Authors
A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.
सोशल मीडिया पर अखबार की एक कटिंग शेयर कर यह दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहली बार हिंदी में सुनवाई की जाएगी.
हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है. उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में हिंदी बोली जाती है. भारत में राज्यों का पुनर्गठन भी भाषायी आधार पर हुआ है. ऐसे में विभिन्न राज्यों में विभिन्न भाषायें बोली जाती हैं. दक्षिण भारतीय राज्यों द्वारा हिंदी इम्पोजिशन को लेकर काफी लंबे से विरोध किया जा रहा है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348(1)(a) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है. हालांकि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348(2) के अंतर्गत यह प्रावधान है कि अनुच्छेद 348(1)(a) के बावजूद किसी राज्य का राज्यपाल, राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से हिंदी या किसी अन्य भाषा को उच्च न्यायालय की कार्यवाही के लिए अधिकृत कर सकता है. लेकिन इस खंड का कोई भी हिस्सा उच्च न्यायालय द्वारा किये गए किसी भी निर्णय, डिक्री या आदेश पर लागू नहीं होगा.
इसी क्रम में बाबा रामदेव और पांचजन्य समेत अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने एक अखबार की एक कटिंग शेयर कर यह दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहली बार हिंदी में सुनवाई की जाएगी.
Fact Check/Verification
सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहली बार हिंदी में सुनवाई के नाम पर शेयर किये जा रहे इस दावे की पड़ताल के लिए हमने ‘सुप्रीम कोर्ट में पहली बार हिंदी में होगी सुनवाई’ कीवर्ड्स को गूगल पर ढूंढा. बता दें कि इस पूरी प्रक्रिया में हमें एक भी ऐसी मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली जो कि वायरल दावे की पुष्टि करती हो.
हमारे द्वारा ‘सुप्रीम कोर्ट हिंदी सुनवाई’ कीवर्ड्स को ट्विटर पर ढूंढने पर हमें यह जानकारी मिली कि अखबार की यह कटिंग 2016 में भी शेयर की गई थी.
आनंद नामक ट्विटर यूजर द्वारा यही कटिंग 21 मार्च, 2016 को शेयर की गई थी.
हमने ‘सुप्रीम कोर्ट में पहली बार हिंदी में होगी सुनवाई’ कीवर्ड्स को फेसबुक पर भी ढूंढा. इस प्रक्रिया में हमें यह जानकारी मिली कि 29 जनवरी, 2016 को भारतीय भाषा आंदोलन नामक एक फेसबुक पेज द्वारा अखबार की यही कटिंग शेयर की गई थी.
इसी प्रकार कई अन्य यूजर्स द्वारा अख़बार की यही कटिंग साल 2016 के जनवरी माह में शेयर की गई है.
उपरोक्त पोस्ट्स की सहायता से हमने ‘पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता ब्रह्मदेव प्रसाद’ कीवर्ड्स को गूगल पर ढूंढा. इस प्रक्रिया में हमें इस खबर से संबंधित कई अन्य खबरें 2016 में प्रकाशित मिली.
इस संदर्भ में दैनिक जागरण द्वारा 29 जनवरी, 2016 को प्रकाशित लेख के अनुसार, “सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में लिखी याचिका स्वीकार नहीं की जाती, लेकिन बिहार के एक वकील ने इस परंपरा का विरोध किया। उन्होंने अपनी याचिका हिंदी में दायर की तथा अपनी दलीलों से इसे स्वीकार करवा लिया। अब वे वहां हिंदी में ही बहस करेंगे। बिहार के एक वकील के कड़े विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट प्रशासन को हिन्दी में लिखी याचिका स्वीकार करनी ही पड़ी। याचिका पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता ब्रह्मदेव प्रसाद ने दायर की है। वे पटना हाईकोर्ट में हिन्दी में लिखी याचिका ही दायर करते हैं और हिन्दी में ही बहस भी करते हैं।” इस विषय पर नई दुनिया द्वारा ‘सुप्रीम कोर्ट ने हिंदी में लिखी याचिका स्वीकार की’ शीर्षक के साथ प्रकाशित लेख यहां पढ़ा जा सकता है.
Conclusion
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहली बार हिंदी में सुनवाई के नाम पर शेयर किये जा यह दावा भ्रामक है. असल में अखबार की जिस कटिंग को शेयर कर यह दावा किया जा रहा है वह 2016 से ही सोशल मीडिया पर मौजूद है.
Result: Missing Context/Partly False
Our Sources
Social Media Posts
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