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घाटी में कर्फ्यू के दौरान सेना के जवान ने घरों पर नहीं फेंके पत्थर, वायरल हुआ पुराना वीडियो

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Claim

भारतीय सेना के जवानों ने कश्मीर में कर्फ्यू के दौरान लोगों के घरों पर पत्थरबाजी की। दुनिया को कश्मीर का साथ देना चाहिए।

Verification
सोशल मीडिया में सेना के जवानों द्वारा कश्मीर में घरों पर पत्थर फेंकने वाला वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि कश्मीर में धारा 370 और 35-ए हटाए जाने के बाद कर्फ्यू के दौरान भारतीय सेना के जवान लोगों के घरों पर पथराव कर रहे हैं।
ट्विटर पर यह दावा @asmaschaudhry नामक हैंडल से किया गया है। इसके अलावा कई यूजर इस सन्देश को तेजी से शेयर कर रहे हैं।
वीडियो में तीन-चार जवान घरों पर पथर फेंकते नजर आ रहे हैं। ट्वीट में कहा गया है कि कर्फ्यू के बावजूद जवान पत्थरबाजी कर रहे हैं। दुनिया को अब कश्मीर के समर्थन में आगे आना चाहिए। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक धारा 370 हटाने के कुछ घंटे पहले पुलिस ने पथराव करने वाले कश्मीरी युवाओं का पीछा किया जिसमें से एक युवक की झेलम नदी में छलांग लगाने से मौत हुई।
गूगल में अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से खोज करने के बाद भी कर्फ्यू में सेना के जवानों द्वारा पथराव करने की खबर कहीं नहीं दिखी।
ट्विटर पर शेयर किए गए वीडियो से कुछ स्क्रीनशाॅट्स निकाले और गूगल खंगाला। इस दौरान हमें यूट्यूब पर एक वीडियो मिला।
यह वीडियो 18 अगस्त 2016 को अपलोड किया गया है। इसके अलावा हमें यही वीडियो एक और यूट्यूब चैनल पर देखने को मिला। इसे 17 अगस्त 2016 को अपलोड किया गया था।
वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि कश्मीर के श्रीनगर में भारतीय CRPF के जवानों ने घरों पर पत्थर फेंके।
इससे साफ होता है कि वायरल वीडियो धारा 370 हटने के बाद कर्फ्यू के दौरान का नहीं है। सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए सन्देश सोशल मीडिया में वायरल किए जा रहे हैं।
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Result- False

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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