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Believing in the notion of 'live and let live’, Preeti feels it's important to counter and check misinformation and prevent people from falling for propaganda, hoaxes, and fake information. She holds a Master’s degree in Mass Communication from Guru Jambeshawar University and has been a journalist & producer for 10 years.
12 फ़रवरी को ट्विटर पर एक ट्रेंड काफी चर्चा में रहा, ये ट्रेंड ‘Toolkit’ से संबंधित था। वही ‘Toolkit’ जिसे भारत के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश बताया जा रहा है। #BigExpose के साथ The String नाम के यूज़र ने अपने Youtube चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया था जिसमें Toolkit से संबंधित तथाकथित खुलासे किए गए थे। विनोद कुमार नाम के इस शख्स ने अपने वीडियो में कई बड़े मीडिया संस्थानों और पत्रकारों पर निशाना साधा।
वीडियो के शुरुआत में विनोद कहते हैं कि इस वीडियो के सामने आने के बाद वो नहीं जानते कि वो जिंदा रहेंगे या नहीं। साथ ही वो ये भी कहते हैं कि जिन लोगों को वो ‘EXPOSE’ कर रहे हैं उन्हें फांसी पर चढ़ा देना चाहिए। ये लोग हैं RTI एक्टिविस्ट साकेत गोखले, पत्रकार बरखा दत्त, मोहम्मद ज़ुबैर, ध्रुव राठी, ऑल्ट न्यूज़. न्यूज़लॉन्ड्री, द वायर, स्क्रॉल, द क्विंट, द कारवां इंडिया, द न्यूज़ मिनट, इंडिया स्पेंड, आउटलुक इंडिया, परी नेटवर्क और कांग्रेस।
क्या हैं वीडियो में किए गए तथाकथित खुलासे?
अपने वीडियो को #BigExpose बताते हुए ये शख्स Toolkit में दिए गए नामों के बीच एक कनेक्शन बनाते हुए कहता है कि ये पूरी साजिश भारत के ख़िलाफ 5 महीने पहले रची गई। क्योंकि 5 महीने पहले ही फंडिंग के लिए Digipub नाम की एक संस्था की स्थापना की गई थी। इसके बाद इसी तरह वीडियो में ये साबित करने की कोशिश की गई है कि कैसे George Soros इस साजिश में शामिल लोगों/संस्थानों की फंड कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस टूलकिट पर इतनी बहस हो रही है उस टूलकिट में इनमें से कुछ संस्थाओं और पत्रकारों को Follow करने की सलाह दी गई थी।
String के इस वीडियो में Toolkit को लेकर और कोई बात नहीं की गई है। हालांकि दिल्ली पुलिस द्वारा इस Toolkit को बनाने वालों के ख़िलाफ छानबीन चल रही है। मामले में पुलिस ने 14 फरवरी को दिशा रवि नाम की एक 21 साल की Environment Activist को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने अपनी इस कार्रवाई के पीछे यह कारण दिया कि Disha टूलकिट की एडिटर थी और उन्होंने WhatsApp Groups बनाकर Toolkit बनाने में मदद की थी।
वीडियो में एक जगह पत्रकार बरखा दत्त के YouTube channel MOJO का स्क्रीनशॉट लगाया गया है। यह स्क्रीनशॉट George Soros के बयान का है जो उन्होंने 23 जनवरी 2020 को Davos में आयोजित हुए World Economic Forum में दिया था।
अपने इस बयान में सोरोस ने मोदी सरकार की कश्मीर मुद्दे पर आलोचना की थी। ये वीडियो केवल MOJO पर नहीं बल्कि तमाम न्यूज़ चैनलों पर भी दिखाया गया था। दावोस में दिए इस बयान को आधार बना कर The String अपने वीडियो में मांग करता है कि इस चैनल को बंद कर देना चाहिए।
यह वीडियो YouTube द्वारा पॉलिसी उल्लंघन के चलते अपने प्लेटफॉर्म से हटा दिया गया है।
कौन है The String?
इंटरनेट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक The String नाम के Youtube चैनल को शुरु करने वाले शख्स का नाम विनोद कुमार है। विनोद ने NIT वारंगल से शिक्षा प्राप्त की है। वो सदगुरु के Rally For River कैपेन का भी हिस्सा रहे हैं।
वीडियो में किए गए दावे
- पांच महीने पहले ही हुआ Digipub का गठन जिसमें चुनिंदा मीडिया संस्थानों और पत्रकारों को जगह दी गई।
- ऑल्ट न्यूज़ को IFCN के जरिए George Soros से मिल रही है फंडिंग।
Fact Check
डिजीपब की वेबसाइट पर मिली जानकारी के मुताबिक Digipub news foundation की स्थापना डिजिटल दुनिया के लिए एक बेहतर और मज़बूत न्यूज़ इकोसिस्टम तैयार करने के उद्देश्य से की गई। इसके सदस्य केवल वही लोग हो सकते हैं जो केवल डिजिटल मीडिया से जुडे हैं। इसके संस्थापक सदस्यों में ALT News, Article 14, BoomLive, Cobrapost, HW News, Newsclick, Newslaundry, Scroll, The News Minute, The Quint, The Wire शामिल हैं। इस फाउंडेशन से कुछ स्वतंत्र पत्रकार भी जुड़े हैं जिनमें परंजॉय गुहा ठाकुरता, आकाश बेनर्जी, फेय डिसूज़ा, नेहा दीक्षित शामिल हैं।
क्या 5 महीने पहले हुआ Digipub का गठन?
