Friday, April 25, 2025
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साइकिल सवार की यह कलाकृति तमिलनाडु के पंचवर्णस्वामी मंदिर की नहीं है

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सोशल मीडिया पर एक कलाकृति वायरल हो रही है, जिसमें एक साइकिल सवार नज़र आ रहा है। दावा किया गया है कि ये तस्वीर तमिलनाडु के 2000 साल पुराने प्रसिद्ध पंचवर्णस्वामी मंदिर की है। तस्वीर में मंदिर की दीवार पर साइकिल सवार व्यक्ति की मूर्ति है, जिसमें वह व्यक्ति साइकिल के पैडल मारता हुआ नज़र आ रहा है। कहा जा रहा है कि इस तस्वीर ने सबको हैरान कर दिया है, क्योंकि साइकिल का आविष्कार 200 साल पहले हुआ था, जबकि यह मंदिर 2000 साल पुराना है। 

तमिलनाडु के 2000 साल पुराने प्रसिद्ध पंचवर्णस्वामी मंदिर की है
Courtsey: Facebook/Adv Savita Gupta

Fact Check/Verification

तस्वीर का सच जानने के लिए Tineye पर रिवर्स सर्च करने के दौरान हमें फ्रांस की एक वेबसाइट IMAGES D’ART पर यह तस्वीर प्राप्त हुई। तस्वीर के बारे में फ्रेंच में जानकारी लिखी गई है, जिसका हिंदी अनुवाद है, ‘ये बीसवीं सदी का आर्ट है और इस आर्ट का श्रेय एरियोगन नामक व्यक्ति को जाता है। वेबसाइट के मुताबिक, यहाँ दुनिया भर के कलाकारों की कृतियों का डेटाबेस मौजूद है।

Courtsey: IMAGES D’ART

इसके बाद हमने ‘Areogun Wood Art’ कीवर्ड को गूगल पर खोजा। हमें The Minneapolis Institute of Art की वेबसाइट Artsmia पर एरियोगन द्वारा बनाई गई ये कलाकृति प्राप्त हुई। वेबसाइट के अनुसार, इस आर्ट को नाइजेरिया के ओसी प्रांत के प्रसिद्ध योरूबा एरियोगन ने करीब सौ साल पहले यानी 20वीं सदी की शुरुआत में बनाया था। उन्होंने उस समय के समाज के विभिन्न पहलुओं और राजा द्वारा शासन करने के तौर- तरीकों को दर्शाया है। 

Courtsey: Artsmia

पड़ताल के दौरान हमें BBC UK की एक रिपोर्ट भी मिली। इसमें लकड़ी से बनी साइकिल के आर्ट वाली कई तस्वीरें हैं। उन तस्वीरों में एक तस्वीर पर उकेरा गया आर्ट एकदम वैसा ही है, जैसा आर्ट वायरल तस्वीर में मौजूद है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ये आर्ट नाइजेरियान कलाकार एरियोगन ने 1924 में बनाया था।

वायरल दावे के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ‘bicycles on 2000 old temple’ कीवर्ड को गूगल पर सर्च किया। हमें मीडिया वेबसाइट Daily Mirror पर जुलाई 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के अनुसार, प्रवीण मोहन नाम के एक यूट्यूबर ने 2,000 साल पुराने मंदिर की दीवार पर आधुनिक साइकिल की नक्काशी मिलने का दावा किया है। लेकिन प्रवीण द्वारा मंदिर में मिली नक्काशी के दावे वाली तस्वीर और वायरल तस्वीर एकदम अलग है। रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की पहली चेन वाली साइकिल का आविष्कार साल 1885 में हुआ था। ऐसे में पंचवर्णस्वामी मंदिर में साइकिल की नक्काशी वाली बात पर Daily Mirror ने अपनी रिपोर्ट में, अखबार ‘द हिंदू’ में 2015 में प्रकाशित एक लेख का हवाला दिया है। 

Courtsey: The Daily Mirror

‘द हिंदू’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पंचवर्णस्वामी मंदिर में साइकिल की नक्काशी पाए जाने के दावे पर इतिहासकार डॉ आर कलईकोवन ने मंदिर का दौरा करने के बाद बताया था कि न अधिकारी और न ही इस मंदिर का इतिहास लिखने वाले लोग यह समझा सके कि यह (नक्काशी) यहां कैसे आई। उन्होंने ‘द हिंदू’ से की गई बातचीत में बताया है, “मंदिर में साइकिल की नक्काशी उकेरे जाने का एक सिद्धांत ये भी हो सकता है कि ये साल 1920 में मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान किया गया हो। उस वक्त किसी मूर्तिकार ने किसी साइकिल सवार को देखा हो और उससे प्रभावित होकर उसकी कलाकारी पत्थर पर बना दी हो।” 

यह भी पढ़ें: काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का बताकर वायरल हुए कोलाज में मौजूद तस्वीरों की यह है सच्चाई

Conclusion

इस तरह हमारी पड़ताल में स्पष्ट है कि वायरल दावा भ्रामक है। दरअसल साइकिल सवार के इस आर्ट को नाइजेरिया के कलाकार एरियोगन द्वारा बनाया गया है। तमिलनाडु के 2000 साल पुराने प्रसिद्ध पंचवर्णस्वामी मंदिर में साइकिल सवार की जो मूर्ति स्थित है, वह वायरल तस्वीर में मौजूद आर्ट से अलग है। 

Result: False Context/False

Our Sources

Images published on French Website IMAGES D’ART

Images published on Website Artsmia

Report Published on BBC UK

Report Published on The Mirror in July 2018

Report Published on The Hindu in June 2015

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