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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.
भाजपा के सदस्य मेजर (रिटायर्ड) सुरेंद्र पुनिया ने शरणार्थियों का स्वागत कर रहे एक व्यक्ति की तस्वीर शेयर कर दावा किया कि यह पेरिस का वही शिक्षक है जिसकी पैगम्बर मुहम्मद के कार्टून्स दिखाने के बाद हत्या कर दी गई थी. सुरेंद्र पुनिया ने अपने ट्वीट में यह भी कहा है कि जिन शरणार्थियों का वह शिक्षक स्वागत कर रहा था उन्होंने ही उसकी गला काटकर हत्या कर दी, इस घटना से भारत के उन लिबरल्स को सीख लेनी चाहिए जो देश में रोहिंग्या शरणार्थियों के हिमायती हैं.
बीते दिनों पेरिस में ‘Conflans-Sainte-Honorine’ नामक स्कूल में इतिहास के एक शिक्षक ‘Samuel Paty’ की पैगम्बर मुहम्मद के कार्टून्स दिखाने की वजह से गला काटकर हत्या कर दी गई थी. इस बर्बर घटना के पीछे इस्लामिक कट्टरता को कारण बताते हुए पुलिस ने अब्दुल्लाख अंज़ोरोव नामक एक शख्श को गिरफ्तार किया है. बता दें पेरिस में पहले भी शार्ली ऐब्डो नामक एक व्यंगात्मक अखबार में पैगम्बर मुहम्मद के हास्यासपद कार्टून छापने पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने अखबार के दफ्तर में घुसकर करीब 12 लोगों की हत्या कर दी थी तथा लगभग 11 लोगों को घायल कर दिया था. गौरतलब है कि इस तरह की कट्टरता किसी एक धर्म से संबंधित ना होकर लगभग हर एक धर्म में एक कुरीति बन चुकी है जहां धर्म के खिलाफ बोलने पर या संबंधित धर्म के आराध्य का अपमान करने पर हत्या जैसे संगीन अपराधों को अंजाम दिया जाता है. अगर वायरल दावे की बात करें तो रिटायर्ड मेजर और भाजपा नेता सुरेंद्र पुनिया ने एक ट्वीट कर यह दावा किया कि पेरिस में जिस पैगम्बर मुहम्मद के हास्यास्पद कार्टून्स दिखाने पर जिस शिक्षक की हत्या की गई थी वह स्वयं शरणार्थियों का हिमायती था. इसी दावे के साथ मेजर पुनिया ने 2 महिलाओं तथा एक पुरुष द्वारा ‘Refugees Welcome’ की तख्ती पकड़े प्रदर्शनकारियों की तस्वीर भी शेयर की. मेजर पुनिया के अनुसार तस्वीर के बीच में खड़ा व्यक्ति ही वह शिक्षक है जिसकी इस्लामिक कट्टरता की वजह से हत्या कर दी गई थी.
इसी तरह के अन्य दावे यहां देखे जा सकते हैं.
वायरल तस्वीर की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले तस्वीर को गूगल पर सर्च किया जहां हमें यह जानकारी मिली कि ‘Good Chance’ नामक एक ट्विटर हैंडल ने यही तस्वीर अपने हैंडल से 4 दिन पहले पोस्ट की थी.
उक्त ट्विटर हैंडल के द्वारा किये गए ट्वीट्स को ढूंढने पर हमें वह ट्वीट मिला जिसके साथ वायरल तस्वीर को शेयर किया गया था. तस्वीर के कैप्शन में लिखा गया है कि “Today the Good Chance team are in Folkestone to #WelcomeRefugees. The people of Kent are out in force at the Napier Barracks to let people know that they are WELCOME @_KRAN_”
इसके बाद हमने उक्त ट्विटर हैंडल के बारे में अधिक जानकारी के लिए हैंडल के बायो में दी हुई वेबसाइट का रुख किया. जहां हमें यह जानकारी मिली कि ‘Good Chance’ थिएटर और कला के माध्यम से कलाकारों की सहायता करता है. वेबसाइट को और खंगालने पर हमें यह भी पता चला कि ‘Good Chance’ मानवाधिकार, समान अधिकार तथा शरणार्थियों संबंधी मामलो को थिएटर और कला के माध्यम से देश दुनिया तक पहुंचाता है.
बता दें कि वेबसाइट पर ‘Team’ सेक्शन में हमें ‘Joe Robertson’ की तस्वीर मिली जो कि ‘Good Chance’ के ‘Co-Artistic Director’ हैं. गौरतलब है कि वायरल तस्वीर में दिख रहे युवक की तस्वीर Joe Robertson की वेबसाइट पर छपी तस्वीर से काफी मेल खाती है.
गौरतलब है कि वायरल तस्वीर को ज़ूम करके देखने पर तस्वीर में दिख रही दोनों महिलाओं तथा युवक के हाथों में दिख तख्तियों पर ‘Good Chance’ लिखा देखा जा सकता है.
इसके बाद हमें Good Chance के पुराने ट्वीट्स में Joe Robertson की अन्य तस्वीरें भी मिली जिससे यह साफ़ हो गया कि तस्वीर में पेरिस के मृत शिक्षक सैमुअल पैटी नहीं बल्कि Good Chance के लिए काम करने वाले Joe Robertson हैं.
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह साफ़ हो जाता है कि तस्वीर में पेरिस के मृत शिक्षक सैमुअल पैटी नहीं बल्कि Good Chance के लिए काम करने वाले Joe Robertson हैं.
Result: Misleading
Source: Tweet made by Good Chance
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