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बदमाशों पर इंदौर पुलिस द्वारा कार्रवाई की वर्षों पुरानी वीडियो क्लिप यूपी का बताकर की गई शेयर

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Claim– यूपी पुलिस राज्य के एक शहर में पत्थरबाजों पर लाठी चार्ज कर रही है। पकड़े गए सभी लोग मुस्लिम हैं। 

 
 
Verification– 
 
हमारे एक पाठक ने हमें व्हाट्सएप पर एक मैसेज के साथ वीडियो भेजकर पड़ताल करने के लिए कहा है। इस वीडियो में दिख रहा है कि पुलिस वाले खुलेआम युवाओंं पर लाठियां भांज रहे है, उठक- बैठक लगवा रहे हैं। वीडियो के साथ शेयर किए गए मैसेज में लिखा है कि यूपी पुलिस एक शहर में पत्थरबाजों पर लाठीचार्ज कर रही है। पकड़े गए सभी लोग मुस्लिम है। कृपया इस वीडियो की पड़ताल करें। 
 
हमनें वायरल वीडियो को लेकर पड़ताल शुरू की। यूपी पुलिस को लेकर कुछ कीवर्ड से खोज की। लेकिन इस तरह की कोई खबर नहीं मिली। इसके बाद बारीकी से वीडियो देखना शुरू किया। एक जगह देखा कि पुलिस युवाओं को साथ लेकर खड़ी है वहां पर विजय टेन्ट हाउस का बोर्ड लगा हुआ है।
 
 
 
गूगल में सर्च करने पर पता चला कि विजय टेन्ट हाउस इंदौर में है। वहीं वीडियो में हमें दीवार पर श्री माहेश्वरी उ. मा विद्यालय लिखा हुआ बोर्ड दिखा। 
 
 
गगूल में श्री माहेश्वरी उ.मा.विद्यालय को लेकर खोज की तो पता चला कि यह भी इंदौर में हैं। इसके बाद हमनें Indore Cops Beat youth In Public कीवर्ड्स की सहायता से खोज की तो हमें करीब चार साल पहले की एबीपी न्यूज की खबर का वीडियो मिला। यह वीडियो बिल्कुल वायरल वीडियो जैसा ही है। इसे 29 मई 2015 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया है। 
 
 
खबर के अनुसार मध्यप्रदेश के इंदौर में बढ़ते अपराधों पर लगाम लगाने के लिए पुलिस ने तालिबानी रुख अपनाया। पुलिस बदमाशों की परेड निकाल रही है तो कहीं उठक बैठक करवा रही है। बीते एक महीने में इंदौर के 15 थानों से करीब 50 जुलूस निकाले गए हैं। 
 
इसके अलावा हमें आज तक की खबर का भी वीडियो मिला जिसमें भी यही जानकारी दी गई है।
 
 
इससे स्पष्ट होता है कि वायरल वीडियो यूपी पुलिस द्वारा पत्थरबाजों पर लाठी चार्ज का नहीं बल्कि चार साल पहले इंदौर पुलिस द्वारा सरेआम गुंडों पर लाठी चार्ज का है। इसे आज के संदर्भ में वायरल कर भ्रामकता फैलाई जा रही है। 
 
 
Sources
 
Google Search 
Youtube Search 
 
 
Result- Misleading
 
(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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