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Fact Check
पिछले कई सप्ताह से ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व पार्क में आग लगी हुई थी। इसी को लेकर सोशल मीडिया पर यूज़र्स अपनी-अपनी संवेदनाएं प्रकट कर सरकार से आग पर जल्द काबू पाने की गुहार लगा रहे हैं। आग लगने की खबर को लेकर सोशल मीडिया यूज़र्स कई तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं। इन तस्वीरों के साथ दो बाघों की तस्वीर को सिमलीपाल पार्क की आग का बताकर वायरल किया जा रहा है।
वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।
वायरल पोस्ट को फेसबुक पर भी कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है।



ओडिसा के मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल रिज़र्व पार्क में आग लगने के बाद बाघों की यह तस्वीर वायरल हो रही है। बाघों को देखकर ऐसा लगा जैसे ये बाघ आग में झुलस कर काले हो गए हैं।
इस तस्वीर का सच जानने के लिए हमने गूगल पर रिवर्स इमेज टूल की मदद से तस्वीर को खोजना शुरू किया। जिसके बाद हमें बाघों की यह वायरल तस्वीर सबसे पहले ThewildlifeTour.com नाम की वेबसाइट पर 10 जुलाई साल 2020 को छपे एक लेख में मिली।

खोज के दौरान हमने वायरल तस्वीर को गूगल पर एक बार फिर से बारीकी से खोजना शुरू किया जिसके बाद हमें बाघों की तस्वीर NewIndianexpress.com नाम की वेबसाइट पर भी 17 जुलाई साल 2020 को छपे एक लेख में मिली। यहाँ बताया गया है कि बाघों की तस्वीर ओडिशा के टाइगर रिज़र्व पार्क की है।

इसके बाद खोज के दौरान हमें ट्विटर पर ‘संदीप त्रिपाठी आईएफएस’ द्वारा 9 जुलाई साल 2020 को किया गया एक ट्वीट मिला। जहां उन्होंने काली पट्टी वाले बाघों की तस्वीर पोस्ट की थी।
तस्वीर के उल्लेख में उन्होंने जानकारी दी है कि यह तस्वीर एक तरह के काली पट्टी वाले बाघों की है जो भारत आमतौर पर भारत के ओडिशा के साथ कुल 9 और राज्यों में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह तस्वीर ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व पार्क में ही ली गयी थी।
इसके साथ ही हमें आईएफएस प्रवीण कस्वान के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी वायरल तस्वीर मिली। जहाँ वायरल तस्वीर को 12 जुलाई साल 2020 को अपलोड कर उल्लेख में जानकारी दी गयी है कि काले रंग की धारी वाले दुर्लभ बाघों की यह तस्वीर ओडिशा के जंगलों से ली गयी है।
इसके बाद हमें News18 की एक रिपोर्ट मिली जहां इस काले पट्टी वाले दुर्लभ बाघों के बारे में बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक काले पट्टी वाले बाघों की यह दुर्लभ प्रजाति है जिसे ‘मेलेनिस्टिक टाइगर’ कहा जाता है। आमतौर पर यह काली पट्टी वाले बाघों ओडिशा के जंगलों में पाए जाते हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक अब काले धारी(पट्टी) वाले बाघों की संख्या ओडिशा में कुल 7-8 ही रह गयी है। बता दें कि पहली बार काली धारियों वाला बाघ 2007 में सिमिपाल टाइगर रिजर्व में पाया गया था। लेख के जानकारी दी गयी है कि यह बाघों के शरीर में यह काली धारियां जैनेटिक डिफेक्ट के कारण आती हैं।

इसके साथ यूट्यूब वीडियो NDTV के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो भी मिला जहां मलेनिटिस्टिक टाइगर के बारे में बताया गया है।
इसके साथ ही हमें खोज के दौरान सिमलीपाल पार्क की आग से जुड़ा एक लेख अमर उजाला की वेबसाइट पर मिला। जहाँ इस बात की जानकारी दी गयी है कि सिमलीपाल रिज़र्व पार्क की आग पर काबू पा लिया गया है ।

काली पट्टी वाले बाघों की वायरल तस्वीर की पड़ताल के दौरान मिले तथ्यों से हमें पता चला कि यह तस्वीर सिमलीपाल टाइगर रिज़र्व पार्क से ही ली गयी थी। लेकिन इस तस्वीर का मौजूदा दिनों की आग से कोई संबंध नहीं है। दरअसल यह तस्वीर साल 2020 की है।
https://thewildlifetour.com/tag/black-striped-tiger/
https://twitter.com/sandeepifs/status/1281276226603069441
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