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Coronavirus
देश में आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू हो गया है। जिसके मुताबिक सरकारी विभाग के अलावा किसी अन्य नागरिक को किसी भी अपडेट या कोरोना वायरस से संबंधित जानकारी साझा करने की अनुमति नहीं है। ऐसा करना दंडनीय अपराध होगा।
यह मैसेज WhatsApp पर खूब शेयर किया जा रहा है। मैसेज में आगे लिखा गया है कि ग्रुप एडमिन से अनुरोध है कि वो 2 दिनों के लिए ग्रुप को बंद कर दे क्योंकि पुलिस एडमिन और ग्रुप मेंबर्स के खिलाफ सेक्शन 68, 140 और 188 के तहत एक्शन ले सकती है, अगर किसी ने गलती से भी कोरोना पर पोस्ट किया तो हर कोई मुश्किल में पड़ सकता है। मैसेज के साथ LiveLaw नामक वेबसाइट का एक लिंक भी शेयर किया जा रहा है।
WhatsApp पर शेयर किया जा रहा ये मैसेज Newschecker के पास एक पाठक द्वारा पड़ताल के लिए भेजा गया है। यह मैसेज सोशल मीडिया पर भी ख़ासा वायरल हो रहा है।
इस तरह की कोई भी ख़बर या जानकारी किसी भी अख़बार या न्यूज़ चैनल पर नहीं दिखाई गई है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि आखिर इस वायरल हो रहे मैसेज में कितनी सच्चाई है। सबसे पहले हमने जानने की कोशिश की कि आपदा प्रबंधन अधिनियम यानि Disaster Management Act है क्या?
Disaster Management Act
इस एक्ट में आपदाओं से निपटने के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। इस एक्ट की धारा 52 और 54 में फर्ज़ी जानकारी और गलत सूचना का जिक्र किया गया है।
अगर कोई व्यक्ति पीड़ितों या किसी निश्चित वर्ग के लिए दी जाने वाली राहत सामग्री, सहायता या अन्य फायदे लेने के लिए गलत दावे करता है (पीड़ित वर्ग में न होकर भी उसके लिए दी जाने वाली मदद पर हक जताना), तो उस पर ये धारा लगाई जा सकती है। इसके तहत दोषी साबित होने पर दो साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
अगर किसी आपदा की परिस्थति में कोई झूठी चेतावनी या खबर फैलाता है, जिससे लोगों के बीच घबराहट फैले, पैनिक हो, तो इस धारा के तहत उस पर कार्रवाई की जा सकती है। ऐसा करने की कोशिश करने वालों को भी दंडित किया जा सकता है। इसकी सजा एक साल तक जेल और जुर्माना है।
ये एक्ट पूरे देश में 24 मार्च 2020 रात 12 बजे से ही लागू हो गया था। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन घोषित किया था। जिसकी जानकारी हमें गृह मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन से मिली। यानि कोई भी व्यक्ति अगर लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे इस अधिनियम की धाराओं के तहत सज़ा सुनाई जाएगी।
शेयर किए जा रहे livelaw के लिंक को जब हमने खोला तो पाया कि इस लेख में वायरल हो रहे दावे को झूठा बताया गया है।
उधर PIB ने भी ट्वीट कर इस वायरल दावे को फेक बताया है।
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