After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim
भारतीय मुद्रा प्रिटिंग प्रेस में डिप्टी कंट्रोल अधिकारी हर रोज अपने जूतों में छुपाकर नोटों की गड्डियां चुराकर ले जाता था। सीआईएफ वालों ने उसे पकड़ लिया साथ ही उसके घर से दस हजार करोड़ रुपए बरामद किए।
Verification-
ट्विटर पर सत्या Sathya नामक हैंडल से एक ट्वीट किया गया है। इस ट्वीट में एक वीडियो शेयर किया गया है जिसमें सिक्योरिटी गार्ड एक शख्स को पकड़कर रखता है। वहीं दूसरा सिक्योरिटी गार्ड एक बाॅक्स में नोटों की गड्डियां दिखा रहा है। ट्वीट में दावा किया जा रहा है कि पकड़ा गया शख्स आरबीआई का डिप्टी डायरेक्टर है जो हर रोज नोट की गड्डियां चुराकर ले जाता था। उसके घर से दस हजार करोड़ की रकम बरामद हुई है।
हमनें इस पोस्ट को लेकर पड़ताल शुरू की। फेसबुक पर इसी दावे के साथ वायरल वीडियो कई अकाउंट्स पर शेयर किया हुआ नजर आया।
खोज को आगे बढ़ाया तो यूट्यूब पर भी यही पूरा वीडियो देखने को मिला।
वीडियो से मामले के बारे में पूरी जानकारी नही मिल पा रही थी इसलिए हमनें गूगल में कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोज की। इस दौरान एक साल पहले
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी खबर मिली जिसमें इस वीडियो से संबंधित खबर छपी थी।
खबर के मुताबिक मध्यप्रदेश के देवास में बैंक के डिप्टी कंट्रोल अधिकारी मनोहर वर्मा को CISF कर्मियों द्वारा नए मिस्ड नोटों की गड्डियां अपने जूतों के भीतर चुराकर ले जाते गिरफ्तार किया गया। इसके बाद अधिकारी के घर पर की गई छापेमारी में 90 लाख रुपए जब्त किए गए। खोज के दौरान इंडिया टीवी की खबर का वीडियो भी मिला।
इस मामले में दोषी अधिकारी को आरबीआई ने हटाया था इसकी खबर भी
बिजनेस टुडे में छपी थी।
इससे साबित होता है कि यह घटना एक साल पुरानी है और अधिकारी के घर से दस हजार करोड़ रुपए नहीं बल्कि 90 लाख रुपए जब्त किए गए थे। सोशल मीडिया में इसी खबर को अब का बताकर गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
Tools Used
- Twitter Advanced Search
- Google Keywords Search
- Facebook Search
- YouTube Search
Result- Misleading
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.