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भारत की बताकर पाकिस्तानी स्कूल की तस्वीर हुई सोशल मीडिया में वायरल

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Claim

दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति वाले हमारे देश का स्कूल। जब पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढ़ेगा इंडिया।

Verification

सोशल मीडिया में कीचड़ में बैठी स्कूली बच्चियों की एक फोटो वायरल हो रही है। इस फोटो को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह स्कूल दुनिया की सबसे उंची मूर्ति वाले देश, भारत का है। चित्रण से बताया गया है कि बच्चों को बदतर हालत में कीचड़ में बैठकर अपनी पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है। हमनें इस पोस्ट को लेकर पड़ताल शुरू की तो एक ट्वीट मिला। उसमें यही दावा किया गया था लेकिन यह स्कूल कहां का है इस बारे में जानकारी नहीं दी गई थी।

स्कूल किस जगह का है इसकी जानकारी के लिए हमने पड़ताल को आगे बढ़ाया। इस बीच हमें फेसबुक पर एक पोस्ट मिली जिसमें बताया गया था कि यह स्कूल उत्तर प्रदेश का है। लेकिन इस पोस्ट में फोटो को लेकर अलग ही दावा किया गया था। फेसबुक पोस्ट में लिखा गया था कि यूपी सरकार ने गायों के लिए 450 करोड़ का बजट पास किया है लेकिन इन बदतर स्कूलों के बारे में नहीं सोचा।

स्कूल के स्थान के बारे में पता चला लेकिन दोनों पोस्ट में हुए अलग दावे से शक हुआ। इस तस्वीर को गूगल में खंगाला तो हमें एक और ट्वीट मिला जिसमें यह स्कूल यूपी में होने का दावा किया गया था। 

इस ट्वीट में किए गए कमेंट को बारीकी से पढ़ा। एक यूजर ने कमेंट में लिखा था कि यह स्कूल यूपी का नही बल्कि पाकिस्तान का है। और यह तस्वीर चार साल पहले वायरल हुई है। हमनें कुछ कीवर्ड्स की मदद से इस बारे में खोज की तो यह तस्वीर पाकिस्तान के स्कूल की होने का दावा करने वाला ट्वीट मिला। 

वहीं हमें यही दावा करने वाला एक और ट्वीट मिला।

इस ट्वीट में दावा किया गया है कि 25 सालों से यह स्कूल पाकिस्तान के पंजाब में चलाया जा रहा है।

वहीं साल 2015 में siasat.pk में छापी गई खबर की फोटो मिली जिसमें पाकिस्तान के पंजाब में गर्ल्स प्राइमरी स्कूल का हाल बयां किया गया था। यह वही फोटो है जो अलग-अलग दावे के वायरल हो रही थी।

हमारी पड़ताल में यह साबित हुआ कि वायरल तस्वीर का भारत से कोई संबंध नहीं है। यह तस्वीर पाकिस्तान के पंजाब स्थित एक गर्ल्स प्राइमरी स्कूल की है।

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Result- False

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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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