Newschecker से बातचीत में Digipub की चेयरपर्सन धन्या राजेन्द्रन ने बताया कि इस संस्था का निर्माण रातों रात नहीं हुआ बल्कि इसकी चर्चा कुछ साल पहले से ही हो रही थी। सदस्यों की व्यस्तता के कारण इसकी स्थापना में समय लग गया। The String द्वारा वीडियो में उनकी संस्था को लेकर लगाए गए आरोपों पर उनका कहना है कि ये सभी आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और एक कल्पना मात्र हैं।
कुछ इसी तरह का जवाब हमें Newslaundry और Digipub के सह संस्थापक अभिनंदन सेखरी से भी मिला। हमसे बातचीत में उन्होंने कहा कि इस तरह के आरोप अक्सर लगाए जाते हैं जिनका कोई आधार नहीं होता। साथ ही उन्होंने ये भी साफ किया कि Digipub को कहीं से भी किसी भी तरह की फंडिंग नहीं मिल रही है, ये संस्था अभी अपने शुरुआती दौर में है। यहां तक कि अभी तक इस संस्था का बैंक अकाउंट भी नहीं खुला है। आपको बता दें कि Digipub से जुड़ने वाले सदस्यों को 10000/- रूपए (वार्षिक) सदस्यता फीस देने का प्रावधान है।
अभिनंदन ने हमें 2018 को उनके और अन्य सदस्यों के बीच ई-मेल के जरिए हुई पहली आधिकारिक बातचीत का एक स्क्रीनशॉट भी भेजा है, जिसे आप नीचे देख सकते हैं। सभी तरह की औपचारिकताओं के बाद इस संस्था का रजिस्ट्रेशन 21 अक्टूबर 2020 को कराया गया था।
क्या ALT News को IFCN के जरिए मिल रही है फंडिंग?
ALT News के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने हमें बताया कि उनकी IFCN की सदस्यता 26 अप्रैल 2020 को ही समाप्त हो चुकी है। साथ ही वो कहते हैं कि सदस्य रहते हुए भी उन्हें न तो IFCN की तरफ से किसी तरह के फंड मुहैया कराए गए और न ही इस दौरान उन्होंने Facebook के लिए काम किया। उन्होंने यह भी साफ किया कि Digipub से किसी भी सदस्य को फंडिंग नहीं मिलती बल्कि सदस्यों को सालाना सदस्यता फीस देनी होती है। ALT News ने साफ किया कि वो Foriegn Funds नहीं ले सकते क्योंकि उनके पास FCRA सर्टिफिकेट नहीं है।
‘Toolkit’ के बारे में पूछने पर वे कहते हैं कि इसकी जानकारी उन्हें भी तब लगी जब सोशल मीडिया पर इसे पोस्ट किया गया। The String के इस वीडियो को उन्होंने एक Conspiracy Theory बताते हुए इसे स्वतंत्र मीडिया और पत्रकारों पर हमला बताया।
The String के इस तथाकथित खुलासे में जॉर्ज सोरोस की Open Society Foundation की भी बात की गई है। OSF उन संस्थाओं में से एक है जो Poynter Institute for Media Studies को फंडिंग देती है। Poynter एक नॉन प्रॉफिट संस्था है जो कि मीडिया लिटरेसी और फैक्ट चेकिंग को बढ़ावा देती है। IFCN इसी संस्था का भाग है।
IFCN के डायरेक्टर बेबर्स ऑर्सेक (Baybars Orsek) ने Newschecker को बताया कि OSF ने IFCN को 2017-2020 तक फंड्स दिए हैं लेकिन 2021 में अभी तक इस संस्था से कोई फंड नहीं आए हैं। बेबर्स कहते हैं कि अन्य फंडर्स की तरह OSF का भी उनके काम में हस्तक्षेप नहीं होता। इन संस्थाओं से मिलने वाला सहयोग उनकी पहल को मज़बूती देता है लेकिन इससे उनके एजेंडे पर असर नहीं होता।
IFCN अपनी कम्यूनिटी के सदस्यों को ग्रांट्स के जरिए फंड्स देता है लेकिन इनमें से कोई भी ग्रांट OSF द्वारा नहीं दी गई है। बेबर्स ने भी यह साफ किया है कि ALT News 29 अप्रैल 2020 से उनका सदस्य नहीं है।
भारत के कई फैक्ट चेकर्स IFCN के सदस्य हैं जिनमें Newschecker, BoomLive, Factly, Fact Cresando, NewsMeter, SoftMedia Hub, India Today, The Healthy Indian Project, The Quint, Vishwas News, Youturn शामिल है।
Newschecker इसकी पुष्टि करता है कि IFCN द्वारा उसके सदस्यों को फंड्स नहीं दिए जाते।
हमनें इस वीडियो के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए The String से भी संपर्क किया है लेकिन अभी तक हमें उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है। जवाब मिलते ही इस आर्टिकल को अपडेट किया जाएगा।
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Our Sources
Mohammad Zubair, Co-Founder, ALT News
Dhanya Rajendaran, Editor-in-Chief, The News Minute
Abhinandan Sekhri, Co-Founder, Newslaundry
Baybars Orsek, Director, IFCN
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