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Fact Check
नए कृषि कानून को लेकर सरकार और किसान आमने सामने हैं। किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं तो दूसरी तरफ सरकार भी वार्ता से मसले का हल निकालने की कोशिश में है। अब तक हुई वार्ता जहाँ बेनतीजा साबित हुई तो वहीं अभी भी किसानों की उम्मीद बरकरार है। वे अभी भी सीमाओं पर डटे हुए हैं। सोशल मीडिया में किसान आंदोलन को लेकर कई फेक दावे तेजी से शेयर किये जा रहे हैं। इस सप्ताह ऐसे ही कई फेक दावों पर हमारी टीम ने फैक्ट चेक किया है।
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया गया था कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो भारतीय किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए धरने पर बैठ गए हैं। हमारी पड़ताल में वायरल हुआ दावा झूठा साबित हुआ।
पूरा फैक्ट चेक यहाँ पढ़ा जा सकता है।
ट्रैक्टर चलाकर धरने में जाती महिलाओं की तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो गई। दावा किया जाने लगा कि ये महिलाएं मौजूदा किसान आंदोलन में हिस्सा लेने दिल्ली बॉर्डर जा रही हैं। हमारी पड़ताल में पता चला कि ये तस्वीर वर्षों पुरानी है।
पूरा फैक्ट चेक यहाँ पढ़ा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि सरकार ने हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर महाराणा प्रताप स्टेशन रख दिया है। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा साबित हुआ।
पूरा फैक्ट चेक यहाँ पढ़ा जा सकता है।
एक तस्वीर के साथ दावा किया गया था कि पुलिस ने किसान प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे पूर्व सैन्यकर्मी की पिटाई कर दी। वायरल सन्देश में दावा किया गया था कि पुलिस ने उनकी आँख भी फोड़ दी। हमारी पड़ताल में वायरल दावा झूठा साबित हुआ।
पूरा फैक्ट चेक यहाँ पढ़ा जा सकता है।
निहंग सिखों की एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए दावा किया गया था कि वे मौजूदा किसान आंदोलन में हिस्सा लेने दिल्ली जा रहे हैं। हमारी पड़ताल में पता चला कि वायरल क्लिप पुरानी है और इसका किसान आंदोलन से कोई सम्बन्ध नहीं है।
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