मंगलवार, अप्रैल 23, 2024
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पूर्व पीएम राजीव गाँधी ने कभी नहीं कहा कि वे नहीं हैं हिन्दू, सोशल मीडिया में वायरल हुआ भ्रामक दावा

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Claim

राजीव गांधी ने कश्मीर में फारुख अब्दुल्ला से पब्लिक मीटिंग में कहा था कि मैं हिंदू नहीं हूं। 

Verification

सोशल मीडिया में वायरल हो रहे मैसेज में बताया गया है कि कश्मीर में एक रैली के दौरान फारुख अब्दु्ल्ला ने जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को हिंदू बताया तो जवाब में गांधी ने कहा था कि वे हिंदू नहीं है। वायरल ट्वीट में एक अखबार की कटिंग अटैच की गई है जिसमें मुंबई स्थित लेखक एम के रैना द्वारा दिया गया गया बयान कोट किया गया है। इसमें लिखा गया है कि मैं उस वक्त वहीं पर मौजूद था जब कश्मीर की सभा के दौरान फारुख अब्दुल्ला ने राजीव गांधी को हिंदू कहा था। तुरंत ही राजीव ने कहा था मैं हिंदू नही हूं।

हमनें राजीव गांधी को लेकर एम के रैना द्वारा दिए गए बयान की पड़ताल शुरू की तो करीब पांच साल पहले रैना द्वारा यही दावा करने वाला किया गया ट्वीट मिला।

हमनें राजीव गांधी के धर्म के बारे में जानना चाहा तो पता चला कि उनके पिता फिरोज गांधी का जन्म पारसी परिवार में हुआ था। फिरोज गांधी और इंदिरा की शादी को लेकर इंडिया टुडे में में छपी खबर मिली। इसमें भी राजीव गांधी के पिता फिरोज गांधी के पारसी होने का दावा किया गया है।

हमारी पड़ताल में फिरोज गांधी के निधन को लेकर बीबीसी की एक खबर मिली जिसमें बताया गया था कि फिरोज गांधी का अंतिम संस्कार पारसी रिवाज से न कर हिंदू रिवाज से किया गया था। उस समय राजीव गांधी 16 साल के थे, उन्होंने अपने पिता को मुखाग्नि दी थी।

वहीं इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 1984 में उनके अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी। बीबीसी की खबर के मुताबिक इंदिरा गांधी का भी अंतिम संस्कार हिंदू रिवाज़ से हुआ था। राजीव गांधी ने उन्हें मुखाग्नि दी थी। वाशिंगटन पोस्ट ने इंदिरा का अंतिम संस्कार हिंदू रिवाज से किए जाने की खबर छापी थी।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन 21 मई 1991 को चेन्नई के पास आत्मघाती बम हमले में उनकी मृत्यु हो गई। राजीव गांधी का भी अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से ही किया गया था। उनके बेटे राहुल गांधी ने उन्हें मुखाग्नि दी थी। इसके कई वीडियोज इंटरनेट पर मौजूद है।

हमारी पड़ताल में साबित हुआ कि राजीव गांधी ने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया था। किसी भी प्रतिष्ठित अखबार या टीवी चैनल ने यह खबर नहीं दिखाई। यदि उन्होंने ऐसा कहा होता तो समाचारों की सुर्खी बन जाता। 

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Result- False

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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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