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क्या भारत में CBDC लॉन्च की वजह से बंद हो जाएगी नोटों की छपाई?

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) ने 7 अक्टूबर, 2022 को आधिकारिक तौर पर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) पर अवधारणा नोट जारी किया था, जिसमें भारत की पहली आधिकारिक डिजिटल करेंसी (ई₹-आर) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. उक्त अवधारणा नोट के अनुसार RBI केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को केंद्रीय बैंक द्वारा डिजिटल प्रारूप में जारी की गई वैध मुद्रा (legal tender) के तौर पर परिभाषित करती है. यह देश में वैध किसी स्वायत्त मुद्रा के समान है तथा उस मुद्रा के समानुपात में इसका विनिमय किया जा सकता है अर्थात केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए डिजिटल मुद्रा का मूल्य पहले से प्रचलन में मुद्राओं के बराबर होगा उदाहरण के लिए 10 रुपए के एक नोट का मूल्य उतना ही है जितना 10 रूपए के CBDC का होगा. RBI की इस घोषणा के बाद से ही सोशल मीडिया पर इससे जुड़े तमाम तरह के दावे शेयर किए जा रहे हैं. रिज़र्व बैंक द्वारा नोटों की छपाई बंद करने का एक ऐसा ही दावा सोशल मीडिया पर ख़ासा वायरल हो रहा है. दिव्य हिमाचल द्वारा प्रकाशित लेख ‘भारत में नोट छपने जल्द हो जाएंगे बंद; आम लोगों के लिए पहली को लांच होगा डिजिटल रुपया, कैशलेस होगा देश‘ का स्क्रीनशॉट शेयर कर यह दावा किया जा रहा है कि देश में नोटों की छपाई बंद होने वाली है.

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के आने से बंद हो जाएगी नोटों की छपा
फेसबुक यूजर्स द्वारा नोटों की छपाई बंद होने को लेकर शेयर किए गए पोस्ट्स

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) क्या है?

वर्चुअल तथा क्रिप्टोकरेन्सी को नियमित करने तथा इनके प्रयोग से जुड़ी समस्याओं के निवारण के लिए एक नीतिगत तथा कानूनी ढांचे के निर्माण के लिए साल 2017 के नवंबर माह में आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया. समिति ने देश में एक स्वायत्त डिजिटल मुद्रा के तौर पर CBDC की संस्तुति की. इसके बाद केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को भारत की पहली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के रूप में जारी कर यह निर्धारित किया गया कि इसका मूल्य रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की गई किसी अन्य मुद्रा के ही बराबर होगा. मोबाइल फ़ोन और अन्य उपकरणों में मौजूद डिजिटल वॉलेट के माध्यम से डिजिटल रुपए (ई₹-आर) का इस्तेमाल कर लेनदेन किया जा सकता है. यह लेनदेन किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति (पर्सन टू पर्सन) या किसी व्यक्ति द्वारा विक्रेता (पर्सन टू मर्चेंट) के बीच किया जा सकता है.

क्रिप्टो मुद्राओं तथा CBDC में अंतर

क्रिप्टो मुद्राओं तथा CBDC में सबसे मूलभूत अंतर यह है कि क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचैन की सहायता से विकेन्द्रीकरण (लेनदेन या विनिमय के लिए सरकार या बैंकों पर निर्भरता नहीं) की अवधारणा की उपज है तो वहीं CBDC भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की गई एक डिजिटल मुद्रा है. इसी मूलभूत अंतर की वजह से जहां CBDC का मूल्य अन्य वैध भारतीय मुद्राओं के बराबर होगा तो वहीं क्रिप्टो मुद्राओं का मूल्य आपूर्ति और मांग पर निर्भर करता है. क्रिप्टो मुद्राओं के साथ लेनदेन करने में जहां आप अपनी पहचान गोपनीय रख सकते हैं तो वहीं CBDC को देश में लेनदेन के नीतिगत तथा कानूनी प्रावधानों का पालन करना होगा, ऐसे में भारतीय डिजिटल मुद्रा के माध्यम से हुए लेनदेनों में गोपनीयता के साथ ऐसी स्वच्छंदता मुश्किल है. सुगमता की बात करें तो क्रिप्टो मुद्राएं कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी की अच्छी जानकारी रखने वाले लोगों के लिए ज्यादा उपयुक्त है जबकि RBI के अनुसार वह CBDC के माध्यम से लेनदेन को आसान बनाना चाहती है.

भारत में वर्चुअल और क्रिप्टो मुद्राओं का प्रचलन और चुनौतियां

RBI के डिप्टी गवर्नर T Rabi Sankar ने 14 फ़रवरी 2022 को क्रिप्टोकरेंसी का मूल्यांकन करते हुए यह जानकारी दी थी कि कई भारतीयों ने इसमें इन्वेस्ट किया है. KuCoin द्वारा 23 अगस्त 2022 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है कि 2022 के जून माह तक भारत में कुल 11.5 करोड़ लोगों के पास या तो क्रिप्टोमुद्राएं थी या उन्होंने तब पिछले 6 महीनों में क्रिप्टो के माध्यम से ट्रेडिंग की थी. देश में क्रिप्टो मुद्राओं की बढ़ती लोकप्रियता के बीच डिजिटल मुद्रा जारी करने के पीछे RBI का तर्क यह है कि क्रिप्टो मुद्राओं के माध्यम से हुए लेनदेन में गोपनीयता कई बड़ी आर्थिक तथा सामाजिक चुनौतियां खड़ी कर सकती है.

