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फूड पॉयजनिंग का शिकार हुए थे आचार्य बालकृष्ण, सोशल मीडिया में वायरल हो रहा भ्रामक दावा

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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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गांजा फूंकते हैं आचार्य बालकृष्ण 

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ट्विटर पर डाॅ. आनंद राय नामक शख्स ने ट्वीट किया है कि योग गुरू बाबा रामदेव के पार्टनर आचार्य बालकृष्ण गांजा पीते हैं। डाॅ. राय ने एम्स की एक कथित रिपोर्ट भी ट्वीट में शेयर की है।

हमनें इस सन्देश को लेकर पड़ताल शुरू की। रिपोर्ट को बारीकी से देखा तो बालकृष्ण की जगह बाल गोविंद लिखा था इसलिए हमें शक हुआ। गूगल में आचार्य बालकृष्ण की तबियत को लेकर कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोज की।

नवभारत टाइम्स की खबर में लिखा है कि उनके स्वास्थ्य में सुधार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई है। एम्स से छुट्टी पाने से पहले उनसे उत्‍तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मिलने एम्स ऋषिकेश पहुंचे। खबर में आगे लिखा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बालकृष्ण से मिलकर उनका हालचाल जाना। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, रामदेव, जूना अखाड़े के स्वामी अवधेशानन्द समेत परमार्थ ऋषिकेश के परमाध्यक्ष चिदानंद मुनि आदि भी एम्स में मौजूद थे। स्वामी रामदेव ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण की तबीयत पेड़ा खाने के बाद ही बिगड़ी थी। इसके पीछे उन्होंने किसी साजिश की आशंका से भी इनकार नहीं किया।उन्होंने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद पतंजलि योगपीठ की ओर से इस संबंध में मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है। अगर किसी ने साजिश के तहत ऐसा किया है तो दोषी को सजा मिलेगी। आगे लिखा है कि शुक्रवार दोपहर करीब ढाई बजे मिठाई खाने के बाद आचार्य बालकृष्ण की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें उपचार के लिए हरिद्वार स्थित भूमानंद अस्पताल ले जाया गया, जहां हालत गंभीर देखते हुए चिकित्सकों ने उन्हें ऋषिकेश एम्स रेफर कर दिया।   
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर में भी यही लिखा हुआ है।
वहीं शुक्रवार को एम्स ऋषिकेश के सुपरिटेंडेंट द्वारा आचार्य बालकृष्ण के हेल्थ को लेकर जारी किया गया मेडिकल बुलेटिन भी नीचे देखा जा सकता है।
इससे साफ होता है कि आचार्य बालकृष्ण की तबीयत फूड पाॅयजनिंग की वजह से बिगड़ी थी।
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Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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