Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से शेयर किया जा रहा है। पोस्ट में टेक्स्ट के माध्यम से दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया है अब से हिन्दू महिला किसी मुस्लिम पुरुष से विवाह नहीं कर सकती है ।
फेसबुक पोस्ट का लिंक यहाँ देखें।
Fact check / Verification
फेसबुक पर वायरल हो रहे इस पोस्ट को सैकड़ों लोगों ने शेयर तथा लाइक किया है। वायरल दावा पढ़ने पर कुछ शंका हुई। जिसके बाद हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। पड़ताल के दौरान हमने पाया कि उक्त दावा ट्विटर पर भी वायरल है।
ट्वीट के आर्काइव लिंक को यहाँ देखें।
इसके बाद हमने वायरल दावे को गूगल पर भी खोजा। इस दौरान हमें वायरल दावे से संबंधित साल 2019 में छपे कई लेख मिले।
इस दौरान हमने अमर उजाला की वेबसाइट पर छपे लेख से जानकारी मिली कि साल 2019 में केरल हाई कोर्ट के न्यायाधीश एनवी रमन और एमएम शांतगोदर की पीठ ने मोहम्मद इलियास और वल्लिमा (शादी के वक्त हिंदू युवती) के केस की सुनवाई के दौरान हिन्दू महिला और मुस्लिम पुरुष की शादी को लेकर एक फैसला दिया था। केरल उच्च न्यायलय के आदेश को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हिन्दू महिला और मुस्लिम पुरुष की शादी अनियमित तथा अवैध है। लेकिन इस शादी से पैदा हुई संतान जायज हैं ।
इसके बाद मामले की अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने गूगल पर खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें timesnow की वेबसाइट पर छापा एक लेख मिला। जहां इस पूरे प्रकरण की जानकारी साल 2019 में छपे एक लेख में दी गयी है।
लेख में बताया गया है कि हिन्दू महिला और मुस्लिम पुरुष की शादी अनियमित तथा अवैध है। साथ ही हिन्दू महिला अपने मुस्लिम पति की संपत्ति की हक़दार नहीं होगी लेकिन दोनों से हुई संतान अपने पिता के संपत्ति की हक़दार होगी।
कोर्ट ने यह भी कहा दोनों की शादी के बावजूद हिन्दू महिला अपने पति की संपत्ति की हक़दार नहीं है लेकिन यदि किसी कारण वश उसके मुस्लिम पति की मृत्यु हो जाती है तो वो चाहे तो अपने पति की विधवा के नाम से रह सकती है।
वायरल दावे की पुष्टि के लिए हमने ट्विटर पर भी खोजा। इस दौरान हमें सुप्रीम कोर्ट के Bar and bench नाम के आधिकारिक हैंडल द्वारा 24 जनवरी साल 2019 को किया गया एक ट्वीट मिला।
साल 2019 को छपे एक लेख का लिंक दिया गया था। लिंक में उक्त प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का उल्लेख किया गया है। यहाँ जानकारी दी गयी है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि हिन्दू महिला और मुस्लिम पुरुष के विवाह के दौरान हुई संतान जायज है। इसलिए संतान अपनी पिता की संपत्ति में हिस्से की हक़दार है
उक्त वेबसाइट पर मिले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले में हमें कहीं भी यह लिखा हुआ नहीं मिला कि अब से हिन्दू महिला अब मुस्लिम पुरुष से विवाह नहीं कर सकती है।
Conclusion
पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि हिन्दू महिला और मुस्लिम पुरुष के विवाह को लेकर वायरल हो रहा दावा भ्रामक है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार हिन्दू महिला और मुस्लिम पुरुष का विवाह तो हो सकता है लेकिन वह वैध नहीं माना जायेगा। लेकिन विवाह से दोनों की संतान जायज है और वह अपनी पिता की संपत्ति का कानूनी रूप से हिस्सेदार भी होगा।
Result-Misleading
Our Sources
https://www.barandbench.com/news/children-irregular-marriages-legitimate-muslim-law-sc
https://twitter.com/barandbench/status/1088268781590401025
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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.