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मणिपुर ने खुद को नहीं घोषित किया स्वतंत्र राष्ट्र, अलगाववादी नेताओं द्वारा बयान के बाद भ्रामक दावा वायरल

Written By Saurabh Pandey
Oct 30, 2019
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Claim:

एक ट्विटर यूजर ने अल जजीरा का एक लिंक शेयर करते हुए कहा है कि “अपना नमूना दुनिया घूम रहा है। इधर मणिपुर ने स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा कर दी और बांग्लादेश, चीन, पाकिस्तान के लोग बधाईयां दे रहे हैं। ये चल क्या रहा है?”

Verification:

बीते दिनों मणिपुर के दो अलगाववादी नेताओं द्वारा लंदन में मणिपुर को अलग राष्ट्र घोषित करने के बाद सोशल मीडिया पर इस संबंध में तरह-तरह के दावे वायरल हो रहें हैं। दावे की गंभीरता को देखते हुए हमने इसकी पड़ताल शुरू की।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है मणिपुर के स्वतंत्र राष्ट्र घोषित होने का मामला

क्या मणिपुर सच में घोषित हुआ स्वतंत्र राष्ट्र?

वायरल दावे में बताया जा रहा है कि मणिपुर ने स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा कर दी है। आइए सबसे पहले यह जानते हैं कि स्वतंत्र राष्ट्र क्या होता है।

एक स्वतंत्र राष्ट्र विभिन्न राज्यों या रियासतों का वह समूह है जिसका अपना संविधान, ध्वज, राष्ट्रगान इत्यादि हो एवं उस राष्ट्र की अपनी सरकार हो जो राष्ट्र के नीति-निर्धारण एवं उसका अनुपालन सुनिश्चित करती हो। स्वतंत्र राष्ट्र की परिकल्पना किसी राष्ट्र के संप्रभुता पर निर्भर करती है। इस बारे में अधिक जानकारी इस लिंक से प्राप्त की जा सकती है।

यदि दावे पर गौर करें तो मणिपुर द्वारा स्वतंत्रता की घोषणा का दावा गंभीर तो है साथ ही साथ यकीन ना कर पाने वाला भी है। दरअसल मणिपुर के 2 अलगाववादी नेता, जो ब्रिटेन में शरणार्थी के तौर पर रह रहें हैं, उन्होंने कल यह घोषणा किया कि वह मणिपुर के राजा के प्रतिनिधि के तौर पर मणिपुर को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करते हैं एवं अन्य राष्ट्रों से यह अपेक्षा करते हैं कि वो इसे निर्वासन में मणिपुर सरकार के रूप में देखेंगे। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मणिपुर के अलगाववादी नेता याम्बेन बिरेन ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल का मुख्यमंत्री’ और नरेंगबाम समरजीत ने ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल का रक्षा और विदेश मंत्री’ होने का दावा किया। उन्होंने कहा कि वे ‘मणिपुर के महाराजा’ की ओर से बोल रहे हैं और औपचारिक तौर पर निर्वासन में ‘मणिपुर स्टेट काउंसिल’ की सरकार शुरू कर रहे हैं। 

विभिन्न समाचार एजेंसियों ने इन अलगाववादी नेताओं के बयान को कुछ इस तरह पेश किया है “विधिवत सरकार को मणिपुर से लंदन स्थानांतरित कर दिया गया है। हम मानते हैं कि अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने मणिपुर की स्वतंत्र सरकार को सार्वजनिक करने और मान्यता प्राप्त करने का सही समय है। हम संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की संप्रभु राज्यों की सभी सरकारों को मान्यता के लिए अपील करते हैं कि आज से यह मणिपुर की निर्वासित सरकार है।” इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए Outlook Hindi में छपे इस लेख को पढ़ा जा सकता है।

क्या इस घोषणा के बाद स्वतंत्र हो गया मणिपुर?

मणिपुर के अलगाववादी नेताओं की इस प्रेस वार्ता से मणिपुर की वर्तमान स्तिथि पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं है या यूं कहें कि मणिपुर अब भी भारतीय गणराज्य के अंतर्गत एक राज्य है जिसमे भारतीय चुनाव प्रक्रिया का पालन करते हुए जनप्रतिनिधि चुने गए हैं जो वर्तमान समय में राज्य के नीति निर्धारण तथा नीतियों के अनुपालन की जिम्मेदारी निभा रहें हैं। इतना ही नहीं मणिपुर में भारतीय गणराज्य द्वारा नियुक्त राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला अब भी अपना कर्तव्य निर्वहन कर रही हैं। अतः मणिपुर को स्वतंत्र राष्ट्र बनने का दावा तो यही झूठा साबित हो जाता है।

मणिपुर के महाराजा ने घोषणा से स्वयं को किया अलग!

एक राजनीतिक विश्लेषक की माने तो मणिपुर के महाराजा ने मणिपुर की स्वतंत्रता के घोषणा से स्वयं को अलग करते हुए कहा है कि उन्हें इस घोषणा की खबर नहीं है तथा वह इस तरह की किसी घोषणा से स्वयं को संबद्ध नहीं करते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए कथित राजनीतिक विश्लेषज्ञ का यह ट्वीट देखा जा सकता है या इस लिंक पर जाकर पूरी खबर पढ़ी जा सकती है।

स्वतंत्रता के प्रति क्या है मणिपुर के लोगों की सोच?

चूंकि दवा बहुत तेजी से वायरल हो रहा था इसलिए हमने मणिपुर के लोगों के बीच कोई सर्वे नहीं कराया बल्कि उपलब्ध जानकारियों के माध्यम से यह जानने का प्रयास किया कि इस विषय में  मणिपुर के लोगों की क्या राय है।

अपनी पड़ताल के इस चरण में हमने यह जानने का प्रयास किया कि मणिपुर के कितने प्रतिशत वोटर्स ने भारतीय संविधान द्वारा स्थापित व्यवस्था को चुनने में भाग लिया। यह जानने के लिए हमने भारतीय चुनाव आयोग की वेबसाइट का रुख किया जहां हमें पता चला कि मणिपुर में कुल 1939244 वोटर्स हैं जिसमे से 1617330 वोटर्स ने मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। अगर कुल मतदान प्रतिशत की बात करें तो यह 83.4% होता है जो कि पूरे देश के औसत 67.47% से 15.93% ज्यादा है।

ऊपर दिखाए गए आंकड़ों को देखकर कम से कम इतना तो पता चलता है कि मणिपुर के लोग भारतीय संविधान में आस्था रखते हैं एवं इसके द्वारा स्थापित व्यवस्था का अंग बनकर संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का बहुतायत प्रयोग करते हैं।

हमारी पड़ताल में भ्रामक निकला मणिपुर को लेकर किया जा रहा यह दावा

हमारी पड़ताल में यह स्पष्ट होता है कि मणिपुर ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित नहीं किया बल्कि 2 अलगाववादी नेताओं ने मणिपुर को स्वतंत्र घोषित किया है जो कि तब तक अमल में नहीं आएगा जब तक भारतीय सरकार किसी समझौते या किसी अन्य परिस्थिति में इसकी सहमति ना दें।

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