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जावेद अख्तर ने पुलिस द्वारा वृद्ध का टाइपराइटर तोड़े जाने की 4 साल पुरानी घटना को अब का बताकर किया शेयर

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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Claim
 
यह बुजुर्ग आदमी बेरोजगारों की नौकरी के आवेदन टाइप कर गुजारा करता था। अब उसका टाइपराइटर मरम्मत करने के लायक भी नहीं बचा है। 

 
 
Verification
 

हिंदी फिल्मों के गीतकार जावेद अख्तर ने एक अपने हैंडल पर कुछ तस्वीरें शेयर की हैं। इन तस्वीरों में एक  इंस्पेक्टर टाइपराइटर को लात मारते नजर आ रहा है। वहीं सामने खड़ा एक बुजुर्ग उसके सामने हाथ जोड़े खड़ा है। तीसरी तस्वीर में बुजर्ग टूटा हुआ टाइपराइटर लेकर बैठे हुए नजर आ रहे हैं। जावेद अख्तर ने ट्वीट में लिखा है कि यह बुजुर्ग आदमी बेरोजगारों के नौकरी के आवेदन टाइप कर गुजारा करता था। अब उसका टाइपराइटर मरम्मत करने के लायक भी नहीं बचा है।

 
 
 
 
 
 
ट्विटर पर खोज के दौरान हमें करीब दो साल पहले किया गया एक पोस्ट मिला जिसमें लिखा गया था कि देश की यही सच्चाई है। देखिए एक पुलिस वाला गरीब को कैसे परेशान करता है।
 
 
इस ट्वीट से पता चला कि मामला ताजा नहीं है लेकिन इसके बारे में पूरी डिटेल्स नहीं मिल रही थी इसलिए हमनें गूगल खंगाला। दोनों ट्विट्स में शेयर की गई तस्वीरों को गूगल इमेज सर्च और यांडेक्स में खोजा। गूगल रिवर्स इमेजेस में हमें इस तस्वीर को लेकर कई रिजल्ट देखने को मिले।
 
 
 
 
हमें खोज के दौरान एनडीटीवी की खबर मिली जो सितम्बर 2015 में प्रकाशित हुई थी। खबर के अनुसार ‘लखनऊ में जीपीओ के सामने फुटपाथ पर टाइपिंग का काम करने वाले बुर्जुग के साथ दुर्व्यवहार करने वाले दारोगा को संस्पेड कर दिया गया है। दारोगा के इस अमानवीय व्यवहार की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। जिस पर सीएम अखिलेश यादव की नजर पड़ी और उन्होंने उसे तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का निर्देश दिया। वहीं सरकार की तरफ से उस बुजुर्ग को नया टाइपराइटर भी दिया गया है।’ 
 
इससे साफ होता है कि यह मामला साल 2015 का है। वहीं हमें दैनिक भास्कर की खबर मिली जिससे पूरे मामले के बारे में पता चला। खबर के मुताबिक सचिवालय थाना इंचार्ज और इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार जीपीओ चौराहे पर पहुंचे। वे सड़क किनारे दुकान चलाने वालों का सामान तोड़ने लगे। इसी दौरान वहां एक बुजुर्ग टाइपि‍स्‍ट कृष्‍ण कुमार का टाइपराइटर उठाकर उन्‍होंने फेंक दिया। बुजुर्ग टाइपि‍स्‍ट हाथ जोड़कर अपनी रोजी-रोटी की दुहाई देते रहे थे लेकि‍न इंस्पेक्टर ने इसे अनसुना कर दि‍या। सड़क किनारे चाय लगाने वालों के बर्तन भी फेंक दिए। इससे वहां रखा दूध फैल गया। 
 
मीडिया में खबर आने के बाद दारोगा और पुलिस डिपार्टमेंट की काफी आलोचना हुई थी। इसके बाद डीएम राजशेखर ने बुजुर्ग को नया टाइपराइटर दिया था साथ ही पुलिस प्रोटेक्शन भी प्रोवाइड किया था।
इसकी खबर अमर उजाला में छपी थी। 
 
 
 
इससे स्पष्ट होता है कि दारोगा ने बुजुर्ग कृष्ण कुमार का टाइपराइटर तोड़ा था, लेकिन यह घटना चार साल पुरानी है। उसके बाद खुद डीएम ने बुजुर्ग को नया टाइपराइटर दिलवाया था।
 
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Result- Misleading

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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