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जयपुर के पाण्डु मंदिर से ली गयी शिवलिंग की तस्वीर सोशल मीडिया पर मक्का की बताकर हुई शेयर

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim- 
 
 
इतिहास में पहली बार मक्का मदीना का शिवलिंग दिखाया गया।
 
 
Verification – 
 
 
सोशल मीडिया पर एक शिवलिंग की तस्वीर शेयर की जा रही है। तस्वीर के साथ दावा किया गया है कि यह मक्का-मदीना की है जिसे इतिहास में पहली बार दिखाया जा रहा है। हमारी टीम के एक साथी को Whatsapp पर तस्वीर प्राप्त होने के बाद हमारी पड़ताल आरम्भ हुई।
 
  
हमने सबसे पहले वायरल तस्वीर को गूगल पर खोजा। इस दौरान Map of india नामक वेबसाइट में 5 अप्रैल साल 2015 में प्रकाशित एक लेख से पता चला कि वायरल तस्वीर जयपुर के पाण्डु नामक मंदिर का है। पाण्डु मंदिर के बारे में और खोजने पर पता चला कि जयपुर से थोड़ी दूर स्थित जिला विराटनगर में मौजूद भीम गिरी नामक पहाड़ी की पाण्डु गुफा में स्थापित है। वायरल तस्वीर वाली शिवलिंग जिसे 12 मुखी शिवलिंग कहा जाता है।  
 
 
 
 
जांच के दौरान हमने मक्का-मदीना में स्थित काले पत्थर का इतिहास जानने का प्रयास किया। जहाँ सबसे पहले यह पता चला कि मक्का-मदीना में उस काले पत्थर को ‘हाजरे अस्वद’ कहा जाता है। इसके बाद NBT की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख से पता चला कि इस्लाम में काबा के इस काले पत्थर को सबसे पवित्र माना गया है। लेख के अनुसार काबा के इस काले पत्थर की सच्चाई की कई कहानियां मौजूद हैं। लेकिन पत्थर की जानकारी के कोई ठोस प्रमाण नहीं है।  लेख में कई कहानियों का जिक्र है जिसके अनुसार पत्थर धरती से निकला धूमकेतु है वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार यह पत्थर चाँद से टूटा एक टुकड़ा है। बताया गया है कि इस पत्थर की जानकारी कुरान में नहीं है। लेकिन इस्लाम में कुरान के बाद सबसे ज्यादा मानने वाले ग्रंथ ‘हदीस’ में इस पत्थर को जीवित बताकर इसे खुदा का दाया हांथ बताया गया। जिसे पैगंबर चूमा करते थे जिस के बाद से हाजियों ने इसे चूमने की परंपरा बना ली।
 

काबा के पूरब में काला पत्थर का रहस्य, इसलिए चूमते हैं हाजी

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newschecker.in की पड़ताल में वायरल शिवलिंग की तस्वीर के बारे में किया जा रहा दावा भ्रामक साबित हुआ।  
 
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Result- Misleading 
 
(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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