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Fact Check
इस सप्ताह सोशल मीडिया पर किसानों द्वारा गणतंत्र दिवस पर आयोजित की गई ट्रैक्टर रैली चर्चा में रही। इस रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा की खबरें पूरी दुनिया में छाई रहीं। रैली से सम्बंधित कई फेक दावे शेयर किये गए। इस दौरान कई दिग्गज नेताओं और पत्रकारों ने फेक खबरें फैलाई। हमारी टीम ने इस सप्ताह ट्रैक्टर रैली से लेकर कई अन्य सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों के बारे में फैलाई गई फेक ख़बरों का पर्दाफाश किया है।
एक ट्रैक्टर का पीछा करती पुलिस की गाड़ी का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। दावा किया गया कि एक किसान को ट्रैक्टर रैली में शामिल होने से रोकने के लिए यूपी पुलिस ने उसका पीछा किया। लेकिन बहादुर किसान ने पुलिस को चकमा दे दिया। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा साबित हुआ।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसानों द्वारा किये गए ट्रैक्टर मार्च के बाद लाल किले पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई थी। दावा किया गया था कि प्रदर्शनकारियों ने लाल किले पर खालिस्तानी झण्डा लगा दिया। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा साबित हुआ।
सोशल मीडिया पर ज़ी न्यूज़ के हवाले से दावा किया गया था कि 26 जनवरी को लाल किले पर हुए बवाल के दौरान एक किसान ने किले पर लगे तिरंगे को निकालकर नीचे फेंक दिया था। हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ।
सोशल मीडिया के कई माध्यमों पर दावा किया गया था कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 26 जनवरी के अवसर पर तिरंगे की जगह बीजेपी का झण्डा फहरा दिया। हमारी पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ।
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर के साथ दावा किया गया था कि यह तस्वीर यूपी की झांकी की है जिसे राजपथ पर सपा के शासन के दौरान दिखाया जाता था। हमारी पड़ताल में वायरल हुआ दावा भ्रामक साबित हुआ।
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