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सीरिया से पलायन करते लोगों की वर्षों पुरानी तस्वीर को फ़्रांस में उपजे तनाव से जोड़कर किया गया वायरल

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि फ्रांस में शांतिदूतों के विरुद्ध अब ईसाइयों का गुस्सा फूट पड़ा है, फ्रांस से मुस्लिमों को खदेड़ा जा रहा है।

फ्रांस में उपजे सांप्रदायिक तनाव के बीच सोशल मीडिया पर कई दावे तेजी से शेयर किये जा रहे हैं। एक तरफ जहाँ इस्लामिक आतंकवाद के नाम पर कई पश्चिमी देश एकजुट होते नजर आये तो वहीं कई इस्लामिक देशों ने फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा इस्लाम पर की गई टिप्पणी का पुरजोर विरोध किया।

पूरी दुनिया इस समय आतंकवाद के नाम पर दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। भारत के कई हिस्सों में भी फ्रांस में उपजे विवाद के बाद प्रदर्शन किये गए। इसी बीच एक तस्वीर के साथ दावा किया गया कि फ्रांस से ईसाइयों ने मुस्लिमों को खदेड़ना शुरू कर दिया है। भीड़ के साथ बड़े-बूढ़े और बच्चों को बदहवास भागते हुए देखा जा सकता है।

तस्वीरों में देखा जा सकता है कि कई लोग अपने रोजमर्रा के सामानों के साथ छोटे-छोटे बच्चों सहित तेजी से भागते नजर आ रहे हैं। कई जगह सामानों का ढेर भी बिखरा पड़ा है। दावे के साथ यह भी लिखा गया है कि भविष्य के लिए हमें भी तैयार होने की जरूरत है। वायरल दावे का आर्काइव यहाँ देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने भी इसे शेयर किया है।

https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=814618895969868&id=399854807446281

सोशल मीडिया पर वायरल हुए कई अन्य दावों को यहाँ देखा जा सकता है।

Fact Check/Verification

फ्रांस में उपजे सांप्रदायिक तनाव के बीच ईसाईयों द्वारा मुस्लिमों को देश से बाहर खदेड़े जाने वाले दावे की सत्यता जानने के लिए सबसे पहले तस्वीर को गूगल रिवर्स किया। इस दौरान अलग-अलग भाषाओँ में प्रकाशित कई लेख मिले। प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स में अपलोड की गई तस्वीरें साल 2019 की दर्शाई गई हैं।

प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स में तुर्किश भाषा में प्रकाशित एक लेख www.bik.gov.tr नामक वेबसाइट पर प्राप्त हुआ। इस रिपोर्ट में वायरल तस्वीर को प्रकाशित किया गया है। लेख का ट्रांसलेशन करने पर पता चला कि तुर्की सरकार ने सीरिया से देश में आये शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए कुछ फंड की व्यवस्था की थी। लेख के मुताबिक़ यह तस्वीर सीरिया से तुर्की में आये शरणार्थियों की है।

फ्रांस से सम्बंधित वायरल हुए कई अन्य फैक्ट चेक्स को यहाँ पढ़ा जा सकता है।

प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स से इतना तो तय हो गया था कि यह तस्वीर हालिया फ्रांस विवाद से सम्बन्ध नहीं रखती। लेकिन तस्वीर की ज्यादा जानकारी के लिए कुछ कीवर्ड्स की मदद से की गई पड़ताल के दौरान middleeastmonitor.com नामक वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख मिला जिसे साल 2019 में प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक़ तस्वीर साल 2016 की है जब सीरिया के लोग हमले से बचने के लिए तुर्की की सीमा पर आ गए थे। तुर्की की सरकार ने 76000 सीरियाई शरणार्थियों को नागरिकता देने की भी घोषणा की थी।

पड़ताल के दौरान वायरल तस्वीर Getty Images पर भी प्राप्त हुई। इस तस्वीर को जून साल 2015 का बताया गया है। कैप्शन के मुताबिक़ हमले से बचने के लिए सीरिया के नागरिक तुर्की सीमा में प्रवेश कर गए थे।

SS

फ्रांस की नहीं है वायरल हो रही यह तस्वीर।

Conclusion

फ्रांस को लेकर वायरल हो रही तस्वीर करीब 5 साल पुरानी है और सीरिया संघर्ष की है। इस तस्वीर का फ्रांस में उपजे हालिया विवाद से कोई वास्ता नहीं है।

Result- Misplaced Context

Sources

www.bik.gov.tr– https://www.bik.gov.tr/ab-turkiyenin-hesabina-22-milyar-euro-yatirdi/

middleeastmonitor– https://www.middleeastmonitor.com/20190109-turkey-grants-citizenship-to-76000-syria-refugees/

Getty Images- https://www.gettyimages.in/detail/news-photo/syrians-fleeing-the-clashes-in-rasulayn-region-of-syria-news-photo/476577250

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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