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18 सितंबर को राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर चुनाव आयोग पर फिर से सवाल उठाए और दावा किया कि फेक लॉग-इन के जरिये कर्नाटक के आलंद विधानसभा में 6018 वोट डिलीट करने की कोशिश की गई. इस दौरान उन्होंने दो-तीन कथित साक्ष्य भी प्रस्तुत किए. राहुल गांधी ने यह दावा किया कि आलंद विधानसभा की एक वोटर गोदाबाई के नाम पर अलग-अलग राज्यों के 12 मोबाइल नंबरों से लॉग इन करके बूथ 37 के 12 वोटर्स के नाम हटाने की कोशिश की गई.

इसी तरह राहुल गांधी ने सूर्यकांत नाम के एक अन्य शख्स का भी उदाहरण दिया, जिसके नाम से आवेदन करके 12 अन्य वोट काटे जाने की कोशिश हुई. इस दौरान सूर्यकांत मंच पर भी आए और उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है और ना ही मैंने किसी के नाम काटने का आवेदन दिया है. इसके अलावा, राहुल गांधी ने नागराज नाम के शख्स का भी उदाहरण दिया और यह दावा किया कि नागराज के नाम पर 36 सेकेंड के अन्दर 19 दिसंबर 2022 को सुबह 4 बजे दो वोटरों के नाम हटाने के आवेदन दिए गए.

इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि ठीक इसी पैटर्न पर ऑनलाइन तरीके से महाराष्ट्र के राजुरा विधानसभा में फर्जी नाम, फर्जी पते के आधार पर करीब 6850 फर्जी वोटरों को जोड़ने की कोशिश की गई.
उन्होंने यह भी दावा किया कि सेंट्रलाइज्ड तरीके से नामों को वोटर लिस्ट से डिलीट किया गया और इसके लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यह सब सॉफ्टवेयर की मदद से हो रहा है, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम कह रहा है कि सीरियल नंबर 1 से शख्स को निकालो और उसकी ओर से डिलीट करने के लिए आवेदन करो. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की जांच कर्नाटक सीआईडी कर रही है, लेकिन चुनाव आयोग उसमें सहयोग नहीं कर रहा है.

आइये सबसे पहले हम जानते हैं कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने के क्या-क्या तरीके हैं?
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, ऑफलाइन और ऑनलाइन तरीकों से खुद के नाम और अन्य के नामों पर आपत्ति दर्ज कराकर वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए आवेदन किए जाते हैं.

ऑफलाइन तरीके में चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए फॉर्म में आवेदक को अपने EPIC और मोबाइल नंबर सहित अन्य जरूरी डिटेल्स देकर उनका डिटेल्स देना होता है, जिसके वे नाम हटवाना चाहते हैं. इस दौरान नाम हटाने के पीछे के कारणों का भी ज़िक्र करना होता है. इन जानकारियों को भरकर वह फ़ार्म BLO को देना होता है. BLO आवेदन की ठीक से जांच करके लिस्ट से नाम हटाने या ना हटाने की कार्रवाई करता है.

वहीं, ऑनलाइन तरीकों में सबसे पहले इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट https://voters.eci.gov.in/ पर जाकर मोबाइल नंबर की मदद से लॉग इन करना होता है. इसके बाद “Deletion” वाले ऑप्शन पर क्लिक करना होता है और फिर FORM-7 को ऊपर ज़िक्र किए गए डिटेल्स की मदद से भरना होता है. हर आवेदन के लिए एक रेफरेंस नंबर जारी होता है. उसके बाद बीएलओ आवेदन की जांच करता है. आवेदन सही पाए जाने पर वोटर रजिस्ट्रेशन रद्द होने में 7 से 10 दिन का समय लगता है.

