शुक्रवार, मार्च 29, 2024
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पुलिस और वकीलों के बीच विवाद के बाद दिल्ली में प्रदर्शन की तस्वीर को CAA का विरोध बताकर किया गया शेयर

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दिल्ली में प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिसवालों की पिटाई किये जाने पर लेडी पुलिस कांस्टेबल ने हाथ में पोस्टर लेकर हाईकोर्ट से पूछा सवाल । 

 

Saksham Hindu

Rss राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ� has 63,435 members. वन्देमातरम�

 
Verification– 
 
एनआरसी और सीएए के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन किए गए है। कई जगहों पर मार्च निकाले गए ऐसे में दिल्ली में यह आंदोलन हिंसक हो गया। आंदोलनकारियों द्वारा पुलिस पर भी पथराव करने की खबरें आई। इसी बीच फेसबुक पर एक पोस्ट देखने को मिला। इस पोस्ट में दिल्ली पुलिस की लेडी कांस्टेबल की एक फोटो शेयर की गई है। वह हाथ में पोस्टर लेकर कुछ लोगों के साथ खड़ी है। इस पोस्टर पर लिखा है- ‘दिल्ली हाईकोर्ट तय करे कि पुलिस को कितनी देर पिटने के बाद आपा खोना है।’  
 
पोस्ट के नीचे कई यूजर्स ने कमेंट्स कर लिखा है कि दिल्ली हाईकोर्ट को इसका जवाब देना चाहिए।
 
 
 
हमनें इस बारे में पड़ताल शुरू कर दी। इसके लिए वायरल फोटो को गूगल रिवर्स इमेज की मदद से खोज की तो पता चला कि यह फोटो दिल्ली में तीस हजारी कोर्ट में डेढ़ महीने पहले वकील और पुुलिस के बीच झड़प हुई थी इसके बाद दिल्ली पुलिस धरने पर बैठ गई थी। उसी दौरान की यह फोटो है। 
 
 
इस बारे में न्यूज 18 की खबर मिली जिसमें दिल्ली पुलिस की महिला कर्मचारी वकीलों द्वारा उनके साथ कथित तौर पर की गई हिंसा के खिलाफ यह पोस्टर दिखा कर विरोध कर रही है। 
 
 
दिल्ली हाईकोर्ट ने से दो ऐसे फैसले लिए हैं, जो दिल्ली पुलिस के हक में नहीं गए हैं। इसकी खबर भी। नवभारत टाइम्स वेबसाइट पर प्रकाशित हुई थी। वही लाइव हिंदुस्तान की खबर में बताया गया था कि 10 घंटों के बाद दिल्ली पुलिस ने आंदोलन खत्म किया लेकिन हायकोर्ट ने पुलिस की मांगों को ठुकराया।
 
 
इससे स्पष्ट होता है कि वायरल फोटो दिल्ली मे वकील और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद पुलिस द्वारा किए गए प्रदर्शन की है न की दिल्ली में एनआरसी, सीएए के विरोध में उभरे विरोध प्रदर्शन के बाद की। वहीं दिल्ली हाईकोर्ट ने उस समय पुलिस की मांग ठुकराई थी। इससे साफ होता है कि हाईकोर्ट ने पहले ही जवाब दिया था। सोशल मीडिया में गलत दावे के साथ यह फोटो वायरल की जा रही है। 
 
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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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