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महाराष्ट्र के वर्धा में जिन्दा जलाई गई शिक्षिका की जाति को लेकर भ्रामक दावा सोशल मीडिया में वायरल

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After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Claim
 
महाराष्ट्र के वर्धा में एक तरफा प्यार में 25 वर्षीय शिक्षिका को जिंदा जलाकर मार डाला। पीडित ब्राह्मण समाज से थी और अपराधी एससी समाज का था। 
 
 
 
 
Verification
 
महाराष्ट्र के वर्धा में कुछ दिन पहले एक तरफा प्यार के चलते एक शादीशुदा युवक ने 25 वर्षीय प्राध्यापिका को बीच सड़क पर जिंदा जलाया। हाॅस्पिटल में सात दिन बाद पीड़िता की मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया है। लेकिन सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि पीड़िता ब्राह्मण समाज से थी और आरोपी एससी समाज से था। लेकिन कांग्रेस को यह घटना नहीं दिखाई देती वह तामिलनाडू में दलित युवक पर हुए अत्याचार को ब्राह्मणों का अत्याचार का रुप देती है। 
 
हमनें इस बारे में पड़ताल शुरू की तो वर्धा के हिंगणघाट कांड को लेकर कई खबरें देखने को मिली।
 
 
इसके अलावा हमें नवभारत टाइम्स की खबर मिली जिसमें बताया गया है कि वर्धा जिले में विकेश नगराले (27) ने हिंगणघाट निवासी अंकिता पिसुड्डे (25) को तीन फरवरी को जिंदा जला दिया था। आग में वह 40 प्रतिशत जल गई थीं। उनका नागपुर के ऑरेंज सिटी हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर में इलाज चल रहा था। लेकिन उसने दम तोड़ दिया। 
 
 
 
इन खबरों मे कहीं पर भी यह मामला जातीय एंगल के होने का उल्लेख प्राप्त नहीं हुआ। इसलिए पीड़िता की और अपराधी की जाति को लेकर सोशल मीडिया में जो दावे किए जा रहे थे उसके बार में हमनें पड़ताल शुरू की। 
इसके लिए पहले हमनें वर्धा के स्थानीय पत्रकारों से बातचीत की तो उनके द्वारा बताया गया कि अंकिता ब्राह्मण नहीं थी वह कुणबी समाज से संबधित थी। आरोपी के एससी समाज से होने की जानकारी मिली। वहीं हिंगणघाट पुलिस थाने से भी यही जानकारी मिली की अंकिता ब्राह्मण जाति से नहीं थी। पुलिस ने सोशल मीडिया में भ्रामक जानकारी न फैलाने की अपील भी की है। 
 
इससे स्पष्ट होता है कि वर्धा के हिंगणघाट कांड में पीड़िता की जाति को लेकर गलत जानकारी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। 
 
 
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Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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