आवेदन मिलने के बाद कैसे होती है कार्रवाई, बीएलओ ने बताया प्रोसेस
हमने बिहार राज्य के एक बीएलओ से भी संपर्क किया तो उन्होंने हमें वोटर लिस्ट से नाम हटाने के तरीके के बारे में पूरी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपना या किसी अन्य शख्स के नाम हटाने को लेकर आवेदन देता है, तो संबंधित इलाके के बीएलओ के मोबाइल एप पर वह आवेदन आता है. इसके बाद बीएलओ उक्त आवेदक के पास जाकर फॉर्म की जांच करता है और फिर जिस शख्स का नाम हटाने का आवेदन दिया गया होता है, उसके यहां भी जाकर जांच की जाती है. मृत्यु, स्थानांतरण या नक़ल जैसे केस में आवेदन सही होने पर ही नाम हटाए जाते हैं.
यही बातें हमें एक अन्य बीएलओ ने भी बताया. उन्होंने कहा कि आवेदन मिलने के बाद आवेदक और जिनका नाम काटा जाना है, उनके पते पर जाकर और जांच करके ही नाम हटाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है.
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों पर क्या कहा?
कर्नाटक मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय ने 18 सितंबर की देर शाम को राहुल गांधी द्वारा लगाए गए कुछ आरोपों का सिलसिलेवार तरीके से एक X पोस्ट में जवाब दिया. चुनाव अधिकारी ने पोस्ट में लिखा कि “निर्वाचन रजिस्ट्री अधिकारी (ERO) 46-आलंद को दिसंबर 2022 में कुल 6018 फॉर्म-7 आवेदन मिले थे. ये आवेदन ऑनलाइन माध्यम जैसे NVSP, VHA, GARUDA ऐप्स के सहारे डाले गए थे. 46-आलंद विधानसभा क्षेत्र में इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाने के लिए आए आवेदनों की सच्चाई पर शक हुआ, इसलिए ERO/AERO/BLO अधिकारियों द्वारा हर आवेदन की जांच की गई”.

जांच में केवल 24 आवेदन सही पाए गए और बाकी 5994 आवेदन गलत निकले. इसी आधार पर सिर्फ 24 नामों को हटाया गया. इस दौरान BLO की जांच रिपोर्ट के आधार पर आलंद विधानसभा क्षेत्र के ERO ने 21 फरवरी 2023 को आलंद पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई.
इसके बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी कर्नाटक ने 6 अगस्त 2023 को कलबुर्गी ज़िले के पुलिस अधीक्षक को जांच में सहयोग के लिए ECI के पास उपलब्ध सारी जानकारी सौंपी. इसमें आवेदन करने वाले व्यक्ति का विवरण, फॉर्म रेफरेंस नंबर, नाम, EPIC नंबर, लॉगिन के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल नंबर, प्रोसेसिंग के लिए दिया गया मोबाइल नंबर, इस्तेमाल की गई ऐप, IP एड्रेस, आवेदन डालने की जगह, आवेदन डालने की तारीख और यूज़र अकाउंट बनाने की तारीख भी शामिल थी.
प्रेस कांफ्रेंस के बाद चुनाव आयोग ने किया फैक्ट चेक तो राहुल गांधी ने भी उठाए सवाल
राहुल गांधी द्वारा किए गए प्रेस कांफ्रेंस के बाद चुनाव आयोग ने X पोस्ट कर कहा कि “उनके द्वारा लगाए गए आरोप गलत और बेबुनियाद हैं. कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन किसी मतदाता का नाम नहीं काट सकता, उन्होंने यह गलत तरीके से समझा है”. साथ ही चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि “2023 में इस मामले की जांच के लिए स्वयं निर्वाचन आयोग ने एफआईआर दर्ज कराई थी”.

चुनाव आयोग के इस पोस्ट पर राहुल गांधी ने भी जवाब दिया और लिखा कि “धोखाधड़ी उजागर होने के बाद, स्थानीय चुनाव अधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराई थी, लेकिन सीईसी ने कर्नाटक सीआईडी की जांच को रोक रखा है. कर्नाटक राज्य चुनाव आयोग के पत्र लिखने पर भी जांच में ईसी सहयोग नहीं कर रहा है. इसलिए चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार अब बहाने बनाना बंद करें. सबूत तुरंत कर्नाटक सीआईडी को सौंपें”.
इससे कुछ दिनों पहले राहुल गांधी ने कर्नाटक के ही महादेवपुरा में मतदाता सूची को लेकर सवाल खड़े किये थे और अब उन्होंने आलंद विधानसभा को लेकर आरोप लगाए हैं. हालांकि, पूरी सच्चाई कर्नाटक पुलिस और सीआईडी की जांच से ही सामने आएगी.
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