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Fact Check
Claim-
(Indian newspaper society) ने एडवाइजरी दी है कि अब से WhatsApp groups पर किसी भी अखबार की PDF फ़ाइल शेयर करना होगा ग़ैरक़ानूनी और हो सकती है कार्रवाई।
जानिए वायरल दावा क्या है-
सोशल मीडिया पर अखबार की एक कटिंग शेयर की जा रही है। कटिंग में दावा किया जा रहा है कि INS ने एक एडवाइजरी जारी की है जिसके मुताबिक अब से किसी भी WhatsApp group पर किसी भी अखबार की PDF फ़ाइलें शेयर करना ग़ैरक़ानूनी होगा।

Verification-
कोरोना के इस संक्रमण काल में जहां केंद्र सरकार ने फेक ख़बरों पर नकेल कसने के लिए कई एडवाइजरी जारी की है तो वहीं दूसरी तरफ कई भ्रामक दावे वायरल हो रहे हैं। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल खबर में बताया जा रहा है कि INS (India newspaper society) ने एक एडवाइजरी जारी की है। जहां कहा जा रहा है कि अब से WhatsApp groups में किसी भी अख़बार की PDF फ़ाइल शेयर करना ग़ैरक़ानूनी होगा। वायरल हुई इस एडवाइजरी की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। पड़ताल के दौरान हमें वायरल एडवाइजरी दैनिक जागरण की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में भी प्राप्त हुआ। लेख का आर्काइव लिंक यह पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के दौरान हमने INS की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित सभी विज्ञप्तियों तथा खबरों में वायरल एडवाइजरी को खंगाला। लेकिन हमें कहीं भी एडवाइजरी से संबंधित कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई।

इसके उपरान्त हमने IBF की वेबसाइट पर भी वायरल एडवाइजरी को खोजा। खोज के दौरान उक्त वेबसाइट में ‘whatsApp पर किसी भी अखबार की PDF फाइल शेयर करना ग़ैरक़ानूनी ‘ वाली इस खबर के संबंध में कोई जानकारी प्रकाशित प्राप्त नहीं हुई।

पड़ताल के दौरान हमें The Free Press journal की वेबसाइट पर 2 मई 2020 को प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। जहां वेबसाइट द्वारा वायरल खबर पर सफाई देते हुए यह बताया गया है कि अख़बार की PDF फाइल शेयर करने पर कोई पाबंदी नहीं है।

इस दौरान हमें India Today की वेबसाइट द्वारा वायरल एडवाइजरी पर किया गया फैक्ट-चेक प्राप्त हुआ। फैक्ट चेक में INS के अध्यक्ष शैलेश गुप्ता द्वारा कही गयी बातों का जिक्र है। शैलेश के मुताबिक एक अखबार जिसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता उसकी PDF फाइल शेयर करना ठीक है। लेकिन एक ‘पेड ऑनलाइन‘ अखबार की PDF फाइल शेयर करना मुनासिब नहीं है। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि एक PDF फाइल को एडिट व बदला जा सकता है इसलिए ऑनलाइन अखबार की PDF फाइल शेयर करने में भ्रामक खबरों का ख़तरा बढ़ सकता है।
लेख में आगे INS के सदस्य ‘बाहुबली एस शाह’ द्वारा कही बातों का भी जिक्र है। शाह ने बताया कि लॉकडाउन के चलते अखबारों को घर तक पहुँचाने में काफी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है इसलिए INS अभी तत्कालीन प्रभाव से PDF फाइल को शेयर करने में कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। लेकिन लॉकडाउन के खत्म होते ही INS इस बात पर विचार करेगी कि PDF फाइल शेयर करने पर क्या कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही हमें ट्विटर पर 2 मई 2020 को अफ्रीकी देश केन्या की समाचार एजेंसी ‘Daily nation’ द्वारा किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ। ट्वीट में एक वीडियो के माध्यम से इस बात की जानकारी दी जा रही है कि व्हाट्सअप पर अख़बार की PDF फाइल शेयर करने पर 10 साल की जेल हो सकती है।
पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए वायरल दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर पता चला कि INS के नाम से वायरल हो रही खबर भ्रामक है।
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