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Fact Check
देश एक तरफ़ आज जहां 72 वाँ गणतंत्र दिवस मना रहा था वहीं देश की राजधानी में किसान बिल का विरोध करे रहे प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो रही थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ किसान ट्रैक्टर रैली के लिए दिए गए रोड मैप से हट कर लाल क़िले की तरफ़ कूच कर करने लगे थे। किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज भी किया। कई प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुँचने में कामयाब रहे।
इस बीच सोशल मीडिया पर यह दावा किया जाने लगा कि लाल क़िले के प्राचीर से तिरंगे को हटाकर खालिस्तान का झंडा लगाया गया। ये दावा करने वालों में Pakistan First नाम का ट्विटर अकाउंट भी शामिल था। आपको बता दें ये अकाउंट ऑल पाकिस्तान मुस्लिम लीग का है।
एक तरफ़ जहां लाल क़िले पर चढ़कर प्रदर्शन कारी झंडे फहरा रहे थे तो दूसरी तरफ़ सोशल मीडिया पर तरह तरह के दावे वायरल हो रहे थे। कई सोशल मीडिया यूज़र्स का कहना था कि जो झंडा लाल क़िले पर फहराया गया वो खालिस्तान का नहीं था बल्कि सिख धर्म का पवित्र चिह्न निशान साहिब था।
सच क्या है यह जानने के लिए हमने कई वीडियो और तस्वीरों को ध्यान से देखा जिनमें ANI द्वारा पोस्ट किए गए वीडियो और कई चैनलों के रिपोर्टरों द्वारा की गई रिपोर्टिंग के वीडियो शामिल थे।
ध्यान से इन तस्वीरों और वीडियो को देखने के बाद हमने पाया कि जिस झंडे को फहराया गया वो खालिस्तान का झंडा नहीं बल्कि सिखों का पवित्र चिह्न निशान साहिब बना झंडा था।
पीले रंग के झंडे पर कुछ लिखा नज़र आ रहा है देखने पर यह तीन शब्द दिखते हैं।
खालिस्तान के समर्थक जिस झंडे का इस्तेमाल करते हैं उसमें खालिस्तान लिखा हुआ होता है।
निशान साहिब सिखों का पवित्र त्रिकोणीय ध्वज है। यह कपास या रेशम के कपड़े का बना होता है, इसे हर गुरुद्वारे के बाहर, एक ऊंचे ध्वजडंड पर फ़हराया जाता है। परंपरा के मुताबिक़ निशान साहिब को फहरा रहे डंड में ध्वजकलश के रूप में एक दोधारी तलवार होती है, और पूरे डंडे को कपड़े में लपेटा जाता है। झंडे के केंद्र में एक खंडा चिह्न (☬) होता है।
निशान साहिब खालसा पंथ का पवित्र प्रतीक है। सिख इतिहास के प्रारंभिक काल में निशान साहिब की पृष्ठभूमि लाल रंग की थी। फिर इसका रंग सफ़ेद हुआ और फिर केसरिया।निहंग द्वारा प्रबंधित किए गए गुरुद्वारों में निशान साहिब के पृष्ठभूमि का रंग इस्पाती नीला होता है।
हमने कई ऑन ग्राउंड रिपोर्टरों से भी बात की जिन्होंने हमें बताया कि प्रदर्शनकारियों ने लाल क़िले की प्राचीर पर लगा तिरंगा नहीं हटाया बल्कि निशान साहिब और किसान संगठन के झंडे लगाए थे।
यह भी ग़लत है कि लाल क़िले से तिरंगे को हटाया गया क्योंकि तिरंगा वहीं मौजूद है जहां हुआ करता था।
लाल क़िले पर प्रदर्शनकारियों द्वारा धर्म विशेष और संगठन संबंधित झंडे ज़रूर फहराए गए लेकिन इनमें खालिस्तान का झंडा शामिल नहीं था। यह भी कहना सही नहीं है कि लाल क़िले की प्राचीर पर लगे तिरंगे को हटाया गया।
On Ground Reporters
ANI Video: https://twitter.com/ANI/status/1353984535084470272?s=20
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