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Fact Sheets
अपनी रफ्तार के लिए मशहूर मायानगरी उस दिन भी अपनी रफ्तार से ही चल रही थी। देश के बाकि राज्य सोने की तैयारी कर रहे थे कि अचानक टीवी चैनलों पर मुंबई से गैंगवॉर की ख़बरें आने लगीं। मुंबई पुलिस के जवान जब तक मौके पर पहुंचे तो पता चला कि दरअसल ये कोई गैंगवॉर नहीं थी बल्कि देश की आर्थिक राजधानी पर एक आतंकी हमला था।
2001 में पूरी दुनिया को हिला देने वाले 9/11 हमले से भी मुंबई हमले के तार जुड़ते हैं। 9/11 हमलें में शामिल डेविड कोलमेन हेडली ही वो शख्स था जिसने मुंबई हमले से पहले पूरे शहर की रेकी की थी। हेडली ने ही हर उस जगह का वीडियो बनाकर आतंकियों की ट्रेनिंग में मदद की, जहां 26/11 के दिन बेगुनाह लोगों को आतंकियों की गोलियों ने निशाना बनाया।
इस भयानक आतंकी हमले से शायद मुंबई को बचा लिया जाता अगर ये खूफिया एजेंसी थोड़ी सतर्कता दिखाती। भारत ही नहीं ब्रिटेन और अमेरिकी खूफिया एजेंसियां भी आतंकियों के इस नापाक मंसूबे को समझ पाने में नाकाम रही। इन तीनों ही एजेंसियों ने हमले से जुड़े कई लोगों पर कड़ी निगरानी रखी थी और इन्हें आशंका थी कि भारत इनके निशाने पर है लेकिन फिर भी ये इन कड़ियों को जोड़ने में नाकाम रहे। Propublica की रिपोर्ट के मुताबिक
अमेरिका को अपनी खुफिया एजेंसियों की मदद से ये भनक लग चुकी थी कि आतंकी भारत में कुछ करने वाले हैं। इससे पहले भी आतंकी डेविड कोलमेन हेडली की पत्नी 2007 और 2008 में अमेरिका को चेतावनी दे चुकी थी कि उसका पति मुंबई में किसी मिशन को अंजाम देने की तैयारी कर रहा है।
ब्रिटेन की एजेंसियां लश्कर-ए-तैय्यबा के चीफ जफ्फर शाह पर निगरानी रख रही थीं। उसने इंटरनेट के जरिए कब, कहां और किसे क्या संदेश भेजे इसकी जानकारी उनके पास थी।
भारत की एजेंसियां भी इसी तरह आतंकी नेटवर्क पर नजर बनाए हुए थी। जानकारी उनके पास भी थी कि कुछ बड़ा होने वाला है।

शाह और उसके साथियों ने मिलकर आतंकियों को Google Earth के जरिए मुंबई में हमले की जगहों के बारे में जानकारी दी।
CIA ने भारत को मुंबई में लश्कर हमले के बारे में चेतावनी दी। भारत की एजेंसियों ने भी मुंबई में अलर्ट जारी कर लश्कर हमले का खतरा बताया। अगले दिन राज्य की पुलिस ने बुलेटिन जारी कर 6 होटलों पर आतंकी हमले का खतरा बताया। जिसके बाद इन होटलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई।
शाह ने Callphonex से संपर्क किया, ये वो कंपनी थी जिसका इस्तेमाल लश्कर हमले के दौरान अपनी लोकेशन छिपाने के लिए करता था।
शाह ने ताज होटल समेत दिल्ली के 4 सितारा होटल के नंबर ढूंढने शुरू किए। उसने Google News पर भारत अमेरिका के नौसैनिक अभ्यास के बारे में भी जानकारी हासिल की ताकि हमले के दौरान सेना न आ जाए।
अमेरिकी CIA ने भारत को एक पाकिस्तानी नाव की लोकेशन भेजी, जिसका संबंध लश्कर हमले से था। भारतीय खुफिया एजेंसी के अफसर ने बताया की ये नाव पाकिस्तानी इलाके में थी इसलिए कुछ किया नहीं जा सकता था। 5 दिन बाद ही आतंकियों ने भारतीय जहाज़ अगवा कर उसके नाविक को मार डाला।
शाह ने बड़ी होशियारी से हमले की जिम्मेदारी एक भारतीय आंतकी संगठन पर डालने के लिए एक फर्डी दावा तैयार किया और इसे मीडिया में फर्जी इमेल आईडी के जरिए भेज दिया जिससे किसी का भी शक लश्कर-ए-तैय्यबा पर न जाए।
हमले से कुछ घंटे पहले तक शाह ने Google Map पर ताज होटल और शाबाद हाउस को सर्च किया था। उसने हमले से पहले ही मुंबई से जुड़ी खबरें देखनी शुरू कर दी थी।
इतने इनपुट होने के बाद भी इसे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी ही कहेंगे कि आतंकी न सिर्फ मुंबई की सुरक्षा को भेदने में कामयाब रहे बल्कि अपना मकसद भी उन्होंने पूरा किया। मुंबई हमले के बाद जारी हुई तमाम मीडिया रिपोर्ट्स और जांचों के बाद इतना तो साफ हो गया कि किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि ये हमला इस तरह से अंजाम दिया जाएगा। जब त्यौहारों के दौरान किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई तो सुरक्षा एजेंसियां भी थोड़ी ढ़ीली पड़ गईं। अभी तक भारत में जितने आतंकी हमले हुए वो सभी बम धमाकों द्वारा किए गए। इस तरह का आत्मघाती हमला पहली बार हुआ था शायद यही वजह है कि इस मुंबई हमले को भारत का 9/11 भी कहा जाता है।
26/11 के दिन क्या हुआ कैसे हुआ ये आज भी सभी भारतवासियों के जहन में है। लगभग 60 घंटे चली ये मुठभेड़, आज 11 साल बाद भी उतनी ही ताज़ा है। इसलिए ये सवाल हर साल उठाया जाता है कि क्या मुंबई हमला रोका जा सकता था?
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