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Fact Check
ओडिशा में एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक शख्स ने पत्नी की लाश बोरे में भरकर बेटे संग कंधे पर उठाई.
यह दावा भ्रामक है. वायरल तस्वीर करीब 9 साल पुरानी है.
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स और फेसबुक पर विचलित करने वाली तस्वीरों का एक कोलाज वायरल है, जिसमें दो शख्स स्ट्रेचर पर पड़े एक शव को तोड़कर बोरी में भरते नजर आ रहे हैं. तस्वीर को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि ‘ओडिशा में एंबुलेंस न मिलने की वजह एक शख्स को अपनी पत्नी का शव तोड़ मरोड़ कर बोरे में भरकर, अपने बेटे के कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ा’.
वायरल पोस्ट के माध्यम से यूजर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली के लिए वर्तमान ओडिशा सरकार और भारत सरकार की आलोचना कर रहे हैं.
एक्स पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “उड़ीसा में एंबुलेंस न मिलने पर एक शख्स ने पत्नी की लाश बोरे में भरकर बेटे संग कंधे पर उठाई. बेहद दुखद और शर्मनाक घटना! किसी बात का अमृतकाल?”
एक अन्य एक्स यूजर ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए अपने पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “और हम विश्व गुरु हैं, स्वघोषित विश्वगुरु! उड़ीसा से एक बेहद दर्दनाक और शर्मनाक घटना सामने आई है. एंबुलेंस ना मिलने की वजह एक शख्स अपनी पत्नी का शव तोड़ मरोड़ कर बोरे में भरकर छोटे बेटे के कंधे पर उठाकर ले गए. बेबस आदमी अस्पताल से बार-बार एंबुलेंस की मांग कर रहे थे लेकिन अस्पताल से कोई मदद नहीं मिली और ना ही एंबुलेंस आई. इसलिए मजबूरी में आकर उन्होंने शव बोरे में भर लिया और बेटे की मदद से कंधे पर रख कर अपने गांव के लिए जाने लगे. यह मंजर जिसने भी देखा उनकी आंखें नम हो गई. यह घटना हमारे स्वास्थ्य तंत्र और प्रशासन की संवेदनशीलता पर बड़ा सवाल खड़ा करती है. क्या गरीबों के लिए सम्मान जनक स्वास्थ्य सुविधा अंतिम यात्रा में भी अब सिर्फ कागज तक सीमित रहेगा”
वायरल दावे वाले अन्य पोस्ट्स यहां और यहां देखें.

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने पोस्ट में मौजूद कैप्शन से मिलते-जुलते कीवर्ड्स, “उड़ीसा में एंबुलेंस न मिलने की वजह से एक शख्स को अपनी पत्नी का शव तोड़ मरोड़ कर बोरे में भरकर ले जाना पड़ा” को इंटरनेट पर सर्च किया. इस दौरान हमें अगस्त 2016 में पंजाब केसरी और जनसत्ता द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट्स मिलीं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, ओडिशा के बालासोर जिले के एक अस्पताल में मोर्चरी वैन देने से इनकार करने पर एक महिला के शव की हड्डियां तोड़कर, उसकी गठरी बनाकर कुछ मजदूरों के जरिए स्टेशन पहुंचाया गया था. दरअसल 80 वर्षीय महिला सलमानी बेहड़ा की मौत एक ट्रेन की चपेट में आने से हुई थी. इसके बाद महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए बालासोर जिला अस्पताल भेजना था, लेकिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं थी. इसके बाद रेलवे पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर के आदेश पर कुछ मजदूरों के जरिए महिला का शव दो किलोमीटर दूर स्थित रेलवे स्टेशन ले जाया गया. NDTV ने भी 27 अगस्त, 2016 को इस घटना पर रिपोर्ट प्रकाशित की था.
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शव के साथ बर्बरता करते लोगों की तस्वीर को मीडिया रिपोर्ट में भी देखा जा सकता है. हमने वायरल तस्वीर की तुलना मीडिया रिपोर्ट्स में मौजूद तस्वीर से की है, जिसका परिणाम नीचे देखा जा सकता है.

इस तरह हमारी पड़ताल में मिले साक्ष्यों से स्पष्ट है कि यह तस्वीर साल 2016 की है. वीडियो में महिला के शव को तोड़कर बोरी में भरते दिख रहे लोग महिला के परिजन नहीं, बल्कि मजदूर अथवा दूसरे लोग हैं. ये घटना जब घटित हुई थी, उस समय राज्य में भाजपा की नहीं, बल्कि बीजू जनता दल (BJD) की सरकार थी.
अगस्त 2016 में ओडिशा में इससे मिलती-जुलती एक अन्य घटना भी घटित हुई थी. द क्विंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, दाना मांझी नाम के एक शख्स को अपनी पत्नी का शव अपने कंधे पर लादकर अस्पताल से घर ले जाना पड़ा था. हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने कहा था कि दाना मांझी ने अपनी पत्नी के शव को अस्पताल से गांव तक ले जाने के लिए वाहन की व्यवस्था कराने के लिए किसी से संपर्क नहीं किया था.
हमारी पड़ताल में यह साफ़ हो गया कि वायरल दावा भ्रामक है. करीब 9 साल पुरानी तस्वीर को हालिया बताकर शेयर किया जा रहा है।
Sources
Media Report by Punjab Kesri
Media Report by Jansatta
Media Report by NDTV
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