A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
Claim-
उत्तर कर्नाटका में एक लिंगायत नामक समुदाय है जिसे ‘खान लिंग्यत’ भी कहा जाता है, इस समुदाय के लोग भगवान शिव की पूजा मल्लू खान के रूप में करते है। वे दावा करते हैं कि भगवान शिव मल्लू खान के रूप में आए थे और उन्होंने उनके कबीले की एक मुस्लिम लड़की से शादी की थी।
Verification-
ट्विटर पर अक्सर फेक न्यूज़ फ़ैलाने वाली ‘मधु पूर्णिमा किश्वर’ ने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने उत्तर कर्नाटक के एक लिंगायत नामक समुदाय की चर्चा की है। जहां उनका दावा है कि इस समुदाय के लोग मुस्लिम है और जो भगवान शिव को मल्लू खान के रूप में पूजते है साथ ही उनका एक दावा यह भी है कि इस समुदाय के लोगों का यह मानना है कि भगवान शिव ने मल्लू खान के रूप में आकर उनके कबीले की एक मुस्लिम लड़की से शादी रचाई थी।
वायरल दावे की सत्यता जानने के लिए हमने गूगल पर अपनी पड़ताल आरम्भ की। इस दौरान सबसे पहले
Economics times नामक वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ।
लेख के मुताबिक लिंगायत उत्तर कर्नाटक का एक समुदाय है जो 12वीं सदी के संत ‘बसवण्णा’ के अनुयायी है जिनका वेदों की परंपरागत रिवाजों से संबंध नहीं है लेकिन भगवान शिव को पूजते है। इस समुदाय के लोगो को वीरशैवस का एक हिस्सा माना जाता है जो हिन्दू प्रथा का पालन कुछ हद तक करते है। वीरशैवस एक समुदाय है जिसकी स्थापना भगवान शिव और बसवण्णा द्वारा की गयी थी। लेख के अनुसार कर्नाटक की कुल आबादी में 17 प्रतिशत सिर्फ लिंगायत समुदाय की संख्या है। इसके उपरान्त हमने ‘बसवण्णा’ की जानकारी प्राप्त करने के लिए गूगल पर खोजा। इस दौरान हमें इंटरनेट के माध्यम से पता चला कि ‘बसवण्णा’ भगवान शिव के अनुयायी और एक संत थे जो लोगों में सामाजिक जागरूकता लाने का काम अपने गीत और कविताओं के माध्यम से किया करते थे।
हमें खोज में
times of india की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। जहां इस बात का जिक्र है कि लिंगायत समुदाय को कर्नाटक में सरकार ने अल्पसंख्यक घोषित किया है।
कई लेखों को पढ़ने पर पता चला कि लिंगायत को ‘खान लिंगायत’ नहीं कहा जाता है बल्कि सरकार ने समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित किया है इसलिए
newschecker.in की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ।
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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.