामने आए. इन रिपोर्ट्स में मोटे तौर पर कहा गया कि स्वास्थ्य मंत्रालय अब समोसा, जलेबी, पकौड़े जैसे फ़ूड आइटम्स पर सिगरेट जैसी चेतावनी लगाने की तैयारी में है.
इस बीच सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने सवाल उठाए कि जब पिज़्ज़ा, चाउमीन और बर्गर जैसे फास्ट फूड्स पर कोई चर्चा नहीं हो रही, तो केवल भारतीय फ़ूड कल्चर को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है?

अफ़वाह की शुरुआत कैसे हुई?
इस दावे की शुरुआत 21 जून 2025 को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी एक एडवाइजरी से हुई थी. इसका विषय था: “मंत्रालयों और दफ़्तरों में ‘तेल और चीनी’ से जुड़ी जानकारी वाले बोर्ड लगाने की सलाह, जिससे लोग हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं और मोटापा व दूसरी बीमारियों से बचें.”
एडवाइजरी में मंत्रालय ने बढ़ते मोटापे और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों को ध्यान में रखते हुए कुछ सुझाव दिए थे, जिसका मकसद था लोगों को ज़्यादा तेल, चीनी और प्रोसेस्ड फूड के नुक़सान और मोटापा और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों को लेकर जागरूक करना. लेकिन इस एडवाइजरी में कहीं भी समोसा, जलेबी या किसी ख़ास भारतीय परंपरागत खाने का ज़िक्र नहीं था.
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स्वास्थ्य मंत्रालय की यह एडवाइजरी भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों के सचिवों को संबोधित करते हुए जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि अपने मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों, कार्यालयों, स्वायत्त संस्थानों और अन्य सार्वजनिक संस्थाओं को यह निर्देश देने की कृपा करें कि वे निम्नलिखित उपायों को अपनाएं.
इसके बाद एडवाइजरी में तीन प्रमुख सुझाव दिए गए हैं:
- कैंटीन, लॉबी, मीटिंग रूम और दूसरी आम जगहों पर ‘तेल और चीनी’ से जुड़ी जानकारी वाले पोस्टर या डिजिटल बोर्ड लगाए जाएं, ताकि ज़्यादा तेल और चीनी के सेवन के नुक़सान को लेकर जागरूकता बढ़े.
- सरकारी लेटरहेड, लिफ़ाफे, नोटपैड, फ़ोल्डर और अन्य दस्तावेज़ों पर सेहत से जुड़े संदेश छापे जाएं, ताकि रोज़ाना लोगों को मोटापे से बचने की याद दिलाई जा सके.
- दफ्तरों में सेहतमंद खाने और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए. जैसे— ज़्यादा फल, सब्ज़ियां और कम वसा वाले खाने के विकल्प रखना, मीठे पेय और ज़्यादा तेल वाले स्नैक्स को सीमित करना, सीढ़ियों का इस्तेमाल बढ़ाना, छोटे व्यायाम ब्रेक कराना और पैदल चलने के लिए सुविधाएं देना.

स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस रिलीज़ में क्या कहा गया है?
मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर किए गए दावों से पैदा हुए भ्रम को दूर करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा 15 जुलाई को एक प्रेस रिलीज़ जारी की गई, जिसमें स्पष्ट किया गया कि मंत्रालय ने समोसा और जलेबी जैसे स्नैक्स पर चेतावनी लेबल लगाने का ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया है.
मंत्रालय ने कहा कि यह एक सामान्य एडवाइजरी है, जिसका उद्देश्य लोगों को खाने की चीज़ों में छिपे तेल और अतिरिक्त चीनी के बारे में जागरूक करना तथा लोगों को बेहतर भोजन विकल्प चुनने की याद दिलाना है. इसका मकसद किसी एक खास खाने-पीने की चीज़ों को निशाना बनाना नहीं, बल्कि पूरे तौर पर एक स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है.
इसमें फल, सब्ज़ी और कम वसा वाले भोजन को बढ़ावा देना, सीढ़ियों का इस्तेमाल करना, व्यायाम करना और ऑफिस में पैदल चलने के लिए रास्ते बनाना जैसे कुछ सुझाव भी दिए गए हैं.
मंत्रालय ने आधिकारिक तौर समोसा-जलेबी जैसे फूड्स पर चेतावनी लेबल लगाए जाने वाली खबरों को भ्रामक और ग़लत घोषित कर दिया.

क्या यह भारतीय स्ट्रीट फूड को टारगेट करता है?
नहीं. मंत्रालय ने यह साफ़ किया है कि यह एडवाइजरी किसी ख़ास भारतीय फ़ूड आइटम्स (जैसे समोसा-जलेबी) को टारगेट नहीं करती और न ही भारत के परंपरागत खान-पान की संस्कृति के ख़िलाफ़ है. यह केवल एक “behavioural nudge” यानी लोगों को स्वस्थ विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करने का एक तरीका है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम का हिस्सा
मंत्रालय ने यह भी बताया कि यह पहल उसके राष्ट्रीय कार्यक्रम “NP-NCD” (गैर-संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम) का हिस्सा है. इसका उद्देश्य मोटापा, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना है.
न्यूज़चेकर ने इस मामले में टिप्पणी के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव से संपर्क किया है. इसके अलावा, हमने एम्स नागपुर के निदेशक डॉ. प्रशांत पी जोशी से भी संपर्क करने की कोशिश की है, क्योंकि कुछ रिपोर्ट्स में यह कहा गया था कि इस मुहिम की शुरुआत एम्स नागपुर से हुई थी. उनकी प्रतिक्रिया मिलने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.