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Fact Check
कोरोना की दूसरी लहर में देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव में हजारों की संख्या में लोग रोजाना दम तोड़ रहे हैं तो वहीं हर दिन तेजी से बढ़ती संक्रमितों की संख्या ने लोगों के मन में भय उत्पन्न कर दिया है। कई मामलों में लोगों ने अब शवों को जलाना छोड़कर नदियों में बहाना शुरू कर दिया है। कुछ दिनों से लगातार गंगा नदी के किनारे बसे गांवों में शव बहकर आ रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते 24 घंटे में 206 शव गंगा किनारे से निकाले गए हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर गंगा के घाट की एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में नदी किनारे शवों को पड़े हुए देखा जा सकता है।
दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर देश के हालिया हालातों की है। सोशल मीडिया यूजर्स सरकार पर तंज करते हुए लिख रहे हैं कि, “जिंदा रहने पर लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है, तो मरने के बाद शमशान भी नसीब नहीं हो रहा। न्यू इंडिया, गंगा नदी में सड़ी हुई इंसानों की बहती लाशों को देखकर भी अगर आप सिस्टम से सवाल करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं, तो यकीन मानिये आप गुलामी की जिंदगी जी रहे है।” इसी के साथ तंज करते हुए कई लोग इस तस्वीर को पीएम मोदी के नए इंडिया की तस्वीर बता रहे हैं।
पोस्ट से जुड़ा आर्काइव लिंक यहां पर देखा जा सकता है।
हमारे द्वारा Crowdtangle टूल पर वायरल दावे को लेकर किए गए विश्लेषण से पता चला कि गंगा में बहते शवों वायरल दावे को हज़ारों यूज़र्स ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
वायरल तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ी एक रिपोर्ट Planet Custodian की वेबसाइट पर मिली। जिसे 19 अक्टूबर 2015 को प्रकाशित किया गया था। इस रिपोर्ट में भारत की उन तस्वीरों के बारे में बताया गया था जो चीन में काफी वायरल थीं। इस तस्वीर को शेयर करते हुए बताया गया है कि ये तस्वीर यूपी के एक गांव की है। जहां पर बच्चों और औरतों सहित 100 लोगों के शव गंगा के किनारे पड़े मिले हैं। लोगों के पास पैसे ना होने के कारण वो अंतिम संस्कार नहीं कर पाए और उन्होंने गंगा नदी में शवों को बहा दिया।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर और उससे जुड़ी कुछ अन्य तस्वीरें इमेज स्टॉक रखने वाली वेबसाइट Getty images और HTSyndication पर मिली। यहां पर भी इस तस्वीर को शेयर करते हुए इसे साल 2015 के दौरान का ही बताया गया है।
सर्च के दौरान हमें वायरल तस्वीर से जुड़ा एक ट्वीट ANI के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर भी मिला। जिसे 13 जनवरी 2015 को पोस्ट किया गया था। ट्वीट में गंगा में बहती इन लाशों को यूपी के उन्नाव जिले का बताया गया है।
छानबीन के दौरान वायरल तस्वीर से जुड़ी एक मीडिया रिपोर्ट NDTV के यूट्यूब चैनल पर भी मिली। जिसे 14 जनवरी 2015 को अपलोड किया गया था। NDTV के वीडियो में 8 सेकंड पर वायरल तस्वीर वाला सीन देखा जा सकता है। वीडियो में तत्कालीन गंगा कायाकल्प मंत्री उमा भारती के बयान को भी दिखाया गया है। उमा भारती इस पूरी घटना को लेकर कहती हुई नजर आ रही हैं कि, “मुझे इस घटना के बारे में पता चला है। अधिकारियों को वहां भेजा गया है, हम इस घटना पर गंभीरता से काम कर रहे हैं। मैने अधिकारियों से पूछा है कि मुझे विशेष रूप से बताएं कि इस तरह की परिस्थितियों का निर्माण क्यों हुआ है।”
गंगा में बहते शवों की वायरल तस्वीर की पूरी सच्चाई जानने के लिए हमने आखिर में वायरल तस्वीर की तुलना प्राप्त तस्वीर से की। नीचे साफ तौर पर देखा जा सकता है कि दोनों ही तस्वीर एक जैसी हैं।
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक वायरल तस्वीर का देश के हालिया हालातों से कोई संबंध नहीं है। गंगा में बहते शवों की वायरल तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि जनवरी साल 2015 की है। जिसे अब गलत दावों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।
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Claim Review: हालिया दिनों की है गंगा में बहते शवों की यह वायरल तस्वीर। Claimed By: Viral Social Media Post Fact Check: False |
ANI –https://twitter.com/ANI/status/554987147556442112
NDTV-https://www.youtube.com/watch?v=UtU3dbIfx4k
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