नकद भुगतान बनाम डिजिटल पेमेंट: क्या कहते हैं आंकड़े?

भारत में 2011 में हुई जनगणना के अनुसार तब देश में लगभग 122 करोड़ लोग थे. World Economic Forum के अनुसार वर्तमान में भारत की जनसंख्या लगभग 141 करोड़ है. RBI द्वारा 17 जून 2022 को प्रकाशित एक लेख के अनुसार भारत में कुल 114 करोड़ मोबाइल यूजर्स हैं जिनमें से लगभग 84 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन हैं. भारत में डिजिटल पेमेंट के सरल माध्यमों में कार्ड तथा UPI (Unified Payments Interface) सर्वाधिक सफल रहे हैं. RBI के अनुसार साल 2022 में देश में लगभग 94 करोड़ डेबिट तथा लगभग 8 करोड़ क्रेडिट कार्ड्स हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में प्रकाशित ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 26 करोड़ लोग पेमेंट के लिए UPI का इस्तेमाल करते हैं.

डिजिटल रूपया (ई₹-आर): आगे का सफर

RBI ने आधिकारिक तौर पर 1 दिसंबर 2022 से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के पहले प्रायोगिक परिचालन की शुरुआत कर दी है. पायलट योजना के तौर पर शुरुआत में यह सेवा 8 बैंकों के साथ केवल मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर शहरों के लिए शुरू की गई है. रिज़र्व बैंक अगले चरण में अहमदाबाद, गंगटॉक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में भी यह सेवा जारी करने की योजना बना रहा है. RBI द्वारा 29 नवंबर 2022 को जारी की गई प्रेस रिलीज़ में यह स्पष्ट किया गया है कि यह प्रायोगिक परिचालन (first pilot) डिजिटल मुद्रा के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की सुदृढ़ता का परीक्षण कर प्राप्त अनुभवों के आधार पर भावी प्रायोगिक परिचालन में ई₹-आर टोकन और संरचना की विभिन्न विशेषताओं और अनुप्रयोगों का परीक्षण करने के लिए जारी किया गया है. इसमें आवश्यकता पड़ने पर चरणबद्ध तरीके से प्रायोगिक परिचालन का दायरा बढ़ाने की भी बात कही गई है.

क्या डिजिटल रूपया नकद रुपए की जगह लेने वाला है?

अगर भारत की वर्तमान आबादी 141 करोड़, डेबिट और क्रेडिट कार्ड्स की संख्या 100 करोड़ तथा देश में UPI यूजर्स की संख्या 30 करोड़ भी मान ली जाए तो भी यह आंकड़ा यही बताता है कि देश में बड़ी आबादी अभी भी नकद भुगतान करती है जिसकी वजह से वर्तमान में नोटों का प्रचलन बंद होना संभव नहीं है. CBDC के माध्यम से भुगतान के लिए स्मार्टफोन या बैंक द्वारा जारी किए गए किसी खास किस्म के डिवाइस की आवश्यकता पड़ेगी, जबकि देश की एक बड़ी आबादी (लगभग 50 करोड़ लोग) अभी स्मार्टफोन का ही प्रयोग नहीं करती. ऐसे में पूरे देश को नोटों और सिक्कों का इस्तेमाल बंद कर CBDC के इस्तेमाल के लिए तैयार कर पाना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई वर्ष लग सकते हैं. RBI द्वारा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को लेकर जारी किए गए अवधारणा नोट में भी यह बात स्पष्ट की गई है कि CBDC का उद्देश्य मौजूदा भुगतान माध्यमों (कैश या डिजिटल) का स्थान लेना नहीं है बल्कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच समय तथा पैसे की बचत के लिए भुगतान के अन्य विकल्पों को बढ़ावा देना है.

RBI द्वारा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) को लेकर जारी किया गया अवधारणा नोट

आम जनमानस पर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा का प्रभाव

RBI द्वारा CBDC को लेकर प्रकाशित तमाम लेखों तथा दस्तावेजों के अनुसार भारतीय डिजिटल मुद्रा अभी अपने प्रारंभिक चरण में है. इसके प्रायोगिक परिचालन से प्राप्त अनुभवों के आधार पर इसमें अनेकों सुधार तथा परिवर्तन होंगे. इसका आशय यह है कि निकट भविष्य में CBDC के वजह से आम जनमानस पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा. हालांकि जिन-जिन शहरों में इसकी शुरुआत हो चुकी है या होने वाली है वहां के नागरिक इच्छानुसार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन इन शहरों में भी नागरिकों पर भुगतान के लिए कैश के बजाय CBDC का इस्तेमाल करने का कोई दबाव नहीं है. आसान भाषा में कहे तो जिन लोगों को वर्चुअल या क्रिप्टो मुद्राओं में कोई रुचि नहीं है या जिन लोगों को इसके प्रति जानकारी का आभाव है, वे लोग भविष्य में भी कैश (नकद लेनदेन) तथा डिजिटल पेमेंट के माध्यम से लेनदेन कर सकते हैं.

Our Sources

RBI
PIB
World Economic Forum
Statista
Media reports

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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

Saurabh Pandey
A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.

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