शुक्रवार, मार्च 29, 2024
शुक्रवार, मार्च 29, 2024

होमFact Checkकाली पट्टी वाले बाघों की पुरानी तस्वीर को सिमलीपाल पार्क में लगी...

काली पट्टी वाले बाघों की पुरानी तस्वीर को सिमलीपाल पार्क में लगी आग से जोड़कर किया जा रहा है शेयर

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

पिछले कई सप्ताह से ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व पार्क में आग लगी हुई थी। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर यूज़र्स अपनी-अपनी संवेदनाएं प्रकट कर सरकार से आग पर जल्द काबू पाने की गुहार लगा रहे हैं। आग लगने की खबर को लेकर सोशल मीडिया यूज़र्स कई तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं। इन तस्वीरों के साथ दो बाघों की तस्वीर को सिमलीपाल पार्क की आग का बताकर वायरल किया जा रहा है।

वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।

वायरल पोस्ट को फेसबुक पर भी कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है।

फेसबुक पोस्ट का लिंक
फेसबुक पोस्ट का लिंक
फेसबुक पोस्ट का लिंक

Fact Check / Verification

ओडिसा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल रिज़र्व पार्क में आग लगने के बाद बाघों की यह तस्वीर वायरल हो रही है। बाघों को देखकर ऐसा लगा जैसे ये बाघ आग में झुलस कर काले हो गए हैं।

इस तस्वीर का सच जानने के लिए हमने गूगल पर रिवर्स इमेज टूल की मदद से तस्वीर को खोजना शुरू किया। जिसके बाद हमें बाघों की यह वायरल तस्वीर सबसे पहले ThewildlifeTour.com नाम की वेबसाइट पर 10 जुलाई साल 2020 को छपे एक लेख में मिली।

खोज के दौरान हमने वायरल तस्वीर को गूगल पर एक बार फिर से बारीकी से खोजना शुरू किया जिसके बाद हमें बाघों की तस्वीर NewIndianexpress.com नाम की वेबसाइट पर भी 17 जुलाई साल 2020 को छपे एक लेख में मिली। यहाँ बताया गया है कि बाघों की तस्वीर ओडिशा के टाइगर रिज़र्व पार्क की है।

इसके बाद खोज के दौरान हमें ट्विटर पर ‘संदीप त्रिपाठी आईएफएस’ द्वारा 9 जुलाई साल 2020 को किया गया एक ट्वीट मिला। जहां उन्होंने काली पट्टी वाले बाघों की तस्वीर पोस्ट की थी।

तस्वीर के उल्लेख में उन्होंने जानकारी दी है कि यह तस्वीर एक तरह के काली पट्टी वाले बाघों की है जो भारत आमतौर पर भारत के ओडिशा के साथ कुल 9 और राज्यों में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह तस्वीर ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व पार्क में ही ली गयी थी।

इसके साथ ही हमें आईएफएस प्रवीण कस्वान के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी वायरल तस्वीर मिली। जहाँ वायरल तस्वीर को 12 जुलाई साल 2020 को अपलोड कर उल्लेख में जानकारी दी गयी है कि काले रंग की धारी वाले दुर्लभ बाघों की यह तस्वीर ओडिशा के जंगलों से ली गयी है।

इसके बाद हमें News18 की एक रिपोर्ट मिली जहां इस काले पट्टी वाले दुर्लभ बाघों के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक काले पट्टी वाले बाघों की यह दुर्लभ प्रजाति है जिसे ‘मेलेनिस्टिक टाइगर’ कहा जाता है। आमतौर पर यह काली पट्टी वाले बाघों ओडिशा के जंगलों में पाए जाते हैं।

वैज्ञानिकों के मुताबिक अब काले धारी(पट्टी) वाले बाघों की संख्या ओडिशा में कुल 7-8 ही रह गयी है। बता दें कि पहली बार काली धारियों वाला बाघ 2007 में सिमिपाल टाइगर रिजर्व में पाया गया था। लेख के जानकारी दी गयी है कि यह बाघों के शरीर में यह काली धारियां जैनेटिक डिफेक्ट के कारण आती हैं।

इसके साथ यूट्यूब वीडियो NDTV के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो भी मिला जहां मलेनिटिस्टिक टाइगर के बारे में बताया गया है।

इसके साथ ही हमें खोज के दौरान सिमलीपाल पार्क की आग से जुड़ा एक लेख अमर उजाला की वेबसाइट पर मिला। जहाँ इस बात की जानकारी दी गयी है कि सिमलीपाल रिज़र्व पार्क की आग पर काबू पा लिया गया है ।

Conclusion

काली पट्टी वाले बाघों की वायरल तस्वीर की पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमें पता चला कि यह तस्वीर सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व पार्क से ही ली गयी थी। लेकिन इस तस्वीर का मौजूदा दिनों की आग से कोई संबंध नहीं है। दरअसल यह तस्वीर साल 2020 की है।

Result- Misleading


Our Sources

https://www.newindianexpress.com/galleries/nation/2020/jul/17/kazirangas-golden-tiger-dilemma-explained-why-the-rare-cat-inbreeding-irk-indias-wildlife-expert-102913–1.html

https://thewildlifetour.com/tag/black-striped-tiger/

https://twitter.com/sandeepifs/status/1281276226603069441


किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Most Popular