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दिल्ली सरकार ने किसी धर्म विशेष के लिए नहीं जारी किया राहत पैकेज, भ्रामक दावा वायरल

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

आम आदमी पार्टी द्वारा जारी हुई दंगा पीड़ित मुस्लिमों के लिए राहत स्कीम।

दिल्ली में हुए दंगों के बाद सोशल मीडिया में कई तरह के दावे वायरल होते हुए देखे जा सकते हैं। सियासी उठापटक के बीच एक स्क्रीनशॉट तेजी से शेयर हो रहा है। कहा जा रहा है कि यह दिल्ली सरकार द्वारा घोषित स्कीम का हिस्सा है जिसमें केजरीवाल ने दंगों में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुसलमानों को मुआवजा देने का ऐलान किया है। 

दावा है कि इस स्कीम में हिंदुओं को लाभ नहीं दिया जाएगा। इस दावे को सोशल मीडिया के तमाम माध्यमों पर तेजी से शेयर होता हुआ देखा जा सकता है।  

Fact Check / Verification- 

CAA को लेकर दो सम्प्रदायों में हुए बवाल के बाद दिल्ली के कुछ इलाकों में दंगे जैसी स्थिति बन गई थी। इस दंगे में दोनों ही समुदायों के लोगों को जान माल का नुकसान तो हुआ ही बल्कि दिल्ली पुलिस के एक जवान को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। आये दिन दंगों को लेकर कई तरह की फेक ख़बरें सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम कर रही हैं। इसी बीच दिल्ली सरकार द्वारा मुआवजे का ऐलान करता एक पम्फ्लेट वायरल हो गया।

दावे में लिखे तथ्यों की जाँच के कुछ कीवर्ड्स के साथ गूगल खंगाला शुरू किया। इस दौरान हमें दावे से संबंधित फेसबुक से लिया गया एक स्क्रीनशॉट प्राप्त हुआ। जहां राहत स्कीम वाला पैम्फलेट अपलोड हुआ है 

इसके बाद हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से दिल्ली सरकार द्वारा घोषित राहत स्कीम के बारे में खोजा। खोज के दौरान हमें दैनिक भास्कर नामक वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआजहाँ वायरल दावे से संबंधित कुछ जानकारियाँ प्रकाशित हुई हैं

  

लेख के मुताबिक दंगों से प्रभावित सभी घायल, अनाथ और बेघर लोगों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। स्कीम के तहत दंगा पीड़ितों के लिए ये आर्थिक मदद दी जाएगी।

मृतक परिजन: 10 लाख रु.  

अवयस्क मृत्यु: 5 लाख रु.   

स्थायी अपंगता: 5 लाख रु  

गंभीर चोट:  2 लाख रु

मामूली चोट:  20,000 रु

अनाथ हुआ:  3 लाख रु   

पशु हानि:  5000 रु   

समान्य रिक्शा: 25,000 रु 

ई-रिक्शा:  50,000 रु

दंगों से जिनके मकान-दुकान या वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं उन्हें घर क्षतिग्रस्त होने पर 5 लाख रुपए दिए जाने हैं। स्कीम के मुताबिक़ किराएदार है तो एक लाख रुपए और मकान मालिक को 4 लाख रूपये दिए जाने की बात कही गई है। बिना इंश्योरेंस वाले दुकान, गोदाम को अधिकतम 5 लाख रु.की सहायता दी जाएगी। उक्त लेख में कहीं पर भी मुस्लिम शब्द का जिक्र नहीं किया गया है।

लेख से प्राप्त जानकारी की पुष्टि के लिए हमने दिल्ली सरकार की वेबसाइट को भी खंगाला। लेकिन उस पर भी कहीं वायरल दावे जैसी कोई जानकारी मौजूद नहीं है।

Delhi Govt Portal: Home

Portal of Delhi Government is a single window access to information and services being provided by the various department of Govt. NCT of Delhi.

खोज के दौरान ही हमें ट्विटर पर आम आदमी पार्टी द्वारा किया गया एक ट्वीट प्राप्त हुआ जहां राहत स्कीम का पैम्फलेट अपलोड किया गया है। 

AAP द्वारा अपलोड किये गए राहत स्कीम पैम्फलेट में कहीं पर भी भी मुस्लिम जैसे किसी भी शब्द का जिक्र नहीं है।

 

उक्त ट्वीट का हवाला देते हुए  Navodaytimes नामक वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में भी राहत योजना का जिक्र किया गया है। जहां यह बताया गया है कि सरकार दंगों से प्रभावित सभी घायल, अनाथ और बेघर हुए लोगों को आर्थिक सहायता देगी।

Conclusion 

पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए तथ्यों का बारीकी से अध्ययन किया। इस दौरान पता चला कि दिल्ली सरकार ने किसी भी धर्म विशेष के लिए कोई भी विशेष राहत का ऐलान नहीं किया है। इससे स्पष्ट होता है कि सोशल मीडिया में स्क्रीनशॉट के माध्यम से झूठा संदेश वायरल किया जा रहा है।

Result- Misleading

Our Sources 

https://www.navodayatimes.in/news/khabre/compensation-for-delhi-riot-affected-people-from-arvind-kejriwal-government/138697/

https://www.bhaskar.com/delhi/delhi-ncr/news/free-treatment-of-riot-victims-under-angel-scheme-10-lakh-to-the-families-of-the-deceased-compensation-of-5-5-lakh-will-be-given-on-burning-of-house-and-shop-126856771.html

(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़तालसंशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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