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भारत की नहीं है खेत में किसान की मौत की ये तस्वीर

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Claim

दारू पी कर बाथ टब में गिरने पर श्रद्धांजलि देने वालों कभी किसानों की इस तरह की दर्दनाक मौत पर उन्हें भी राजकीय सम्मान दे दो

Verification

ट्विटर पर शिक्षा सिंह नामक हैंडल पर एक फोटो शेयर की गई है। इस फोटो को देखकर ऐसा लगता है कि खेत में हल चला रहे किसान और बैल की बिजली का टूटने से करंट लगने से मौत हुई है।

ट्वीट में लिखा है कि ऐसे किसानों को भी राजकीय सम्मान मिलना चाहिए।

इस तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च के माध्यम से खोजने पर कई परिणाम सामने आए। इन रिजल्ट्स में यही दावा करने वाला एक और ट्वीट मिला।

साथ ही हमें एक साल पुरानी फेसबुक पोस्ट मिली जिसमें ऐसा ही दावा किया गया था। इसमें लिखा था कि श्रीदेवी शराब पीकर बाथटब में डूबकर मर गई प्रधानमंत्री जी के साथ-साथ पूरी मीडिया को यह बात सताने लगी कि इसके परिवार का क्या होगा.???दूसरी तरफ एक गरीब किसान जो पूरे भारत के लिए अन्न पैदा करता है वह कुदरती कहर आसमानी बिजली के कारण अपने बालों सहित खेत में ही शहीद हो गया किसी भी TV चैनल यह राजनेता ने इस किसान के परिवार के बारे में चिंता नहीं की, ना ही कोई चैनल छाती पीट नही कर रोया।

यह फोटो किस राज्य या इलाके के किसान की है इसके बारे में किसी भी वायरल पोस्ट में जानकारी नहीं दी गई थी इसलिए हमनें पड़ताल जारी रखी । Yandex में इस फोटो को खोजने पर हमें दी ढाका मैंसेजर की एक फेसबुक पोस्ट में यह फोटो मिली। यह फोटो पिछले साल 30 अप्रैल को शेयर की गई थी। पोस्ट में क्या लिखा है यह जानने के लिए हमनें गूगल ट्रांसलेट की मदद ली। इससे पता चला कि बांगलादेश में एक किसान सहित 8 लोगों की मौत हुई थी। वही हमनें गूगल रिवर्स इमेज में इस फोटो की खोज की तो हमें theprobashi का एक लेख मिला जिसमें बताया गया था कि पूरे बांग्ला्देश में आंधी के चलते बिजली का करंट लगने से 6 लोगों की मौत हुई है।

हमारी पड़ताल में यह साबित हुआ कि यह फोटो भारत के किसान की नहीं बल्कि पिछले साल बांग्लादेश में आंधी के चलते बिजली का करंट लगने से मरे किसान की है। जिसका वास्तव में भारत से कोई संबंध नही है।

Tools Used

  • Twitter Advanced Search
  • Yandex Image Search
  • Google Reverse Image Search

Result- False 

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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