शनिवार, नवम्बर 2, 2024
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दो अलग-अलग मौलानाओं की तस्वीर को एक बताकर सोशल मीडिया में फैलाया गया भ्रम

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim-
मिलिए जिहाद के नाम पर आतंक फ़ैलाने वाले इस मौलना से, जिसको पुलिस द्वारा सबक सिखाए जाने पर अब स्वयं में पीड़ित नजर आना शुरू हो गया है।
 
Verification-
सोशल मीडिया के एक पोस्ट में एक मौलाना की दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं। एक तस्वीर में उसे पत्थर फेंकने वाली मुद्रा में देखा जा सकता है वहीं दूसरी तस्वीर में उसे घायल होकर अपने बिस्तर पर बैठे हुए देखा जा सकता है। पोस्ट शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि पहले NRC और CAA के विरोध में प्रदर्शन करते वक़्त इन्होंने लोगों पर पत्थर फेंके जिसके बाद पुलिस ने उन्हें कूट दिया। बाद में अपने घाव की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर पुलिस की बर्बरता से पीड़ित बताकर इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। ट्विटर पर इस पोस्ट को सैकड़ों लोगों ने शेयर तथा रिट्वीट किया है।
पड़ताल में हमने एक-एक कर तस्वीरों को गूगल पर खोजना शुरू किया। खोज में सबसे पहले हमें ट्विटर का एक पोस्ट प्राप्त हुआ। इसे कानपुर का बताकर शेयर किया गया है।
इसके बाद हमने इस तथ्य की पुष्टि के लिए गूगल पर बारीकी से खोजा। इस दौरान Press Reader नामक वेबसाइट पर प्रकाशित हुए एक लेख में तस्वीर प्राप्त हुई। लेख के अनुसार तस्वीर में दिखने वाले व्यक्ति को कानपुर का बताया गया है।
इसके बाद हमने वायरल पोस्ट की दूसरी तस्वीर को गूगल पर खोजा। जहां इस तस्वीर के साथ महाराष्ट्र के विधायक वारिस पठान का ट्वीट प्राप्त हुआ। उन्होंने तस्वीर में दिखने वाले व्यक्ति को 82 साल का बताते हुए उनका नाम ‘Moulana Syed raza hussaini‘ बताते हुए यह जानकारी दी कि मुज़फ़्फरनगर में यूपी पुलिस ने मौलाना की मदरसे से बाहर खींचकर पिटाई की।
इसके उपरान्त हमें caravandaily नामक वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में घायल मौलाना की तस्वीर प्राप्त हुई। लेख में मौलाना को मुज़फ़्फ़रनगर का बताया गया है, जो वहां के एक मदरसे के मौलाना हैं।
इन सभी तथ्यों को परखने पर पता चला कि यह दोनों तस्वीरें अलग-अलग मौलानाओं की हैं। सोशल मीडिया पर भ्रम फ़ैलाने के लिए इसे शेयर किया जा रहा है।
Tools used 
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Result- Misleading 
(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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