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दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर आतंकी भीड़ ने नहीं की मौलवी की हत्या, वायरल हो रहा भ्रामक सन्देश

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Claim

पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आतंकी भीड़ ने मौलवी की पीट-पीटकर हत्या की

Verification
ट्विटर पर ज़ेबा फातिमा नामक हैंडल से एक युवक की फोटो शेयर की गई है। दावा किया गया है कि मौलाना कारी मोहम्मद उवैस नामक शख्स को पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर आतंकी भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।
दावे की हकीकत जानने के लिए हमने इसकी पड़ताल शुरू की। इस दौरान यही दावा करने वाली एक फेसबुक पोस्ट मिली। पोस्ट में वायरल फोटो को लेकर यही दावा किया गया था कि आतंकी भीड़ ने मौलवी को मौत के घाट उतार दिया।
मौलवी की मौत को लेकर गगूल खंगाला तो इस बारे में कई खबरों सामने आई। जिन्हें नीचे देखा जा सकता है।
गूगल करने पर हमें अमर उजाला की खबर मिली जिसमें पूरे घटनाक्रम के बारे में लिखा है।
खबर के मुताबिक पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर सोमवार रात ईयरफोन खरीदने को लेकर हुए झगड़े में एक मौलवी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मृतक की शिनाख्त कारी मोहम्मद उवैस (27) के रूप में हुई है। उवैस रेलवे स्टेशन के बाहर ईयरफोन खरीद रहा था। उसी दौरान कुछ पटरी दुकानदारों से उसका झगड़ा हो गया। आरोप है कि उन लोगों ने पीट-पीटकर उवैस को मौत के घाट उतार दिया। वहीं कुछ लोगों ने इस घटना को मॉब लिंचिंग के रूप में पेश किया है। पुलिस सभी आरोपों से इंकार कर रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उवैस के शरीर पर किसी भी तरह के चोट के निशान नहीं मिले हैं। झगड़े के दौरान खुद ही गिरने से उवैस की मौत हुई।
कोतवाली थाना पुलिस ने मामले में गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर दो आरोपियों लल्लन और अय्यूब उर्फ सरफराज को गिरफ्तार किया है। इससे साफ होता है कि मौलवी को पीटने वालों में किसी एक धर्म के लोग नहीं थे। उसकी पिटाई मामूली विवाद के चलते हुई थी। पंजाब केसरी में छपी खबर भी इस बात की तस्दीक करती है।
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Result- Misleading

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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