Fact Check
मौजूदा किसान आंदोलन से सम्बंधित नहीं है सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह वीडियो क्लिप
सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए दावा किया गया है कि क्लिप में नजर आ रहे लोग किसान हैं और मौजूदा किसान आंदोलन से जुड़े हैं। किसानों का हक़ दिलाने के नाम पर इस वीडियो को तेजी से शेयर किया जा रहा है।
मौजूदा किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया में एक वीडियो क्लिप शेयर की जा रही है। वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया गया है कि ये प्रदर्शनरत किसान हैं और सरकार को इनकी मांगों को पूरा करना चाहिए। गौरतलब है कि दिल्ली में हो रहे मौजूदा किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया में अबतक कई फेक खबरें शेयर की गई हैं, जिनका हमारी टीम ने पर्दाफाश भी किया है। वायरल वीडियो को गौर से देखने पर पता चलता है कि भीड़ में मौजूद लोग खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं। वायरल दावे का आर्काइव यहाँ देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
नए कृषि कानून को वापस लिए जाने के लिए हो रहे मौजूदा किसान आंदोलन के नाम पर शेयर की गई वीडियो क्लिप की सत्यता जानने के लिए पड़ताल शुरू की। वीडियो को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि भीड़ में मौजूद लोग खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं। इस नारे को सुनने के बाद हमें शक हुआ कि संभव है कि यह वीडियो मौजूदा किसान आंदोलन को बदनाम करने की नियत से शेयर किया जा रहा हो, क्योंकि अब तक खालिस्तान के नाम पर मौजूदा किसान आंदोलन से जोड़कर कई फेक दावे शेयर किये जा चुके हैं। इस तरह के कई फेक दावों पर हमारी टीम ने पड़ताल भी की है और उसका सच दुनिया के सामने रखा है। वीडियो की असलियत जानने के लिए invid टूल के माध्यम से क्लिप को कुछ कीफ्रेम्स में तब्दील करते हुए गूगल रिवर्स किया। इस प्रक्रिया में हमारे हाथ ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं लगा जिससे पता चलता कि यह वीडियो कब का है और कहाँ का है।

मौजूदा किसान आंदोलन को लेकर वायरल हुए कई अन्य दावों का फैक्ट चेक।
यांडेक्स की मदद से सर्च करने पर 2 अक्टूबर साल 2020 को वायरल वीडियो क्लिप से मिलती जुलती एक तस्वीर यूट्यूब के एक चैनल पर हुई प्राप्त हुई। इससे यह तो साफ हो गया कि यह मौजूदा किसान आंदोलन का वीडियो नहीं हो सकता।
कुछ कीवर्ड्स की मदद से की गई पड़ताल के दौरान Khalsa Gatka Group नामक यूट्यूब चैनल पर वायरल क्लिप प्राप्त हुई। यह वीडियो चैनल पर 25 मई साल 2016 को अपलोड की गई है। इस चैनल पर अपलोड की गई क्लिप में भी खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं।
पड़ताल के दौरान यूट्यूब चैनल में प्राप्त वीडियो और उसके कैप्शन के आधार पर हमने कुछ कीवर्ड्स बनाते हुए गूगल सर्च किया। तब हमें हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर साल 2016 में प्रकाशित किया गया एक लेख प्राप्त हुआ। इस लेख में बताया गया है कि शिवसेना द्वारा अमृतसर में कुछ दिन पहले निकाली गई ललकार रैली का जवाब देने के लिए खालिस्तान समर्थकों ने एक रैली का आयोजन किया था। वे नेशनल हाईवे नंबर 1 स्थति व्यास पुल पर एकजुट हुए थे और खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे।

Conclusion
मौजूदा किसान आंदोलन के नाम पर वायरल हो रही वीडियो क्लिप करीब 4 साल पुरानी है और उसका हालिया कृषक आंदोलन से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Result- False
Sources
HT- https://www.hindustantimes.com/punjab/sikh-hardliners-hold-anakh-rally-at-beas-bridge-to-challenge-shiv-sena-in-absentia-after-cancellation-of-lalkar-rally/story-v6KzHSiNeju8Vcbt8rlHXK.html
YouTube- https://www.youtube.com/watch?v=t5oP0XGk4Cw&t=12s
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